कुष्ठराक्षस तैल के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

Kushta Rakshasa Taila is an Ayurvedic medicated oil containing herbs and metallic preparations. This oil is applied skin areas externally to treat variety of skin disorders.

कुष्ठराक्षस तैल एक आयुर्वेदिक तेल यह जिसका प्रयोग कोढ़, खुजली, शरीर पर लाल-लाल निशान उभर आना आदि में किया जाता है। इस दवा को भैषज्यरत्नावली के कुष्ठधिकार से लिया गया है। यह तेल केवल बाह्य प्रयोग के लिए है। कुष्ठराक्षस तैल में सरसों का तेल, पारा, गंधक, सिन्दूर, ताम्बे की भस्म, हरिताल, मैनसिल तथा कूठ, सप्तपर्ण, चित्रक, अमलतास के बीज, लहसुन और बाकुची हैं।

Kushta Rakshasa Taila is an Ayurvedic medicated oil containing herbs and metallic preparations. This oil is applied skin areas externally to treat variety of skin disorders.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and how to use in Hindi language.

कुष्ठराक्षस तैल के घटक | Ingredients of Kushta Rakshasa Taila in Hindi

  • सूतक (पारद) शुद्ध 12 g
  • गंधक – शुद्ध 12 g
  • कुष्ठ (Rt.) 12 g
  • 4. सप्तपर्ण (St. Bk.) 12 g
  • चित्रक (Rt.) 12 g
  • सिंदूर (Parada) 12 g
  • रसोना (लशुन) (Bl.) 12 g
  • हरितला 12 g
  • अवलगुजा (बाकुची) (Fr.) 12 g
  • आरग्वध (Sd.) 12 g
  • जीर्ण ताम्रा (Tamra) bhasma 12 g
  • मनःशिला 12 g
  • कटु तैला (सर्षप) 384 g

तेल छोड़, सभी द्रव्य बराबर मात्रा में लेकर, पानी के साथ मिलकर कल्क बना ले। इन्हें कडुवे तेल में मिलाकर बोतल में भरकर धूप में पकाएं।

कुष्ठराक्षस तैल के चिकित्सीय उपयोग | Uses of Kushta Rakshasa Taila in Hindi

  1. कुष्ठ (Diseases of skin)
  2. वातरक्त (Gout)
  3. श्वित्र (Leucoderma/Vitiligo)
  4. कण्डु (Itching)
  5. भगन्दर (Fistula-in-ano)
  6. विचर्चिका (Eczema)
  7. पामा (Eczema)
  8. ममसा वृद्धि (Muscle Hypertrophy)

कुष्ठराक्षस तैल की प्रयोग की विधि

  • यह तेल केवल बाह्य प्रयोग के लिए है।
  • प्रभावित त्वचा पर इसे दिन २ बार लगायें और हल्की मालिश करें।

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