मानसमित्र वटकम अथवा मानसामित्रावटक (गुटिका/गुलिका), आयुर्वेद की क्लासिकल दवाई है जो टेबलेट्स के रूप में उपलब्ध है इसे मानसमित्र वटी भी कहते हैं। यह दवा मानसिक रोगों के लिए है। इसका उपयोग अवसाद, एंग्जायटी, मनोविकृति, सिजोफ्रेनिया, दौरे, पागलपन/उन्माद, मिर्गी आदि में किया जाता है।
मानसमित्र वटकम दवा का फोर्मुलेशन सहस्र् योगम के गुटिका प्रकरण में दिया गया है। इसे मुख्य रूप से दक्षिण भारत की आयुर्वेदिक फार्मसियों द्वारा बनाया जाता है। मानसमित्र वटी को चिकित्सक के पर्यवेक्षण के तहत ही लिया जाना चाहिए। बच्चों में इसे मस्तिष्क के कार्यों, स्मृति और एकाग्रता में सुधार करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
मानसमित्र वटकम स्वर्ण युक्त दवा है। इसमें स्वर्ण भस्म डाली जाती है जो इसके रसायन गुण को और बढ़ा देती है। दवा के फोर्मुले में ही स्वर्ण का प्रयोग है इसलिए यह औषधि मानसमित्र वटकम स्वर्ण युक्त अथवा मानसमित्र वटकम गोल्ड के नाम से भी जानी जाती है। स्वर्ण डालने से दवा में रसायन और कायाकल्प के गुण बढ़ जाते हैं।
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जिन दवाओं में धातुओं की भस्में डली होती हैं, उन्हें लेने में विशेष सावधानी रखनी चाहिए। धातु होने से इन दवाओं में मिनरल होते हैं जिन्हें दैनिक की अनुसंशित मात्रा से अधिक और लम्बे समय तक लेना ठीक नहीं है।
Manasamitra Vatakam is used for mental disorders (schizophrenia, anxiety, panic disorders, bipolar disorder, mood disorders), stress disorders and depression. It has effects on mind and brain. It has neuroprotective and antioxidant action and supports better functioning of brain. It is safe to take medicine in recommended dosage under medical supervision.
Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.
- पर्याय: मानसमित्र वटी, मानसमित्र वटक, मानसमित्र वटकम, मानवमित्रम गुलिका, Manasamitra Vatakam Gulika, Manasamitra Vatakam, Manasamitra Vataka
- उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
- दवाई का प्रकार: हर्बोमिनरल दवा
- मुख्य उपयोग: मानसिक रोग
- मुख्य गुण: दिमाग के सही ढंग से काम करने में सहयोग करना
मानसमित्र वटी के घटक | Ingredients of Manasamitra Vatakam in Hindi
- बला Bala (Rt.) 1 Part
- नागबला Nagabala (Rt.) 1 Part
- बेल Bilva (Rt./St.Bk.) 1 Part
- प्रिश्निपर्णी Dhavanimula (Prishniparni) (Pl.) 1 Part
- शखपुष्पि Shankhapushpi (Pl.) 1 Part
- ताम्रचुडापीड़िका TamrachudaPadika (Pl.) 1 Part
- पुष्कर मुला Pushkara mula (Pushkara) (Rt.) 1 Part
- वच Vaca (Rz.) 1 Part
- सफ़ेद चन्दन Shveta Candana (Ht.Wd.) 1 Part
- लाल चन्दन Raktacandana (Ht.Wd.) 1 Part
- मधुका Madhuka (Fl.) 1 Part
- दालचीनी Tvak (St.Bk.) 1 Part
- मागधी पीपली Magadhi (Pippali) (Fr.) 1 Part
- ऐलेया Aileya (Elavaluka) (Sd.) 1 Part
- अक्लारी Arkaraga (Aklari) (Pl.) 1 Part
- निर्गुन्डी Nirgundikamula (Nirgundi) (Rt.) 1 Part
- प्लाया Plava (Rz.) 1 Part
- रसना Rasna (Rt./Lf.) 1 Part
- गोजिह्व Gojihva (Pl.) 1 Part
- पद्म केसर Padma kesara (Adr.) 1 Part
- जीवक Jivaka (Rt.Tr.) 1 Part
- ऋषभग Rishabhaka (Rt.Tr.) 1 Part
- काकोली Kakoli (Sub.Rt.) 1 Part
- क्षीर काकोली Kshirakakoli (Sub.Rt.) 1 Part
- बृहती Brihati (Pl.) 1 Part
- कंटकारी Kshudra (Kantakari) (Pl.) 1 Part
- श्रावणी Shravani (Munditika) (Pl.) 1 Part
- महाश्रावणी Mahashravni (Munditika) (Pl.) 1 Part
- भुनिम्ब Bhunimba (Kiratatikta) (Pl.) 1 Part
- अमलतास Kritamala (Aragvadha) (St.Bk.) 1 Part
- परुषाका Parushaka (Rt.) 1 Part
- हरीतकी Haritaki (P.) 1 Part
- विभितकी Bibhitaka (P.) 1 Part
- आमलकी Amalaki (P.) 1 Part
- गिलोय Amrita (Guduci) (St.) 1 Part
- सफ़ेद सारिवा Shveta Sariva (Rt.) 1 Part
- काला सारिवा Krishna Sariva (Rt.) 1 Part
- जीवन्ति Jivanti (Rt.) 1 Part
- सोमवल्ली Somavalli (Pl.) 1 Part
- अश्वगंधा Hayagandha (Ashvagandha) (Rt.) 1 Part
- उशीर Ushira (Rt.) 1 Part
- द्राक्षा Draksha (Dr.Fr.) 1 Part
- मुलेठी Yashtyahvaya (Yashti) (Rt.) 1 Part
- रिद्धि Riddhi (Sub. Rt. Tr.) 1 Part
- दूर्वा Durva (Pl.) 1 Part
- ह्सापादी Hasapadi (Pl.) 1 Part
- भद्र Bhadra (Pl.) 1 Part
- लवंग Lavanga (Fl.Bd.) 1 Part
- तुलसी Tulasi (Lf.) 1 Part
- केशर Kunkuma (Stl./Stg) 1 Part
- त्रवंती Trayanti svarasa (Trayamana) (Pl.) Q.S.
- शंखपुष्पि काढ़ा Shankhapushpi- kashaya (Pl.) Q.S.
- वच काढ़ा Vacatoya (Vaca) – kashaya (Rz.) Q.S.
- सफ़ेद सारिवा काढ़ा Ananta (shvetasariva) – kashaya (Rt.) Q.S.
- लक्ष्मणा काढ़ा Lakshmana- kashaya (Rt.) Q.S.
- बेल की जड़ का काढ़ा Bilva – kashaya (Rt.) Q.S.
- बला की जड़ का काढ़ा Balamula – kashaya (Rt.) Q.S.
- गाय का दूध Gokshira (Godugdha) Q.S.
- जीरक क्वाथ Jiraka kvatha (Shveta jiraka) (Fr.) Q.S.
- पान का रस Somavalli – svarasa (Pl.) Q.S.
- कस्तूरी Kasturi (Mrigamada) 1 Part
- कपूर Ghanasaraka (Karpura) (Sub.Ext.) 1 Part
- शिलाजीत Shaileya (Shilajatu) – shuddha 1 Part
- प्रवाल पिष्टी Vidruma (Pravala) – Pishti 1 Part
- मोती पिष्टी Mauktika (Mukta) – Pishti 1 Part
- स्वर्णमाक्षिक Tapya (Svarnamakshika) 1 Part
- स्वर्ण भस्म Hema (Svarna) – Bhasma 1 Part
- मृगश्रिंग भस्म Mrigashringa Bhasma 1 Part
- लोह भस्म Kalaloha (Lauha) – Bhasma 1 Part
- रजत भस्म Rajata bhasma 1 Part
- स्तन दूध (गाय का दूध) Stanya Q.S.
जानिये मानसमित्र वटी में प्रयोग प्रमुख द्रव्यों को
शिलाजीत, हिमालय की चट्टानों से निकलने वाला पदार्थ है। आयुर्वेद में औषधीय प्रयोजन के लिए शिलाजीत को शुद्ध करके प्रयोग किया जाता है। यह एक adaptogen है और एक प्रमुख आयुर्वेदिक कायाकल्प टॉनिक है। यह पाचन और आत्मसात में सुधार करता है। आयुर्वेद में, इसे हर रोग के इलाज में सक्षम माना जाता है। इसमें अत्यधिक सघन खनिज और अमीनो एसिड है।
शिलाजीत प्रजनन अंगों पर काम करता है। यह रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है और प्रतिरक्षा में सुधार करता है । यह पुरानी बीमारियों, शरीर में दर्द और मधुमेह में राहत देता है। इसके सेवन शारीरिक, मानसिक और यौन शक्ति देता है।
आयुर्वेद में शंखपुष्पि Convolvulus pluricaulis दवा की तरह पूरे पौधे को प्रयोग करते हैं।
शंखपुष्पि उन्माद, पागलपण और अनिद्रा को दूर करने वाली औषध है। यह स्ट्रेस, एंग्जायटी, मानसिक रोग और मानसिक कमजोरी को दूर करती है। शंखपुष्पि एक ब्रेन टॉनिक है।
- रस: कटु, तिक्त, काषाय
- वीर्य: शीतल
- विपाक: कटु
- गुण: सार
- दोष पर प्रभाव: कफ-पित्त कम करना
शंखपुष्पि पित्तहर, कफहर, रसायन, मेद्य, बल्य, मोहनाशक और आयुष्य है। यह मानसरोगों और अपस्मार के इलाज में प्रयोग की जाने वाली वनस्पति है।
त्रिफला (फलत्रिक, वरा) आयुर्वेद का सुप्रसिद्ध रसायन है। यह आंवला, हर्र, बहेड़ा को बराबर मात्रा में मिलाकर बनता है। यह रसायन होने के साथ-साथ एक बहुत अच्छा विरेचक, दस्तावर भी है। इसके सेवन से पेट सही से साफ़ होता है, शरीर से गंदगी दूर होती है और पाचन सही होता है। यह पित्त और कफ दोनों ही रोगों में लाभप्रद है। त्रिफला प्रमेह, कब्ज़, और अधिक पित्त नाशक है। यह मेदोहर और कुछ दिन के नियमित सेवन से वज़न को कम करने में सहायक है। यह शरीर से अतिरिक्त चर्भी को दूर करती है और आँतों की सही से सफाई करती है।
वच को कैलमस रूट, स्वीट फ्लैग, उग्रगंध आदि नामों से जानते हैं। इसका लैटिन नाम एकोरस कैलमस Acorus calamus है। वच का शाब्दिक अर्थ है बोलना, और यह हर्ब कंठ के लिए अच्छी है।
- रस: कटु, तिक्त, काषाय
- वीर्य: उष्ण
- विपाक: कटु
- गुण: लघु, रूक्ष
- दोष पर प्रभाव: कफ-पित्त कम करना, पित्त बढ़ाना
वच दीपन, पाचन, लेखन, प्रमाथि, कृमिनाशक, उन्मादनाशक, अपस्मारघ्न, और विरेचक है। यह मस्तिष्क के लिए रसायन है और शिरोविरेचन है। वच को गर्भावस्था में प्रयोग करने का निषेध है।
सुवर्ण, कनक, हेम, हाटकं, ब्रह्मकंचन, चामिकरा, शतकुम्भ, तपनीय, रुक्कम जाबूनद हिरण्य, सुरल, व जातरूपकम आदि सभी सोने अर्थात स्वर्ण के नाम हैं.
स्वर्ण की भस्म में सोना बहुत ही सूक्ष्म रूप में (नैनो मीटर 10-9) विभक्त होता है. इसके अतिरिक्त इसके शोधन और मारण में बहुत सी वनस्पतियाँ प्रयोग की जाती हैं. इन कारणों से स्वर्ण की भस्म शरीर की कोशिकायों में सरलता से प्रवेश कर जाती हैं और इस प्रकार यह शरीर का हिस्सा बन जाती हैं.
आयुर्वेद में स्वर्ण भस्म का विशेष स्थान है. यह शारीरिक और मानसिक शक्ति में सुधार करने वाली औषध है। यह हृदय और मस्तिष्क को विशेष रूप से बल देने वाली है. आयुर्वेद में हृदय रोगों और मस्तिष्क की निर्बलता में स्वर्ण भस्म को सर्वोत्तम माना गया है.
स्वर्ण भस्म आयुष्य है और बुढ़ापे को दूर करती है. यह भय, शोक, चिंता, मानसिक क्षोभ के कारण हुई वातिक दुर्बलता को दूर करती है. बुढ़ापे के प्रभाव को दूर करने के लिए स्वर्ण भस्म को मकरध्वज के साथ दिया जाता है.
हृदय की दुर्बलता में स्वर्ण भस्म का सेवन आंवले के रस अथवा आंवले और अर्जुन की छाल के काढ़े अथवा मक्खन दूध के साथ किया जाता है.
रजत भस्म आयुर्वेद की रसायन औषधि है। यह विभिन्न रोगों को नष्ट करने वाली दवाई है। यह मुख्य रूप से वात शामक है। इसका मुख्य कार्य गुर्दों, तंत्रिकाओं nerves और मस्तिष्क पर होता है। बीसों प्रकार के प्रमेह, वात रोगों, पित्त प्रकोप, नेत्र रोग, प्लीहा वृद्धि, यकृत वृद्धि, धातु कमजोरी, मूत्र के रोगों में इसका प्रयोग उत्तम परिणाम देता है।
यह उत्तम वृष्य और रसायन है। रजत भस्म को स्मृति हानि, चक्कर आना dizziness, बहुत अधिक प्यास लगना, प्रमेह आदि में प्रयोग करते हैं।
लौह भस्म आयरन का ऑक्साइड है और आयुर्वेद बहुत अधिक प्रयोग होता है। यह क्रोनिक बिमारियों के इलाज़ के लिए प्रयोग किया जाता है। यह पांडू रोग या अनीमिया को नष्ट करता है।
मानसमित्र वटी दवा के औषधीय कर्म
- वातहर: वायु को संतुलित करना।
- उन्मादहर: उन्माद / पागलपन को दूर करना।
- प्रजनाशक्तिवर्धन: मेद्य को बढ़ाना।
- हृदय: हृदय के लिए लाभकारी।
- मज्जाधातु रसायन: नसों के लिए लाभदायक।
- आयुष्य: जीवनीय
- बल्य: ताकत देना।
- निद्राजनन: नींद लाने वाला। sedative
- मेद्य: बुद्धिवर्धक intellect-promoting
- मनोरोग्घ्न: मानसिक रोगों को दूर करना। Alleviates mental diseases
मानसमित्र वटी के लाभ / फायदे | Benefits of Manasamitra Vatakam in Hindi
- यह एक हर्बोमिनेरल दवा है जिसमें न्यूरो प्रोटेक्टिव गुण है।
- यह दिमाग के सही ढंग से काम करने में मदद करने वाली दवा है।
- यह संज्ञानात्मक कमी cognitive deficits दूर करने में सहायक है।
- इसमें एंटी-स्ट्रेस, एंटी-डिप्रेशन, सूजन दूर करने के, एंटीऑक्सिडेंट आदि गुण हैं।
- यह मनोवैज्ञानिक स्थितियों के लिए बहुत उपयोगी आयुर्वेदिक दवा है।
- यह रक्त परिसंचरण और मस्तिष्क कोशिकाओं को ऑक्सीजन की आपूर्ति कर दिमाग के फंक्शन में सुधार लाती है।
- मस्तिष्क कार्यों में सुधार, और स्मृति में वृद्धि और एकाग्रता में इसके सेवन से बढ़ोतरी होती है।
- यह चिंता कम करने और चिंता के कारण होने वाली एंग्जायटी को रोकने के लिए लाभदायक है।
- यह बेचैनी, थकावट, और घबराहट को कम करती है।
- यह निद्रा में सहायक है, इसके सेवन से नींद आती है, है मन को शांत होता है है, और नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है।
- यह अल्जाइमर, स्कीज़ोफ्रेनिया आदि में भी उपयोगी है।
- यह भाषण समस्याओं में सुधार करने और बच्चों की दिमाग सम्बन्धी समस्याओं के लिए भी उपयोगी है।
मानसमित्र वटी के चिकित्सीय उपयोग | Uses of Manasamitra Vatakam in Hindi
- मनोदशा Manodosha (Mental disorder)
- उन्माद Unmada (Mania/Psychosis)
- मिर्गी Apasmara (Epilepsy)
- मंदबुद्धि Mandabuddhitva (Retarded intellect)
- बोलने में दिक्कत Vakdosha (Disorder of speech)
- विसूचिका Vishucika (Gastroenteritis with piercing pain)
- नशा Mada (Intoxication)
- बेहोशी Murccha (Syncope)
- कोमा Samnyasa (Coma)
- मानसिक रोग Bhuta Badha (Psychological disorder)
- सांप का जहर Sarpa Visha (Snake poison)
- ओसीडी obesessive compulsive disorder
- तथा अन्य मस्तिष्क सम्बन्धी रोग
मानसमित्र वटी की सेवन विधि और मात्रा | Dosage of Manasamitra Vatakam in Hindi
- 1 गोली, दिन में एक या दो बार या तीन बार, लें।
- इसे दूध के साथ लें।
- इसे भोजन करने के बाद लें।
- या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।
सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side effects/Contraindications in Hindi
- गर्भावस्था में कोई दवा बिना डॉक्टर की सलाह के न लें।
- इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
- इसे ज्यादा मात्रा में न लें।
- इसे बताई मात्रा से अधिकता में न लें।
- इसका उपयोग छह महीने से अधिक के लिए किया जा सकता है।
उपलब्धता
- इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।
- Kottakkal Manasamitra Vatakam 100 Tablets @ Rs 1860
- Arya Vaidya Sala Manasamitramvatakam 10 tablets @ 150
- Amrita Manasa Mitra Vatakam With Swarna Bhasma- 100 Tablets @ Rs 1,300
- Nagarjuna Maanasamithra Vatakam 50 Tab MRP INR 425
- तथा अन्य बहुत सी फर्मसियाँ।
Manasmitra vatkam s good ayurvedic n safe medicine. Calm d brain n good fr anxiety n insomania.
मानस मित्रा वटकम / वटी मानसिक अवसाद और अल्जाइमर जैसे रोग में सात्विक लाभ देता है मगर इसके लिए अनुपान भी जरूरी होता है।