जापानी एम कैप्सूल Japani M in Hindi, पुरुषों के लिए एक आयुर्वेदिक वाजीकारक है। जापानी एम में M, Males के लिए है। इसी तरह एक और दवा जापानी एफ है, f = female जो महिलाओं के लिए है।
जापानी M एक बलवर्धक, जोशवर्धक, ओजवर्धक टॉनिक है। यह मुख्य रूप से यौन दुर्बलता या शक्ति को बढ़ाने के लिए पुरुषों के द्वारा लिया जा सकता है। यह प्रजनन अंगों को ताकत दे और टेस्टोस्टेरोन के लेवल को बढ़ा यौन शक्ति को बढ़ाता है। इसमें शिलाजीत, सफेद मूसली के अतिरिक्त अन्य वाजीकारक औषधियां अकरकरा, अश्वगंधा,शतावरआदि हैं।
जापानी M कैप्सूल, के एक या दो कैप्सूल को दूध या पानी के दिन में दो बार लिया जा सकता है।
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Japani M (Chatarbhuj Pharmaceuticals) is Herbomineral Ayurvedic medicine. It is used for vitality, virility, and for improving strength and stamina. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.
- दवा का नाम: जापानी एम कैप्सूल Japani M, जपानी कैप्सूल आदमियों के लिए
- निर्माता: Chatarbhuj Pharmaceuticals
- उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
- दवाई का प्रकार हर्ब और शुद्ध पारद-शुद्ध गंधक युक्त दवाई
- मुख्य उपयोग: Japani m 10 Capsule used for virility, vitality, pleasure, strength पुरुषों के लिए टॉनिक
- मुख्य गुण: एंटीऑक्सीडेंट, रसायन, टॉनिक
- दवा का अनुपान: दूध
- मूल्य MRP: एमआरपी INR 297
जापानी एम कैप्सूल के घटक | Ingredients of Japani M in Hindi
Each 500 mg capsule contains
- शिलाजीत Shilajeet extract 75 mg
- केशर Saffron 2.5 mg
- असगंध Ashwagandha 75 mg
- केवांच Kaunch beej 50 mg
- अकरकरा Akarkara 20 mg
- शतावर Shatavari 50 mg
- वंग भस्म Vang bhasma 5 mg
- विधारा Vidhara 50 mg
- मुस्ली Safed Musli 50 mg
- जावित्री Javitri 10 mg
- मन मथ रस Manmathabhra Ras 30 mg
- अभ्रक भस्म Abhrak Bhasm 10 mg
- स्वर्ण वंग Swarna Bang 7.5 mg
- जायफल Jaiphal 10 mg
- रस सिन्दूर Ras Sindoor 10 mg
- मकरध्वज Makardhwaj 10 mg
- पुष्पधन्वा रस Pushpadhanwa Ras 30 mg
- कपूर Kapoor 5 mg
- Excipients Q.S.
जानिए जापानी – एम कैप्सूल की मुख्य जड़ी-बूटियों को
पुष्पधन्वा रस
पुष्पधन्वा रस आयुर्वेदिक का एक रस रसायन है। यह एक क्लासिकल आयुर्वेदिक दवा है जिसका वर्णन आयुर्वेदिक ग्रंथों में मिलता है। यह दवा कामोत्तेजक, कायाकल्प और शुक्राणुकारक दवा का उत्कृष्ट संयोजन है तथा सभी तरह की कामुकता और प्रजनन संबंधी विकारों के लिए बहुत उपयोगी है। पुष्पधन्वा रस यौन विकारों के उपचार में प्रयोग की जाती है। यह बांझपन, शीघ्रपतन, इरेक्टाइल डिसफंक्शन आदि पुरुषो रोगों में लाभप्रद है। यह कामेच्छा बढ़ाने के लिए अच्छी दवा है,
मकरध्वज
मकरध्वज (Makardhwaj) नपुंसकता, शीघ्रपतन, स्तंभन दोष, इरेक्टाइल डिसफंक्शन और अन्य स्थितियों के उपचार के लिए प्रयोग किया जाता है। यह एक इनोर्गानिक पदार्थ है तथा सल्फाइड ऑफ़ मरकरी और गोल्ड का कॉम्बिनेशन है। मकरध्वज को सोने, पारद और गंधक को एक निश्चित अनुपात में, आयुर्वेद में बताये गए तरीकों से बनाया जाता है। मकरध्वज का सेवन शरीर, दिल, और दिमाग को ताकत देता है।
मूसली
मूसली को वियाग्रा का विकल्प कहा जा सकता है। मुस्ली का सेवन शरीर और मन को फिर से दुर्बलता को दूर करता है। इसके सेवन से कामेच्छा, शुक्राणुओं की संख्या बढ़ जाती है और सामान्य दुर्बलता का इलाज होता है। यह एक शक्तिशाली पुरुष और महिला यौन उत्तेजक के रूप में काम करता है। यह रक्त और वीर्य वर्धक है।
जायफल
जायफल या जातीफल एक प्रसिद्ध मसाला है। यह मिरिस्टिका फ्रेगरेंस वृक्ष के फल में पाए जाने वाले बीज की सुखाई हुई गिरी है। जायफल और जावित्री दोनों एक ही बीज से प्राप्त होते हैं। जायफल की बाहरी खोल outer covering या एरिल को जावित्री Mace कहते है और इसे भी मसाले की तरह प्रयोग किया जाता है। भारत में जायफल के वृक्ष तमिलनाडु में और कुछ संख्या में केरल, आंध्र प्रदेश, निलगिरी की पहाड़ियों में पाए जाते है।
जायफल को बाजिकारक aphrodisiac दवाओं और तेल को तिलाओं में डाला जाता है। यह पुरुषों की इनफर्टिलिटी, नपुंसकता, शीघ्रपतन premature ejaculationकी दवाओं में भी डाला जाता है। यह इरेक्शन को बढ़ाता है लेकिन स्खलन को रोकता है। यह शुक्र धातु को बढ़ाता है। यह बार-बार मूत्र आने की शिकायत को दूर करता है तथा वात-कफ को कम करता है।
वंग भस्म
वंग भस्म का मुख्य प्रभाव मूत्र अंगों और जननांगों पर होता है। इसे पुरुषों और स्त्रियों के प्रजनन अंगों सम्बंधित रोगों में प्रयोग किया जाता है। यह पुरुष की इन्द्रिय को ताकत देती है, शुक्र धारण में सहयोग करती है, वीर्य को गाढ़ा करती है तथा नामर्दी, शीघ्रपतन, पेशाब के साथ शुक्र जाना, स्वप्न में स्खलन, हस्तमैथुन आदि में रोगों को नष्ट करती है। इसे आयुर्वेद में शुक्रक्षय, स्वप्नमेह, शुक्र स्खलन, नपुंसकता की सर्वोत्तम औषधि माना गया है।
शिलाजीत
शिलाजीत प्रजनन अंगों पर काम करता है। यह रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है और प्रतिरक्षा में सुधार करता है। यह पुरानी बीमारियों, शरीर में दर्द और मधुमेह में राहत देता है। इसके सेवन शारीरिक, मानसिक और यौन शक्ति देता है। शिलाजीत को हजारों साल से लगभग हर बीमारी के उपचार में प्रयोग किया जाता रहा है। आयुर्वेद में यह कहा गया है की कोई भी ऐसा साध्य रोग नहीं है जो की शिलाजतु के प्रयोग से नियंत्रित या ठीक नहीं किया जा सकता। शिलाजीत प्रमेह रोगों की उत्तम दवा है।
रसायन गुणों के कारण शिलाजीत कैप्सूल शरीर के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को सही करने वाली दवा है। इसके सेवन से प्रतिरक्षा प्रणाली पर उत्तेजक प्रभाव पड़ता है, रोगों से बचाव होता है व शरीर के अंगों के सही काम करने में सहयोग होता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट, एंटीएजिंग, एंटीडायबिटिक, प्रमेहनाशक, वाजीकारक, एंटीअल्सर, जोशवर्धक, बलवर्धक गुणों के साथ ही अन्य बहुत से गुण हैं।
शिलाजीत, हिमालय की चट्टानों से निकलने वाला पदार्थ है। आयुर्वेद में औषधीय प्रयोजन के लिए शिलाजीत को शुद्ध करके प्रयोग किया जाता है। यह एक adaptogen है और एक प्रमुख आयुर्वेदिक कायाकल्प टॉनिक है। यह पाचन और आत्मसात में सुधार करता है। आयुर्वेद में, इसे हर रोग के इलाज में सक्षम माना जाता है। इसमें अत्यधिक सघन खनिज और अमीनो एसिड है।
शिलाजीत पुरुषों के लिए विशेष लाभप्रद है क्योंकि इसके सेवन से शरीर में टेस्टोस्टेरोन का लेवल बढ़ता है।
टेस्टोस्टेरोन पुरुषों के वृषण और एड्रेनल ग्लैंड से स्रावित होने वाला एंड्रोजन समूह का एक स्टीरॉएड हार्मोन है। यह प्रमुख पुरुष हॉर्मोन है जो की एनाबोलिक स्टीरॉएड है। टेस्टोस्टेरॉन पुरुषों में उनके प्रजनन अंगों के सही से काम करने और पुरुष लक्षणों जैसे की मूंछ-दाढ़ी, आवाज़ का भारीपन, ताकत आदि के लिए जिम्मेदार है। यह पुरुष के शरीर में बालों का डिस्ट्रीब्यूशन, बोन मॉस, मसल्स मास, फैट का डिस्ट्रीब्यूशन, आवाज़, समेत सेक्स ड्राइव, और स्पर्म के बनने का भी कारण है।
यदि टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम हो जाता है तो यौन प्रदर्शन पर सीधे असर पड़ता है, जैसे की इंद्री में शिथिलता, कामेच्छा की कमी, चिडचिडापन, सेक्स में अरुचि, नपुंसकता, प्रजनन क्षमता की कमी आदि।
क्योंकि शिलाजीत कैप्सूल का सेवन टेस्टोस्टेरोन को बढ़ाता है और इसलिए यह यौन प्रदर्शन को सुधारने में भी लाभप्रद है।
अश्वगंधा
अश्वगंधा को असगंध, आसंध और विथानिया, विंटर चेरी आदि नामों से जाना जाता है। इसकी जड़ को सुखा, पाउडर बना आयुर्वेद में वात-कफ शामक, बलवर्धक रसायन की तरह प्रयोग किया जाता है। यह एक टॉनिक दवा है। यह शरीर को बल देती है। असगंध तिक्त-कषाय, गुण में लघु, और मधुर विपाक है। यह एक उष्ण वीर्य औषधि है। यह वात-कफ शामक, अवसादक, मूत्रल, और रसायन है जो की स्पर्म काउंट को बढ़ाती है।
- अश्वगंधा जड़ी बूटी पुरुषों में यौन शक्ति बढ़ाने के लिए प्रयोग की जाती है।
- यह पुरुष प्रजनन अंगों पर विशेष प्रभाव डालती है।
- यह पुरुषों में जननांग के विकारों के लिए एक बहुत ही अच्छी दवा है।
- यह वीर्य की मात्रा और गुणवत्ता को बढ़ाने में भी मदद करती है।
- यह शुक्र धातु की कमी, उच्च रक्तचाप, मूर्छा भ्रम, अनिद्रा, श्वास रोगों, को दूर करने वाली उत्तम वाजीकारक औषधि है।
आकारकरभ
आकारकरभ, अकरकरा, करकरा आदि एनासाइक्लस पायरेथम के संस्कृत नाम हैं। इसका अरेबिक नाम आकिरकिर्हा, ऊदुलकई और फ़ारसी में तर्खून कोही है। इंग्लिश में इसे पाइरेथ्रम रूट, पेलेटरी रूट, स्पेनिश पेलिटरी Pellitory Root आदि नामों से जानते हैं। अकरकरा में मूत्रल, वाजीकारक, बुद्धिवर्धक, कफनाशक, उत्तेजक और पित्तवर्धक गुण पाए जाते हैं। यह काम शक्ति को बढ़ाने और वाजीकारक की तरह, आंतरिक और बाहरी, दोनों ही तरह से प्रयोग किया जाता है। बाहरी रूप से इसका लेप (तिला के रूप में) और आंतरिक रूप से इसे चूर्ण की तरह प्रयोग किया जाता है। इसका सेवन उत्तेजना लाता है और इन्द्रिय को अधिक खून की सप्लाई करता है।
जापानी – एम कैप्सूल कर्म | Principle Action in Hindi
- बाजीकरण: द्रव्य जो रति शक्ति में वृद्धि करे।
- रसायन: द्रव्य जो शरीर की बीमारियों से रक्षा करे और वृद्धवस्था को दूर रखे।
- वृष्य: द्रव्य जो बलकारक, वाजीकारक, वीर्य वर्धक हो।
- शुक्रकर: द्रव्य जो शुक्र का पोषण करे।
जापानी एम कैप्सूल के फायदे | Benefits of Japani M in Hindi
- यह दवा आयुर्वेद के प्रमुख वाजीकारक, बलवर्धक, जोशवर्धक और जीवनीय द्रव्यों से निर्मित हैं।
- यह दवा शक्तिवर्धक, जोश वर्धक, और वाजीकारक औषधि है।
- इसके सेवन से प्रजनन अंगों को ताकत मिलती है और यौन दुर्बलता दूर होती है।
- यह स्पर्म काउंट को बढाता है और इरेक्शन में भी मदद करता है।
- शरीर में यदि कमजोरी है तो सेक्स परफॉरमेंस भी कमजोर होगा। मूसली, अश्वगंधा, कौंच,अकरकरा, आदि जैसे द्रव्य प्रजनन अंगों को पुष्ट करते हैं और वीर्य की मात्रा और गुणवत्ता में सुधार करते हैं। शुक्राणुओं के संख्या में इसके सेवन से वृद्धि संभव है।
- इसके सेवन से स्तम्भन दोष जिसे इरेक्टाइल डिसफंक्शन भी कहते हैं, में भी लाभ हो सकता है। यह उत्तम वाजीकारक हैं और कामेच्छा शक्ति को बढ़ाता है।
- यदि आप का वज़न कम हैं तो इसे दवा का सेवन पाचन के अनुसार कुछ समय तक दूध के साथ दिन में दो बार करके देखें। अगर आपका पाचन कमजोर है तो अधिक मात्रा में सेवन न करें, इससे दस्त हो सकते हैं।
जापानी एम कैप्सूल के चिकित्सीय उपयोग | Uses of Japani M in Hindi
आयुर्वेद की मुख्य ८ शाखाएं हैं, इनमें से वाज़ीकरण यौन-क्रियायों की विद्या तथा प्रजनन Sexology and reproductive medicine चिकित्सा से सम्बंधित है। वाज़ीकरण के लिए उत्तम वाजीकारक वनस्पतियाँ और खनिजों का प्रयोग किया जाता है जो की सम्पूर्ण स्वास्थ्य को सही करती हैं और जननांगों पर विशेष प्रभाव डालती है। आयुर्वेद में प्रयोग किये जाने वाले उत्तम वाजीकरण द्रव्यों में शामिल है, अश्वगंधा, शतावरी, गोखरू, केशर आंवला, केवांच, शिलाजीत, मकरध्वज, विधारा, मूसली, आदि।
- यह कामोत्तेजक होती है, स्नायु, मांसपेशियों की दुर्बलता, को दूर करती है तथा धातु वर्धक, वीर्यवर्धक, शक्तिवर्धक तथा बलवर्धक होती हैं।
- बल और ताकत की कमी low strength-stamina
- समय से पहले बाल गिरना premature hair fall
- मांसपेशियों में कमजोरी muscles weakness
- थकावट, स्टैमिना कम होना fatigue
- वीर्य और शुक्र की कमी low semen volume, low sperm count
- पुरुष बाँझपन male infertility
- शरीर पर चर्बी की कमी, बहुत पतला होना emaciation
- सेक्सुअल टॉनिक sexual tonic
- शुक्र कीटों को बढ़ाना increasing Sperm Count
- वाजीकरण improving Sexual Desire
- लिबिडो कम होना कामेच्छा की कमी Low Libido
- यौन दुर्बलता Male Sexual Weakness
- स्वप्नदोष Nocturnal Emission (Night Fall)
- शीघ्रपतन Premature Ejaculation
- स्तम्भन दोष Erectile Dysfunction
सेवन विधि और मात्रा | Dosage of Japani M in Hindi
- 1-2 गोली, दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
- इसे दूध, पानी के साथ लें।
- इसे भोजन करने के बाद लें।
- या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।
जापानी एम कैप्सूल के इस्तेमाल में सावधनियाँ | Cautions in Hindi
- इसका इस्तेमाल चिकित्सक की सलाह के आधार पर 1 महीने तक किया जा सकता है।
- उम्र और ताकत पर विचार करते हुए और किसी वैद्य की विशेषज्ञ सलाह के साथ, दवा का उचित अनुपात में उचित अनुपान के साथ इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
- इस औषधि को केवल विशिष्ट समय अवधि के लिए निर्धारित खुराक में लें।
- इस दवा को डॉक्टर की देख-रेख में ही लें।
- इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
- इसे ज्यादा मात्रा में न लें।
- यह हमेशा ध्यान रखें की जिन दवाओं में पारद, गंधक, खनिज आदि होते हैं, उन दवाओं का सेवन लम्बे समय तक नहीं किया जाता। इसके अतिरिक्त इन्हें डॉक्टर के देख-रेख में बताई गई मात्रा और उपचार की अवधि तक ही लेना चाहिए।
- यह पित्त को बढ़ाता है। इसलिए पित्त प्रकृति के लोग इसका सेवन सावधानी से करें।
- शिलाजीत के सेवन के समय विदाही (जलन करने वाले भोजन) और भारी भोजन नहीं करना चाहिए।
- कुल्थी का सेवन भी नहीं करना चाहिए। आयुर्वेद के कुछ व्याख्याकार ने तो यहाँ तक कहा है जो लोग शिलाजीत का सेवन कर रहे हो उन्हें एक वर्ष तक कुलथी का सेवन नहीं करना चाहिए।
- शिलाजीत उन लोगों को नहीं लेना चाहिए जिनका यूरिक एसिड बढ़ा हुआ है। जिनमें यूरिक एसिड की पथरी हो, गठिया हो उन्हें भी इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- शिलाजीत को अधिक पित्त में भी इसका सेवन सावधानी से किया जाना चाहिए।
जापानी एम कैप्सूल के साइड-इफेक्ट्स | Side effects in Hindi
- निर्धारित खुराक में लेने से दवा का कोई दुष्प्रभाव नहीं है।
- इससे कुछ लोगों में पेट में जलन हो सकती है।
जापानी एम कैप्सूल को कब प्रयोग न करें | Contraindications in Hindi
- इसे खाने से यदि भूख न लगे, पेट खराब हो तो डोज़ को कम करें। यदि लक्षण न जाएँ तो इसे न लें।
- इसमें मकरध्वज है जो की पारद और गंधक के कंपाउंड से बनता है और जिसे लम्बे समय तक नहीं लिया जाना चाहिए।
- इस दवा को डॉक्टर की देख-रेख में ही लें।
- इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
- मोटापा, हृदय रोग, कफ, और स्रोतों इ रुकावट में इसका सेवन नहीं करें।
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