कुटजावलेह के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

कुटजावलेह, वात और कफ डायरिया, दस्त और पेचिश रोगों की अच्छी हर्बल दवा है। यह दवा प्रभावी रूप से आंतों के अमीबी संक्रमण को कम कर देता है। यह ब्लीडिंग डिसऑर्डर, की भी अच्छी दवा है।

कुटजावलेह एक आयुर्वेदिक दवा है। इसमें मुख्य घटक कुटज या कुरुचि है। कुटज के अतिरिक्त इसमें पुराना गुड, त्रिफला, त्रिकटु, दारूहल्दी, बिल्व, विडंग आदि घटक हैं।

कुटजावलेह, वात और कफ डायरिया, दस्त और पेचिश रोगों की अच्छी हर्बल दवा है। यह दवा प्रभावी रूप से आंतों के अमीबी संक्रमण को कम कर देता है। यह ब्लीडिंग डिसऑर्डर, की भी अच्छी दवा है। यह दवा कोलाईटिस, पीलिया, खून की कमी, अरूचि, पाइल्स आदि में भी प्रयोग की जाती है।

Kutajavaleha is Ayurvedic herbal medicine used in treatment of diarrhea, dysentery, bleeding disorders, liver disorders, inflammation, piles etc. The chief ingredient of this medicine is Kutaj. The botanical name of Kutaj is Holarrhena antidysnterica. It is scientific proven herb to treat amebic infection of digestive system. It is effective against many bacterial strains.

Holarrhena antidysenterica has amoebicidal, antidysenteric, anthelmintic, antiperiodic, febrifugic and diuretic activities.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

कुटजावलेह के घटक | Ingredients of Kutajavaleha in Hindi

  • कुटज की छाल (Kutaja) (St. Bk.) 4.800 kg
  • Water for Decoction 12.288 liter reduced to 3.072 liter
  • गुड़ 1.440 kg
  • रसांजन (दारूहरिद्र ) (St.Ext.) 48 g
  • मोचरस (शाल्मली ) (Exd.) 48 g
  • शुंठी (Rz.) 48 g
  • मरीचा (Fr.) 48 g
  • पिप्पली (Fr.) 48 g
  • हरीतकी (P.) 48 g
  • बिभीतकी (P.) 48 g
  • आमलकी (P.) 48 g
  • लज्जालु (Pliter) 48 g
  • चित्रक (Rt.) 48 g
  • पाठा (Rt.) 48 g
  • बिल्व (Fr.R.) 48 g
  • इंद्रायव (Kutaja) (Sd.) 48 g
  • त्वक (St. Bk.) 48 g
  • भल्लाटका -शुद्ध (Sd.) 48 g
  • प्रतिविष (अतिविष ) (Rt.) 48 g
  • विडंग (Fr.) 48 g
  • बालका (हरिवेरा ) (Rt.) 48 g
  • घृत 192 g
  • मधु 192 g

कुटजावलेह के लाभ | Benefits of Kutajavaleha in Hindi

  • यह पेचिश रोगों की अच्छी हर्बल दवा है।
  • यह दीपन, पाचन है।
  • इसके सेवन से खून में वृद्धि होती है।
  • यह पुराने दस्त, पेचिश, बवासीर, एनीमिया, उल्टी, पुराने अपच, आदि में प्रभावी है।

कुटजावलेह के चिकित्सीय उपयोग | Uses of Kutajavaleha in Hindi

  • अम्लपित्त (Dyspepsia)
  • अतिसार (Diarrhea)
  • वाता and कफा डायरिया
  • ग्रहणी (Malabsorption syndrome)
  • प्रवाहिका (Dysentery)
  • क्रोनिक डायरिया , कोलाइटिस
  • रक्तपित्त (Bleeding disorder)
  • अर्श (Hemorrhoids)
  • अरुचि (Tastelessness)
  • पाण्डु (Anemia)
  • कामाला (Jaundice)
  • शोथा (Inflammation)
  • कर्ष्य (Emaciation)

कुटजावलेह की सेवन विधि और मात्रा Dosage of Kutajavaleha in Hindi

  • 1-2 टीस्पून दिन में दो से तीन बार लें।
  • इसे पानी, छाछ या घी के साथ लें।
  • इसे भोजन करने के बाद लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।

This medicine is manufactured by Baidyanath (Kutjawaleh/Kutjavaleh).

7 thoughts on “कुटजावलेह के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

  1. मुझे ग्रहणी रोग है | 3 या 4 दिन लँट्रीन को जाने की इच्छा नही होती | पुराना से पुराना कब्ज है | 4 दिन के बाद भी मलत्याग नही होता | क्रपया दवा और परहेज बताएँ |

  2. मुझे अपच है मेरी उम्र 42 साल है 7 सालों से लैट्रीन पतली ही होती है। पहले मेरा पेट निकला था। 78 किलो वजन था गैस की बहुत समस्या थी एक वैद्य से इलाज कराया । शायद सनाय की पत्ती अधिक दे दी जिससे लैट्रीन तब से पतली ही होती है एक या दो बार ही लैट्रीन जाता हूं। भूख भी नहीं लगती केवल एक समय खाना खाता हूं गैस भी खूब बनती है क्या करूँ वजन भी 58 किलो बचा है लंबाई 5 फ़ीट 6 इंच है । कृपया कोई उपाय बताएं

  3. Mujhe apach ke sath dast ki problem hai one year se bahut kamjor ho gaya hun medical report sab normal hai tow day today pet kharab hota hai bahut jayda effect karta hai keya my ye dawa le sacta hun please reply.

    • जी यह पेट के इन्फेक्शन के लिए है, आप खान पान सही करिए और थोडा व्यायाम करिए

  4. बारिश में आंखों से पानी, खुजली आती है।

    बारिश के दिनों में लगातार छींक आती है।

    सर्दी 12 महीने बनी रहती है।

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