कन्यालोहादि वटी के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

कन्यालोहादि वटी, एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसे एलो वेरा, काशीस, दालचीनी, इलाइची, शुण्ठी आर गुलकंद से बनाया जाता है है। यह दवाई केवल लड़कियों और महिलाओं के लिए है और मासिक दर्म से सम्बंधित विकारों को दूर करती है। इसके सेवन से रजोरोध (मासिक न आना) और मासिक के दौरान दर्द, कम मात्रा में मासिक धर्म का होना आदि नष्ट होते हैं।

इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें।

Kanyalohadi Vati is an Ayurvedic medicine used to induce period and treat scanty bleeding in periods, absence of periods, infertility and painful menstruation. It contains Aloe vera, Kasis, Cinnamon, Cardamom, Dry Ginger and Gulkand. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • पर्याय: कन्यालोहादि गुटिका
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: आयुर्वेदिक
  • मुख्य उपयोग: माहवारी / Menstrual cycle / मासिकधर्म के लिए
  • मुख्य गुण: मासिक लाना, दर्द में राहत देना

कन्यालोहादि वटी के घटक | Ingredients of Kanyalohadi Vati in Hindi

  1. कन्यासरा (कुमारी) – मुसब्बर Kumari Aloe Vera 120 gram (10 तोला)
  2. कासीसशुद्ध Kasis Bhasma 84 gram (7 तोला)
  3. दालचीनी Dalchini 60 gram (5 तोला)
  4. इलाइची Elaichi 60 gram (5 तोला)
  5. शुण्ठी Shunthi 60 gram (5 तोला)
  6. गुलकंद Gulkand 240 gram (20 तोला)

कुमारी, घृत कुमारी, ग्वारपाठा, एलो वेरा का नाम है। रस में यह मधुर-तिक्त, गुण में गुरु, स्निग्ध, पिच्छल, वीर्य में शीत और विपाक में कटु है। यह त्रिदोषहर, शोथहर, वृष्य, और व्रण रोपण है। यह पेट के रोगों, यकृत / लीवर के विकारों, गुल्म समेत प्लीहा और यकृत वृद्धि में लाभप्रद है।

घृत कुमारी (एलो वेरा) में सूजन और दर्द से राहत देने के गुण है। इसमें बीटा-सीटोस्टेरॉल beta-sitosterol होता है जो की शरीर में कोलेस्ट्रॉल और लिपिड के स्तर को कम करता है साथ ही यह सूजन को कम करने में भी सहयोग करता है। आलो-वेरा में एंटी -प्रोस्टाग्लैंडीन भी होता है जो दर्द और सूजन निवारक है।

शुद्ध कसीस, रक्त धातु में वृद्धि करता है और गर्भाशय में खून के प्रवाह को बढ़ाता है।

इला / इलायची, के बीज त्रिदोषहर, पाचक, वातहर, पोषक, विरेचक और कफ को ढीला करने वाला है। यह मूत्रवर्धक है और मूत्र विकारों में राहत देता है। इलाइची के बीज अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, गले के विकार, बवासीर, गैस, उल्टी, पाचन विकार और खाँसी में उपयोगी होते हैं।

दालचीनी या दारुचिनी एक पेड़ की छाल है। यह वात और कफ को कम करती है, लेकिन पित्त को बढ़ाती है। यह मुख्य रूप से पाचन, श्वसन और मूत्र प्रणाली पर काम करती है। इसमें दर्द-निवारक / एनाल्जेसिक, जीवाणुरोधी, ऐंटिफंगल, एंटीसेप्टिक, खुशबूदार, कसैले, वातहर, स्वेदजनक, पाचन, मूत्रवर्धक, उत्तेजक और भूख बढ़ानेवाले गुण है। दालचीनी पाचन को बढ़ावा देती है और सांस की बीमारियों के इलाज में भी प्रभावी है।

अदरक का सूखा रूप सोंठ या शुंठी dry ginger is called Shunthi कहलाता है। एंटी-एलर्जी, वमनरोधी, सूजन दूर करने के, एंटीऑक्सिडेंट, एन्टीप्लेटलेट, ज्वरनाशक, एंटीसेप्टिक, कासरोधक, हृदय, पाचन, और ब्लड शुगर को कम करने गुण हैं। यह खुशबूदार, उत्तेजक, भूख बढ़ाने वाला और टॉनिक है। सोंठ का प्रयोग उलटी, मिचली को दूर करता है।

शुण्ठी पाचन और श्वास अंगों पर विशेष प्रभाव दिखाता है। इसमें दर्द निवारक गुण हैं। यह स्वाद में कटु और विपाक में मधुर है। यह स्वभाव से गर्म है।

गुलकंद को गुलाब के फूलों से बनाया जाता है। यह एक टॉनिक है जो की शरीर को ठंडक देता है। इसको खाने से शरीर में पित्त की अधिकता दूर होती है और कफ से राहत मिलती है। यह कील मुहांसे, कब्ज़, पाइल्स, अल्सर और मासिक के दौरान होने वाले दर्द से राहत देता है। गुलकंद के सेवन से गर्मी के दौरान होने वाले दोष दूर होते है।

कन्यालोहादि वटी के फायदे | Benefits of Kanyalohadi Vati in Hindi

  1. यह शरीर में अधिक वात दोष को दूर करती है।
  2. इसमें वातअनुलोमना और वात-शामक गुण है।
  3. यह गर्भाशय में खून के प्रवाह को बढ़ाती है।
  4. यह मासिक का न होना, कम मात्रा में होना, देर से होना, दर्द के साथ होनो आदि कष्ट को दूर करती है।
  5. यह शरीर में मासिक के दौरान होने वाले दर्द से राहत देती है।
  6. यह शरीर को ठंडक देती है।
  7. इसके सेवन से पित्त की अधिकता और शरीर में बहुत गर्मी दूर होती है।
  8. यह विरेचक है और कब्ज़ में राहत देती है।
  9. इसके सेवन से खून की कमी दूर होती है।

कन्यालोहादि वटी के चिकित्सीय उपयोग | Uses of Kanyalohadi Vati in Hindi

  1. रजोरोध (Obstruction to menstrual flow)
  2. कष्टार्तव, अर्तवा वेदना (Dysmenorrhoea)
  3. अल्प मात्रा में मासिक
  4. मासिक का देर से होना
  5. मासिक समस्या होने के कारण गर्भ न ठहरना

कन्यालोहादि वटी की सेवन विधि और मात्रा | Dosage of Kanyalohadi Vati in Hindi

  1. 1-3 गोली, दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
  2. मासिक न होते हों, तो इसकी 2-3 गोली, कभी-कभी होने पर इसकी 1-2 गोली और दर्द के साथ माहवारी में 1 गोली ले सकते हैं।
  3. इसे पानी के साथ लें।
  4. इसे भोजन करने के बाद लें।
  5. या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side effects/Contraindications in Hindi

  1. इसे गर्भावस्था के दौरान न लें।
  2. इसे बताई मात्रा से अधिकता में न लें।
  3. इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।

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