एलादि वटी के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

एलादि वटी या गुटिका एक हर्बल आयुर्वेदिक गोली के रूप में दवा है। इसे सूखी खाँसी, गले का संक्रमण, हिचकी, उल्टी, सर्दी, बुखार, चक्कर आना, पेट दर्द आदि के उपचार में प्रयोग किया जाता है।

एलादि वटी या गुटिका एक हर्बल आयुर्वेदिक गोली के रूप में दवा है। इसे सूखी खाँसी, गले का संक्रमण, हिचकी, उल्टी, सर्दी, बुखार, चक्कर आना, पेट दर्द आदि के उपचार में प्रयोग किया जाता है। आयुर्वेद में जो दवाएं गोली के रूप में होती हैं उन्हें वटी या गुटिका के नाम से जाना जाता है।

एलादि वटी, को छोटी इलायची, मुलेठी, मिश्री, मुनक्का, पिप्पली आदि जड़ी-बूटियों से बनाया गया है। यह कफ को कम करने और ऊपरी श्वसन संक्रमण और गैस्ट्रिक समस्याओं में बहुत प्रभावी है। यह अत्यधिक पित्त को कम करता है और ख़राश को दूर करतने वाले दवाई है। यह एक प्राकृतिक कामोद्दीपक है और ब्लीडिंग डिसऑर्डर्स में उपयोगी है। इसे गले के संक्रमण, खराश, स्वर बैठना आदि में चूस कर लिया जाता है।

Eladi Vati is a polyherbal Ayurvedic medicine used in treatment of upper respiratory infection, throat infection, and abdominal disorders. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

एलादि वटी के घटक | Ingredients of Eladi Vati in Hindi

  1. एला Ela (Sukshmaila) (Sd.) 6 g
  2. तेजपत्ता Patra (Tejapatra) (Lf.) 6 g
  3. दालचीनी Tvak (St.Bk.) 6 g
  4. पिप्पली Pippali (Fr.) 24 g
  5. मिश्री Sita 48 g
  6. मुलेठी Madhuka (Yashti) (Rt.) 48 g
  7. खजूर Kharjura (P.) 48 g
  8. द्राक्षा Mridvika (Draksha) (Dr.Fr.) 48 g
  9. शहद Madhu 48 g

इला / इलायची, के बीज त्रिदोषहर, पाचक, वातहर, पोषक, विरेचक और कफ को ढीला करने वाला है। यह मूत्रवर्धक है और मूत्र विकारों में राहत देती है। इलाइची के बीज अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, गले के विकार, बवासीर, गैस, उल्टी, पाचन विकार और खाँसी में उपयोगी होते हैं।

तेजपत्ता, एक पेड़ से प्राप्त सूखे पत्ते है। यह तासीर में गर्म होता है। यह कफ और वातहर है। तेजपत्ते का सेवन पित्तवर्धक है। यह बवासीर के इलाज और स्वाद में सुधार करता है। तेजपत्ता कड़वा, मीठा, सुगंधित, कृमिनाशक, मूत्रवर्धक, वातहर और सूजन दूर करने वाला है। यह रक्त को साफ़ करता है और, भूख एवं पाचन को सुधारता है। यह भूख न लगना, मुँह का सूखापन, खांसी, सर्दी, मतली, उल्टी, गैस और अपच के उपचार के लिए आयुर्वेद में उपयोग किया जाता है।

पिप्पली, उत्तेजक, वातहर, विरेचक है तथा खांसी, स्वर बैठना, दमा, अपच, में पक्षाघात आदि में उपयोगी है। यह तासीर में गर्म है। पिप्पली पाउडर शहद के साथ खांसी, अस्थमा, स्वर बैठना, हिचकी और अनिद्रा के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है। यह एक टॉनिक है।

द्राक्षा, पौष्टिक, मीठा, विरेचक, रक्तवर्धक , कूलिंग और कफ ढीला करने वाला है। यह खांसी, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, गठिया, पीलिया, प्यास, शरीर, खांसी, स्वर बैठना और सामान्य दुर्बलता आदि को दूर करतीहै।

मुलेठी को आयुर्वेद में बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। इसे खांसी, गले में खराश, सांस की समस्याओं, पेट दर्द औरअम्लपित्त आदि में उपयोग किया जाता है। यह खांसी, अल्सर, के उपचार में और बाहरी रूप से भी त्वचा और बालों के लिए उपयोग किया जाता है।

मुलेठी का सेवन उच्च रक्तचाप, द्रव प्रतिधारण, मधुमेह और कुछ अन्य स्थितियों में नहीं किया जाना चाहिए।

मिश्री या खांड का सेवन ऊर्जा देता है। यह तासीर में ठंडी और कामोद्दीपक है। मिश्री का सेवन वजन बढ़ाता है। यह वात/हवा शरीर के अंदर कम कर देता है। यह दवा के स्वाद को सुधारता है।

खजूर को देश के शुष्क भागों में पाए जाने वाले एक बहुत ही ऊँचे वृक्ष से प्राप्त किया जाता है। खजूर का सेवन शक्ति देता है। यह स्वाद में मीठे, पोषक और शरीर को ताकत देने वाले होते है। यह पित्तहर और वातहर होते है। यह जलन, हिचकी, बुखार, खांसी, ब्लीडिंग डिसऑर्डर, अत्यधिक प्यास और पित्त विकारों के उपचार में उपयोगी है।

एलादि वटी के फायदे | Benefits of Eladi Vati in Hindi

  1. यह कफ को ढीला कर उसे निकालने में मदद करता है।
  2. यह बढ़े हुए पित्त-कफ को ठीक करता है।
  3. यह हिचकी, सूखी खाँसी, मतली, उल्टी और गले में खराश में राहत देता है।
  4. यह क्रोनिक ब्रोन्काइटिस और स्वर बैठना में उपयोगी है।
  5. यह ख़राश को दूर करता है।
  6. यह अत्यधिक प्यास को दूर करता है।
  7. यह हर्बल और लेने के लिए सुरक्षित है।

एलादि वटी के चिकित्सीय उपयोग | Uses of Eladi Vati in Hindi

  • छर्दी Chardi (Emesis) Nausea and vomiting
  • हिक्का Hikka (Hiccup)
  • कास (Cough), Dry cough, Sore throat
  • श्वास (Dyspnoea/Asthma)
  • भ्रम (Vertigo)
  • मूर्छा (Syncope)
  • रक्तपित्त (Bleeding disorder)
  • बुखार (Fever)
  • नशा (Intoxication)
  • तृष्णा (Thirst)
  • अरुचि (Tastelessness)
  • पार्श्व शूल (Intercostal neuralgia and pleurodynia)
  • शोष (Cachexia)
  • प्लीहा के रोग (Splenic disease)
  • आमवात (Rheumatism)
  • गला बैठना (Hoarseness of voice)
  • कष्ट क्षय (Emaciation due to injury)
  • शुक्रक्षय (Oligospermia)
  • पेट के रोग Loss of appetite, Hyperacidity, Gastritis and Abdominal pain
  • पेशाब के रोग Burning micturition, dysuria

एलादि वटी की खुराक | Dosage of Eladi Vati in Hindi

1-2 गोली, दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।

इसे शहद साथ लें। इसे चूस कर भी लिया जा सकता है।

आयुर्वेदिक दवाओं की सटीक खुराक पाचन शक्ति, आयु, बीमारी, आंत की स्थिति, और अलग-अलग दवाओं के गुणों की प्रकृति की पर निर्भर करती है।

आप ऑनलाइन या मेडिकल स्टोर से इस दवा खरीद सकते हैं।

You can buy this medicine online or from medical stores.

This medicine is manufactured by Baidyanath (Eladi Bati), SKM Siddha & Ayurveda (Eladi Gutika), and many other Ayurvedic pharmacies.

One thought on “एलादि वटी के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

  1. Sir mujhe raat ko sone ke baad sukhi khansi aati h aur gale me kharish hoti h ye problem mujhe ak saal se h mane allopathy dwaa bahut lee h karpya mujhe upchar bataye aap ke aati karpya hogi

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