अश्वगंधादि चूर्ण के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

अश्वगंधादि चूर्ण, एक क्लासिकल आयुर्वेदिक दवा है। इसका मुख्य घटक अश्वगंधा है। इस औषधीय चूर्ण का वर्णन कई आयुर्वेदिक ग्रंथों में है लेकिन फार्मूलेशन कुछ अलग हैं। सभी में अश्वगंधा ही प्रमुख घटक है लेकिन साथ में प्रयुक्त द्रव्य भिन्न हैं। योगरत्नाकर में इसके फार्मूलेशन में अश्वगंधा के साथ 21 अन्य जड़ी बूटियाँ हैं। बैद्यनाथ द्वारा निर्मित अश्वगंधादि चूर्ण (शारंगधर संहिता) अश्वगंधा और विधारा के बीजों को बराबर मात्रा में मिला कर बनाया गया है।

अश्वगंधादि चूर्ण और अश्वगंधा चूर्ण अलग हैं। अश्वगंधादि चूर्ण में अश्वगंधा के साथ अन्य जड़ी बूटियाँ होती हैं जो इसके प्रभाव और पाचन को बेहतर करती हैं जबकि अश्वगंधा चूर्ण, अश्वगंधा पौधे की सुखाई, पीसी हुई और कपड़छन जड़ के पाउडर को कहते हैं।

दवा के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें प्रयुक्त जड़ी-बूटियों के आधार पर है। हम इस प्रोडक्ट को एंडोर्स नहीं कर रहे। यह दवा का प्रचार नहीं है। हमारा यह भी दावा नहीं है कि यह आपके रोग को एकदम ठीक कर देगी। यह आपके लिए फायदेमंद हो भी सकती हैं और नहीं भी। दवा के फोर्मुलेशन के आधार और यह मानते हुए की इसमें यह सभी द्रव्य उत्तम क्वालिटी के हैं, इसके लाभ बताये गए हैं। इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें। हमारा उद्देश्य दवा के लेबल के अनुसार आपको जानकारी देना है।

Ashwagandhadi Churna is Herbal Ayurvedic medicine. It is highly effective in general debility, anxiety and fatigue. It is useful in low libido and impotency. This formulation has aphrodisiac action. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • दवा का नाम: अश्वगंधादि चूर्ण Ashwagandhadi Churna
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्बल
  • मुख्य गुण: टॉनिक, धातु वृद्धि, वाजीकारक
  • प्रमुख प्रयोग: कामोत्तेजना बढ़ाना, पुरुष नपुंसकता, वीर्य शुक्र दोष, कद बढ़ाना, वजन बढ़ाना, कमजोरी, पतलापन, मर्दाना कमजोरी, वाजीकरण
  • गर्भावस्था में प्रयोग: नहीं करें

अश्वगंधादि चूर्ण के घटक | Ingredients of Ashwagandhadi Churna in Hindi

  • अश्वगंधा Ashvagandha (Rt.) 480 g
  • सोंठ Nagara (Shunthi) (Rz.) 240 g
  • पिप्पली Kana (Pippali) (Fr.) 120 g
  • काली मिर्च Maricha (Fr.) 60 g
  • दालचीनी Tvak (St.Bk.) 12 g
  • एला Ela (Sukshmaila) (Sd.) 12 g
  • तेज पत्ता Patra (Tejapatra) (Lf.) 12 g
  • नागकेशर Nagakeshara (Adr.) 12 g
  • लवंग Varala (Lavanga) (Fl.) 12 g
  • भारंगी Bharngi (Rt.) 12 g
  • तालिसपत्र Talishapatra (Talisa) (Lf.) 12 g
  • कर्चूर Kacora (Karchura) (Rz.) 12 g
  • सफ़ेद जीरा Ajaji (Shveta jiraka) (Fr.) 12 g
  • कैदरया  Kaidarya (St.Bk.) 12 g
  • जटामांसी Mansi (Jatamansi) (Rt./Rz.) 12 g
  • कंकोल Kankola (Fr.) 12 g
  • मोथा Musta (Musta) (Rz.) 12 g
  • रसना Rasna (Rt.) 12 g
  • कटुरोहणी Katurohini (Katuka) (Rz.) 12 g
  • जीवन्ति Jivanti (Rt.) 12 g
  • कूठ Kushtha (Rt.) 12 g
  • शर्करा Sharkara 1.100 kg

Composition of Baidyanath Ashwagandhadi Churna (Sharangdhar Samhita)

Each 5 gram contains

  • अश्वगंधा Ashwagandha 2.5 gram
  • विधारा Vidhara 2.5 gram

विधारा एक औषधीय वनस्पति है। आयुर्वेद में इसका एक रसायन औषधि की तरह बहुत प्रयोग किया जाता है। विधारा की जड़ों को तंत्रिका तंत्र के लिए टॉनिक nervine tonic, वाजीकारक aphrodisiac और बलवर्धक दवाओं में बहुतायात से इस्तेमाल किया जाता है। इसे अन्य वाजीकारक, बल-वीर्य-शुक्रल द्रव्यों जैसे की अश्वगंधा, शतावरी, तालमखाना आदि के साथ मिलाकर पुरुषों के लिए अच्छी औषधियों का निर्माण किया जाता है।

विधारा का सेवन शरीर में वीर्य की वृद्धि करता है। यूनानी दवाओं में इसके बीजों को अनैच्छिक वीर्य गिरने spermatorrhoea और सेक्स टॉनिक की तरह प्रयोग किया जाता है। यह एक वात शामक औषधि है और वात रोगों जैसे की गठिया, रूमेटिज्म, शीघ्रपतन आदि में अच्छे परिणाम देती है। यह मुख्य रूप से मानसिक रोगों, तंत्रिका तंत्र के रोगों rheumatism, diseases of the nervous system और वात-कफ रोगों की औषधि है।

वीर्य के पतलेपन, कम शुक्राणु low sperm count में विधारा, असंगध एवं शतावर समान मात्रा में मिला कर बना चूर्ण  6 ग्राम की मात्रा में गाय के दूध के साथ, सुबह और शाम लिया जाता है। यह प्रयोग वीर्य को गाढ़ा करता है और शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाता है।

विधारा बीजों को बहुत ही कम मात्रा में लेते हैं क्योंकि यह नारकोटिक होते हैं। बीजों को लेने की मात्रा आधा से एक ग्राम है।

अश्वगंधा (Withania somnifera) की जड़ें आयुर्वेद में टॉनिक, कामोद्दीपक, वजन बढ़ाने के लिए और शरीर की प्रतिरक्षा बढ़ाने के लिए increases weight and improves immunity प्रयोग की जाती है। अश्वगंधा तंत्रिका कमजोरी, बेहोशी, चक्कर और अनिद्रा nervous weakness, fainting, giddiness and insomnia तथा अन्य मानसिक विकारों की भी अच्छी दवा है। यह पुरुषों में यौन शक्ति बढ़ाने के लिए प्रयोग की जाती है। यह पुरुष प्रजनन अंगों पर विशेष प्रभाव डालती है। यह पुरुषों में जननांग के विकारों के लिए एक बहुत ही अच्छी हर्ब है। यह वीर्य की मात्रा और गुणवत्ता को बढ़ाने में भी मदद करती है। स्त्रियों में अश्वगंधा का सेवन स्तनपान breastfeeding कराते समय दूध की मात्रा में वृद्धि galactagogue करता है और हॉर्मोन के संतुलन में मदद करता है। प्रसव after delivery बाद इसका सेवन शरीर को बल देता है।

अश्वगंधा जड़ में कई एल्कलॉइड होते हैं जैसे की, विथानिन, विथानानाइन, सोमनाइन, सोम्निफ़ेरिन आदि। भारतीय अश्वगंधा के पत्तों में विथफेरिन A समेत 12 विथनॉलिडेस होते हैं। जड़ में फ्री अमीनो एसिड में जैसे की एस्पार्टिक अम्ल, ग्लाइसिन, टाइरोसीन शामिल एलनाइन, प्रोलाइन, ट्रीप्टोफन ,ग्लूटामिक एसिड और सीस्टीन aspartic acid, glycine, tyrosine, alanine, proline, tryptophan, glutamic acid and cysteine आदि भी पाए जाते हैं। विथानिन में शामक और नींद दिलाने वाला गुण है sedative and hypnotic। विथफेरिन एक अर्बुदरोधी antitumor, एंटीऑर्थरिटिक anti-arthritic और जीवाणुरोधी antibacterial है। अश्वगंधा स्वाद में कसैला-कड़वा और मीठा होता है। तासीर में यह गर्म hot in potency है। इसका सेवन वात और कफ को कम करता है लेकिन बहुत अधिक मात्रा में सेवन शरीर में पित्त और आम को बढ़ा सकता है। यह मुख्य रूप से मांसपेशियों muscles, वसा, अस्थि, मज्जा/नसों, प्रजनन अंगों reproductive organ, लेकिन पूरे शरीर पर काम करता है। यह मेधावर्धक, धातुवर्धक, स्मृतिवर्धक, और कामोद्दीपक है। यह बुढ़ापे को दूर करने वाली औषधि है।

अश्वगंधादि चूर्ण के मुख्य गुणधर्म | Qualities in Hindi

  • रसायन: द्रव्य जो शरीर की बीमारियों से रक्षा करे और वृद्धवस्था को दूर रखे।
  • वृष्य: द्रव्य जो बलकारक, वाजीकारक, वीर्य वर्धक हो।
  • वातहर: द्रव्य जो वातदोष निवारक हो।
  • शुक्रकर: द्रव्य जो शुक्र का पोषण करे।
  • पाचन: द्रव्य जो आम को पचाता हो लेकिन जठराग्नि को न बढ़ाये।
  • दीपन: द्रव्य जो जठराग्नि तो बढ़ाये लेकिन आम को न पचाए।
  • शुक्रल: द्रव्य जो शुक्र की वृद्धि करे।

अश्वगंधादि चूर्ण के लाभ फायदे | Benefits of Ashwagandhadi Churna in Hindi

  • अश्वगंधा का सेवन पेशाब के साथ मूत्र जाना, स्वप्नदोष और यौन दुर्बलता में लाभकारी है।
  • इसका विशेष प्रभाव प्रजनन अंगों पर होता है।
  • इसके सेवन से शुक्राणुओं की गुणवत्ता में सुधार होता है।
  • यह उत्तम रसायन, कामोद्दीपक और फर्टिलिटी बढ़ाने वाली दवा है।
  • यह एक टॉनिक औषधि है और कमजोरी को दूर करती है।
  • यह ओजवर्धक, बलवर्धक, वृष्य, जीवनीय, और उत्तम रसायन है।
  • यह कान्ति, भूख, वज़न, लम्बाई और प्रतिरक्षा को बढाती है।
  • यह तंत्रिका कमजोरी, बेहोशी, चक्कर और अनिद्रा में मदद करती है।
  • यह तंत्रिका तंत्र सबंधी कमजोरी को दूर करती है।
  • यह दवाई वृषण testes को सही काम करने में सहयोगी है और शुक्राणुजनन को उत्तेजित करती है।
  • यह दवाई शरीर को बल और शक्ति देती है।
  • यह नींद न आना, तनाव, सिरदर्द, मानसिक परेशानियों, आदि में लाभप्रद है।
  • यह पाचन को अच्छा करती है।
  • यह पुरुष – स्त्री दोनों में ही प्रजनन स्वस्थ्य को अच्छा करती है।
  • यह प्रतिरक्षा बढ़ाती है immune-boosting और मस्तिष्क-टॉनिक brain tonic है।
  • यह वाजीकारक है।
  • यह वीर्य को गाढ़ा करती है।
  • यह शक्तिवर्धक, जोशवर्धक, वाजीकारक रसायन है।
  • यह शरीर की मांसपेशियों को सुदृढ़ करती है।
  • यह शरीर के हर अंग को ताकत देती है।
  • यह शरीर को शक्ति प्रदान कर बलवान बनाती है।
  • यह शरीर में धातुओं की वृद्धि करती है।
  • यह सप्तधातु को पोषित करती है।

अश्वगंधादि चूर्ण के चिकित्सीय उपयोग | Uses of Ashwagandhadi Churna in Hindi

  • अल्पशुक्राणुता oligospermia
  • आर्थराइटिस Arthritis
  • कम रोगप्रतिरोधक क्षमता
  • तंत्रिका तंत्र की दुर्बलता Nervine debility
  • नामर्दी Impotance
  • फर्टिलिटी बढ़ाना Boost fertility in men
  • मानसिक दुर्बलता Mental debility
  • याददाश्त में कमी Loss of memory
  • यौन दुर्बलता Male sexual dysfunctions
  • रसायन As a tonic
  • वात रोग (मस्तिष्क संबंधी विकार), आमवात
  • वीर्य की कमी
  • शारीरिक दुर्बलता Physical debility
  • स्तंभन दोष erectile dysfunction

अश्वगंधादि चूर्ण की सेवन विधि और मात्रा | Dosage of Ashwagandhadi Churna in Hindi

  • 3-6 ग्राम, दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
  • शुरू में इसे कम मात्रा में लें।
  • इसे भोजन करने के बाद लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

अश्वगंधादि चूर्ण के इस्तेमाल में सावधनियाँ | Cautions in Hindi

  • इसका इस्तेमाल चिकित्सक की सलाह के आधार पर 3 से 6 महीने तक किया जा सकता है।
  • उम्र और ताकत पर विचार करते हुए और किसी वैद्य की विशेषज्ञ सलाह के साथ, दवा का उचित अनुपात में उचित अनुपान के साथ इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
  • यह पित्त को बढ़ाता है। इसलिए पित्त प्रकृति के लोग इसका सेवन सावधानी से करें।
  • अधिक मात्रा में सेवन पेट में जलन, एसिडिटी, आदि समस्या कर सकता है।

अश्वगंधादि चूर्ण के साइड-इफेक्ट्स | Side effects in Hindi

  • निर्धारित खुराक में लेने से दवा का कोई दुष्प्रभाव नहीं है।
  • इससे कुछ लोगों में पेट में जलन हो सकती है।

अश्वगंधादि चूर्ण को कब प्रयोग न करें | Contraindications in Hindi

  • आयुर्वेद में उष्ण चीजों का सेवन गर्भावस्था में निषेध है। इसका सेवन गर्भावस्था में न करें।
  • इसे बताई मात्रा से अधिकता में न लें।
  • यदि दवा से किसी भी तरह का एलर्जिक रिएक्शन हों तो इसका इस्तेमाल नहीं करें।
  • अधिक मात्रा में सेवन पेट में जलन, एसिडिटी, आदि समस्या कर सकता है।
  • डॉक्टर से परामर्श के बिना कोई आयुर्वेदिक दवाइयां नहीं लें।
  • विधारा बीजों में एक narcotic hallucinogen, पाया जाता है जो ज्यादा मात्रा में लेने से हैंगओवर, धुंधला दिखाई देना, कब्ज, जड़ता, मतली, चक्कर आदि कर सकता है।

उपलब्धता

  • इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।
  • Baidyanath Ashwagandhadi Churna Price: 100 gm @ ₹110.00
  • Shree Dhanwantri Herbals Ashwagandhadi Churna
  • Sandu Ashwagandhadi Churna (Nighantu Ratnakar)
  • तथा अन्य बहुत सी फर्मसियाँ।

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