इसब्बेल के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

इसब्बेल ग्रैन्यूल, श्री बैद्यनाथ आयुर्वेद भवन द्वारा निर्मित एक हर्बल आयुर्वेदिक दवाई है। यह एक प्रोप्राइटरी दवा है और पेट के रोगों जैसे की सभी प्रकार की दस्त, बेसिलरी पेचिश, पेट फूलना, और क्रोनिक अमीबिक पेचिश में लाभप्रद है।

इसब्बेल ग्रैन्यूल, इसबगोल (प्लांटेगो ओवाटा), बेल (एग्ले मार्मेलोस), कुटज छाल (होलीरीना एंटीडायसेंटरिका), सौंफ (फोयनिकल वल्गेर), धनिया (कोरिंडम सतीवम), कुटज बीज (होलीहेना एंटी डायसेंटरिका), नागरमोथा (साइपरस स्कैरियसस), सोंठ (ज़िंगबर ऑफीसिनेल का एक संयोजन है।

इसब्बेल ग्रैन्यूल के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें प्रयुक्त जड़ी-बूटियों के आधार पर है। हम इस प्रोडक्ट को एंडोर्स नहीं कर रहे। यह दवा का प्रचार नहीं है। हमारा यह भी दावा नहीं है कि यह आपके रोग को एकदम ठीक कर देगी। यह आपके लिए फायदेमंद हो भी सकती हैं और नहीं भी। दवा के फोर्मुलेशन के आधार और यह मानते हुए की इसमें यह सभी द्रव्य उत्तम क्वालिटी के हैं, इसके लाभ बताये गए हैं।

Baidyanath Isabbael Granules contains Plantago Ovata, Aegla Marmelos, Holarrhena Anti Dysenterica, Foeniculum Vulgare, Coriandrum Sativum, Holarrhena Anti Dysenterica, Cyperus Scariosus and Zingiber Officinale. It is indicated in all types of diarrhea, bacillary dysentery, flatulence dyspepsia, chronic amoebic dysentery. Isabbael is taken in dose of 5 gram – 10 gram twice daily.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  1. निर्माता: Shree Baidyanath Ayurved Bhawan Pvt. Ltd.
  2. उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  3. दवाई का प्रकार: हर्बल
  4. मुख्य उपयोग: पेचिश, दस्त
  5. मुख्य गुण: एंटीडिसेंट्रिक

इसब्बेल के घटक | Ingredients of Isabbael in Hindi

प्रत्येक 5 ग्राम में Each 5 gram Granules contain

  1. इसबगोल Plantago ovata 0.6 gram
  2. बेल Aegle marmaloes 1.8 grams
  3. कुटज Holarrhena antidysenterica 0.6 gram
  4. सौंफ Foeniculum vulgare 0.6 gram
  5. धनिया Coriander sativum 0.3 gram
  6. कुटज Holarrhena antidysenterica 0.3 gram
  7. नागरमोथा Cyperus scarious 0.15 gram
  8. सोंठ Zingiber officinale 0.3 gram
  9. Excipient: Starch, Lactose, Sacchrin, Colour Carmosine

इसबगोल (प्लांटेगो ओवाटा) भारत में गुजरात और पंजाब में अधिक उगाया जाता है। यह पेट रोगों की अच्छी दवाई है। इसके सेवन से कब्ज़-बवासीर में लाभप्रद है। यह आँतों को चिकना करता है और मलको दूर करने में सहयोग देता है। इसबगोल आँतों के घाव को ठीक कर सकता है। इसबगोल पेट में गैस, अफारा, और अपच में भी फायदा करता है।

यदि इसबगोल कम मात्रा ली जाए तो यह मल को रोकता है और अधिक मात्रा में यह विरेचन कराता है। पेचिश, दस्त, आंव पड़ना, में यह बहुत ही लाभदायक है। दस्त में इसे दही के साथ सेवन करना चाहिए।

बेल, का धार्मिक और औषधीय महत्व है। इसके पत्तों को पूजन में प्रयोग करते हैं। बेल का वृक्ष ऊँचा होता हैं और इसके फल का बाहरी आवरण बहुत कठोर होता है। बेल की छाल या जड़ को आयुर्वेद में बहुत अधिक प्रयोग किया जाता है यह दशमूल की बृहत् पंचमूल का हिस्सा है इसलिए जहाँ भी दशमूल पड़ता है वहां बेल का प्रयोग किया जाता है।

बेल को दो प्रकार का माना जाता है जंगली जिसके फल छोटे होते हैं और बड़े फल जो उगाया जाता है। दवा की तरह जंगली फलों का प्रयोग किया जाता है। बेल का कच्चा फल आँतों और पेट के लिए बहुत लाभप्रद है। यह कब्ज़ को दूर करता है, और आंतों की कार्यक्षमता को बढ़ाता है। यह भूक को ठीक करता है और शरीर को बल देता है। बेल का कच्चा फल, पुराने पेचिश, अल्सरेटिव कोलाइटिस, हैजे, पेचिश, पेट के कीड़ों, और आँतों को ताकत देने वाला है।

कच्ची बेल की गिरी, सोंठ, नागरमोथा, धनिया, खस को समान मात्रा लेकर काढा बनाकर पीने से पतले दस्त ठीक होते हैं।

भद्रमुस्टा, नट ग्रास, आमोद, नागरमोथा को आयुर्वेद में बहुत सी दवाओं के निर्माण में प्रयोग किया जाता है। यह सूजन दूर करने वाला, एंटीमाइक्रोबियल, एंटीडाइरियल और डाइयुरेटिक है।

कुटज, गिरीमालिका, कलिंग, वत्सका, इंद्रयव, कुरुच, कूड़े आदि होलीरीना एंटीडायसेंट्रिका के नाम है। इसके बीज, छाल और बीजों को दवाई की तरह से प्रयोग किया जाता है। यह संकोचक, कृमिनाशक, अमीबा नष्ट करने वाला, मूत्रवर्धक और अतिसार नाशक है। इसे मुख्य रूप से दस्त, पेचिश, आंव में इस्तेमाल किया जाता है। कुटुज इम्यून सिस्टम को उत्तेजित करता है।

सौंफ मुख्य रूप से पाचन की समस्याओं और विशेष रूप उलटी, दस्त, अतिसार और शरीर में पित्त की अधिकता में प्रयोग किया जाता है। इसके सेवन भूख ठीक से लगती है और पाचन अच्छा होता है। पेट से अफारा दूर होता है और ऐठन वाले दर्द में राहत होती है। यह शीतल गुण से शरीर में पित्त की अधिकता से होने वाली जलन को कम करता है। यह स्त्रियों सम्बन्धी दिक्कतों जैसे की मासिक के दौरान दर्द, ऐंठन, योनि में दर्द आदि में भी लाभप्रद है।

अदरक का सूखा रूप सोंठ या शुंठी कहलाता है। सोंठ को भोजन में मसले की तरह और दवा, दोनों की ही तरह प्रयोग किया जाता है। सोंठ का प्रयोग आयुर्वेद में प्राचीन समय से पाचन और सांस के रोगों में किया जाता रहा है। इसमें एंटी-एलर्जी, वमनरोधी, सूजन दूर करने के, एंटीऑक्सिडेंट, एन्टीप्लेटलेट, ज्वरनाशक, एंटीसेप्टिक, कासरोधक, हृदय, पाचन, और ब्लड शुगर को कम करने गुण हैं। यह खुशबूदार, उत्तेजक, भूख बढ़ाने वाला और टॉनिक है। सोंठ का प्रयोग उल्टी-मिचली को दूर करता है। एक शोध दिखाता है, एक दिन में करीब १ ग्राम सोंठ (दिन में कई अंतराल पर लेने से) का सेवन मोशन सिकनेस को दूर करता है।

इसब्बेल के फायदे | Benefits of Isabbael in Hindi

  1. यह गैस, अफारा में लाभप्रद है।
  2. यह दस्त, पेचिश, आंव पड़ना, आदि में लाभप्रद है।
  3. यह भूख बढ़ाता है और पाचन को बेहतर करता है।
  4. इसका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं है।
  5. इसे बच्चे-बड़े सभी ले सकते हैं।

इसब्बेल के चिकित्सीय उपयोग | Uses of Isabbael in Hindi

  1. अफारा Flatulence
  2. अपच Indigestion
  3. पेट में दर्द Stomach ache
  4. मन्दाग्नि Mandagni (Impaired digestive fire)
  5. आध्मान Adhmana (Flatulance with gurgling sound)
  6. कृमि Krimi (Helminthiasis/Worm infestation)
  7. अतिसार, एमीबियासिस Amoebiasis Diarrhoea
  8. रक्त मिश्रित आंव bacillary dysentery

इसब्बेल सेवन विधि और मात्रा | Dosage of Isabbael in Hindi

  • 5-10 ग्राम, दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
  • इसे पानी के साथ निगल लें।
  • इसे भोजन करने के बाद लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

सावधनियाँ / साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side effects/Contraindications in Hindi

  1. गर्भावस्था में कोई दवा बिना डॉक्टर की सलाह के न लें।
  2. इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
  3. इसे ज्यादा मात्रा में न लें।
  4. इसे बताई मात्रा से अधिकता में न लें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*