चतुर्मुख रस के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

Chaturmukh Ras is a mineral containing medicine. It contains purified mercury, sulphur, iron, mica and gold. It promotes better health due to its antiaging, appetizing and digestive activities. It balances Vata and pitta and helps in diseases occurring due to vitiation of these Dosha.

चतुर्मुख रस आयुर्वेद की एक क्लासिकल रस औषधि जिसे भैषज्य रत्नावली के वातव्याधि रोगाधिकार से लिया गया है। इसमें पारे, गंधक, लोहे, अभ्रक और सोने की आयुर्वेद पद्यति से तैयार भस्में हैं। क्योंकि यह आयुर्वेद की क्लासिकल दवा है इसलिए यह बहुत सी आयुर्वेदिक फार्मेसियों दवा निर्मित की जाती है। बहुत सी फार्मेसियां इसे ‘स्वर्ण युक्त’ से लेबल करती हैं, लेकिन यह बात जानने की है की इसके फार्मूलेशन में ही स्वर्ण की भस्म है, इसलिए बिना इसके बनी औषधि चतुर्मुख रस नहीं कहलायेगी।

यह एक आयुर्वेदिक रस-औषधि है जिसमें रस, पारा है। पारे को ही आयुर्वेद में रस या पारद कहा जाता है और बहुत सी दवाओं के निर्माण में प्रयोग किया जाता है। रस औषधियां शरीर पर शीघ्र प्रभाव डालती हैं। इन्हें डॉक्टर की देख-रेख में ही लेना सही रहता है। रस औषधियों के निर्माण में शुद्ध पारे और शुद्ध गंधक को मिलाकर पहले कज्जली बनायी जाती है जो की काले रंग की होती है। रासायनिक रूप से कज्जली, ब्लैक सल्फाइड ऑफ़ मरक्युरी है। कज्जली को रसायन माना गया है जो की त्रिदोष को संतुलित करती है। यदि इसे अन्य उपयुक्त घटकों के साथ मिलाकर दवा बनाई जाती है तो यह लगभग हर रोग को दूर कर सकती है। कज्जली वाजीकारक, रसायन, योगवाही है।

इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें।

Chaturmukh Ras is a mineral containing medicine. It contains purified mercury, sulphur, iron, mica and gold. It promotes better health due to its antiaging, appetizing and digestive activities. It balances Vata and pitta and helps in diseases occurring due to vitiation of these Dosha.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: रस औषधि
  • मुख्य उपयोग: वात रोग
  • मुख्य गुण: पुराने रोगों में लाभप्रद, बलवर्धक, रसायन

चतुर्मुख रस के घटक | Ingredients of Chaturmukha Ras in Hindi

  1. शुद्ध पारा 1 भाग
  2. शुद्ध गंधक 1 भाग
  3. लोहा भस्म 1 भाग
  4. अभ्रक भस्म 1 भाग
  5. स्वर्ण भस्म चौथाई भाग

चतुर्मुख रस बनाने की विधि

  1. प्रथम पारा और गंधक (दोनों शुद्ध) को कज्जली बनाते है।
  2. कज्जली में सभी भस्में मिलाई जाती है।
  3. इसे एलो वेरा के रस, गिलोय, त्रिफला, नागरमोथा, ब्राह्मी, लौंग, चित्रक, की छाल – के स्वरस अथवा क्वाथ, में एक दिन के लिए मर्दन करते हैं।
  4. इसे गोला बना आकर धूप में सुखा लिया जाता है।
  5. सूखने के बाद, अरंड के पत्तों में लपेट कर ऊपर से सूत बाँध देते हैं।
  6. इसे फिर धान की कोठी में तीन दिन रखते हैं।
  7. चतुर्थ दिन निकाल कर, अरंड पत्ते हटा दिए जाते हैं।
  8. औषधि को फिर खरल कर के रख लेते है।
  9. यही चतुर्मुख रस है।

चतुर्मुख रस के फायदे | Benefits of Chaturmukha Ras in Hindi

  1. यह एंटीएजिंग है।
  2. इसके सेवन से चेहरे पर से झुर्रियाँ और उम्र के अन्य लक्षण कम होते हैं।
  3. यह दवा शरीर को पोषण देती है।
  4. इसके सेवन से शरीर की शक्ति बढ़ जाती है।
  5. यह सभी तरह के स्नायु (नसें या तंत्रिकाएं) रोगों nervous diseases में लाभप्रद है।
  6. यह अम्लपित्त में लाभप्रद है।
  7. इसका सेवन फेफड़ों की तपेदिक (TB or tuberculosis) को दूर करता है।
  8. यह तपेदिक के कारण होने वाले उपद्रवों को शांत करता है।
  9. यह तिपेदिक की सभी अवस्थायों में लाभप्रद है।
  10. यह पांडु को दूर करने वाली औषध है।
  11. यह प्रमेह रोगों, भ्रम, मूर्छा, अपस्मार, उन्माद सभी में लाभप्रद है।

चतुर्मुख रस के चिकित्सीय उपयोग | Uses of Chaturmukha Ras in Hindi

  1. मानसिक रोग जैसे मिर्गी, पागलपन, मूर्छा swoons, insanity, epilepsy
  2. ध्यान की कमी Lack of concentration
  3. स्मृति की दिक्कतें Sluggish memory
  4. वृद्धावस्था का मनोभ्रंमें भूलने की बिमारी शSenile dementia
  5. बवासीर piles
  6. गोनोरिया / सूजाक gonorrhea
  7. शूल colic pain
  8. अस्थमा, कफ asthma, cough
  9. भूख न लगना loss of appetite
  10. तपेदिक tuberculosis
  11. खून की कमी low haemoglobin level
  12. तंत्रिका तंत्र और व्यवहार मरण गड़बड़ी Neurological and behavioural disturbances
  13. स्नायु दुर्बलता Nervous debility
  14. नींद न आना / इनसोम्निया Insomnia

चतुर्मुख रस की सेवन विधि और मात्रा | Dosage of Chaturmukha Ras in Hindi

  • 1-2 रत्ती / 125mg-250mg दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
  • इसे शहद और पिप्पली चूर्ण अथवा शहद और त्रिफला के पानी, के साथ लें।
  • इसे भोजन करने के बाद लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side effects/Contraindications

  1. इस दवा को डॉक्टर की देख-रेख में ही लें।
  2. इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
  3. इसे ज्यादा मात्रा में न लें।
  4. यह हमेशा ध्यान रखें की जिन दवाओं में पारद, गंधक, खनिज आदि होते हैं, उन दवाओं का सेवन लम्बे समय तक नहीं किया जाता। इसके अतिरिक्त इन्हें डॉक्टर के देख-रेख में बताई गई मात्रा और उपचार की अवधि तक ही लेना चाहिए।
  5. इसे गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान न लें।
  6. इसे बताई मात्रा से अधिकता में न लें।

उपलब्धता

इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।

  • डाबर Dabur Chaturmukh Ras स्वर्ण युक्त
  • बैद्यनाथ Baidyanath Chaturmukha Ras स्वर्ण युक्त
  • श्री धूतपापेश्वर Shree Dhootapapeshwar Limited SDL Chaturmukha Rasa सुवर्णकल्प
  • तथा अन्य बहुत सी फर्मसियाँ।

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