नवहृदय कल्प, श्री श्री आयुर्वेदा के द्वारा निर्मित एक दवाई है। यह टेबलेट के रूप में है। यह हाइपरटेंशन की दवा है और बढ़े हुए ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रोल को कंट्रोल करने में सहायक है।
नवहृदय कल्प में अश्वगंधा, सर्पगंधा, अर्जुन, त्रिकटु आदि द्रव्य हैं, जो पुराने समय से ही हृदय रोगों में इस्तेमाल किये जाते हैं। अश्वगंधा होने से यह स्ट्रेस को कम करती है। सर्पगंधा अवसादक है और रक्तचाप को कम करती है। सर्पगंधा के सेवन से मस्तिष्क को आराम मिलता है और नींद अच्छी आती है।
यह हृदय रोग की दवा है इसलिए इसे लेने में विशेष सावधानी की ज़रूरत है।
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Sri Sri Ayurveda, Navahridaya Kalpa is polyherbal proprietary Ayurvedic medicine indicated in hypertension. It is also helpful in reducing cholesterol level.
Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.
- निर्माता / ब्रांड: श्री श्री आयुर्वेदा
- उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
- दवाई का प्रकार: हर्बल
- मुख्य उपयोग: हृदय रोग
- मुख्य गुण: रक्त चाप और कोलेस्ट्रोल कम करना
मूल्य: नवहृदय कल्प की 60 गोली की कीमत 140 रुपए है।
नवहृदय कल्प के घटक | Ingredients of Navahridaya Kalpa in Hindi
- अश्वगंधा Ashwagandha Withania somnifera 58.15 mg
- लाल कमल पुष्प Red Lotus Nelumbo Nucifera 46.52 mg
- सफ़ेद कमल पुष्प White Lotus Nymphaea Lotus 46.52 mg
- बिल्व Bilva Aegle Marmelos 46.52 mg
- पुनर्नवा Punarnava Boerhavia Diffusa 34.89 mg
- भृंगराज Bhringraj Eclipta Alba 34.89 mg
- अर्जुन Arjuna Terminalia Arjuna 34.89 mg
- मरिचा Maricha (Black Pepper) Piper Nigrum 23.26 mg
- सोंठ Sonth (Ginger Rhizome) Zingiber Officinale 23.26 mg
- पिप्पली Pippali Piper Longum 23.26 mg
- पीपल Peepal (Sacred Fig) Ficus Religiosa Bark 23.26 mg
- सर्पगंधा Sarpagandha (Indian Snakeroot) Rauwolfia Serpentina 23.26 mg
- नीम Neem Azadirachta Indica 17.45 mg
- तुलसी Tulsi (Holy Basil) Ocimum Sanctum 17.45 mg
- रसना Rasna Pluchea Lanceolata 11.63 mg
- मुलेठी Yashtimadhu Glycyrrhiza Glabra 11.63 mg
- शंखपुष्पि Shankhpushpi Convolvulus Pluricaulis 11.63 mg
- प्रीज़रवेटिव Preservatives:
- पोटासियम सोरबेट Potassium Sorbate 1.2 mg
- सोडियम बेन्जोएट Sodium Benzoate 0.6 mg
- Excipients Q.S.
अश्वगंधा
अश्वगंधा (Withania somnifera) की जड़ें आयुर्वेद में टॉनिक, कामोद्दीपक, और शरीर की प्रतिरक्षा बढ़ाने के लिए improves immunity प्रयोग की जाती है। अश्वगंधा तंत्रिका कमजोरी, बेहोशी, चक्कर और अनिद्रा nervous weakness, fainting, giddiness and insomnia तथा अन्य मानसिक विकारों की भी अच्छी दवा है। यह पुरुषों में यौन शक्ति बढ़ाने के लिए प्रयोग की जाती है।
यह पुरुष प्रजनन अंगों पर विशेष प्रभाव डालती है। यह पुरुषों में जननांग के विकारों के लिए एक बहुत ही अच्छी हर्ब है। यह वीर्य की मात्रा और गुणवत्ता को बढ़ाने में भी मदद करती है।
अश्वगंधा जड़ में कई एल्कलॉइड होते हैं जैसे की, विथानिन, विथानानाइन, सोमनाइन, सोम्निफ़ेरिन आदि। भारतीय अश्वगंधा के पत्तों में विथफेरिन A समेत 12 विथनॉलिडेस होते हैं। जड़ में फ्री अमीनो एसिड में जैसे की एस्पार्टिक अम्ल, ग्लाइसिन, टाइरोसीन शामिल एलनाइन, प्रोलाइन, ट्रीप्टोफन,ग्लूटामिक एसिड और सीस्टीन aspartic acid, glycine, tyrosine, alanine, proline, tryptophan, glutamic acid and cysteine आदि भी पाए जाते हैं।
विथानिन में शामक और नींद दिलाने वाला गुण है sedative and hypnotic। विथफेरिन एक अर्बुदरोधी antitumor, एंटीऑर्थरिटिक anti-arthritic और जीवाणुरोधी antibacterial है। अश्वगंधा स्वाद में कसैला-कड़वा और मीठा होता है। तासीर में यह गर्म hot in potency है।
इसका सेवन वात और कफ को कम करता है लेकिन बहुत अधिक मात्रा में सेवन शरीर में पित्त और आम को बढ़ा सकता है। यह मुख्य रूप से मांसपेशियों muscles, वसा, अस्थि, मज्जा/नसों, प्रजनन अंगों reproductive organ, लेकिन पूरे शरीर पर काम करता है। यह मेधावर्धक, धातुवर्धक, स्मृतिवर्धक, और कामोद्दीपक है। यह बुढ़ापे को दूर करने वाली औषधि है।
सर्पगन्धा
स्वाद में कड़वी, गुण में रूखा करने वाला, और लघु है। स्वभाव से यह गर्म है और कटु विपाक है।
यह कटु रस औषधि है। कटु रस तीखा होता है और इसमें गर्मी के गुण होते हैं। गर्म गुण के कारण यह शरीर में पित्त बढ़ाता है, कफ को पतला करता है। यह पाचन और अवशोषण को सही करता है। इसमें खून साफ़ करने और त्वचा रोगों में लाभ करने के भी गुण हैं। कटु रस गर्म, हल्का, पसीना लाना वाला, कमजोरी लाने वाला, और प्यास बढ़ाने वाला होता है। यह रस कफ रोगों में बहुत लाभप्रद होता है। पित्त के असंतुलन होने पर कटु रस पदार्थों को सेवन नहीं करना चाहिए। इसमें रक्तचाप कम करने, निद्राजनन, हृदय की असामान्य बढ़ी गति को कम करना, एंग्जायटी, स्ट्रेस को कम करने आदि के गुण हैं।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि सर्पगंधा का सेवन रक्तचाप कम करता है. यह रक्त वाहिका को फैलता है और सेडेटिव प्रभाव डालता है। लेकिन सर्पगंधा के कई साइड इफेक्ट भी होते हैं। उदाहरण के लिए, एल्कालोइड रेसरपीन में शक्तिशाली hypotensive और tranquillizer प्रभाव होता है, लेकिन इसके लंबे समय तक उपयोग प्रोलेक्टिन को उत्तेजित करता है और स्तन कैंसर का कारण बनता है। सर्पगंधा के मांसपेशियों का रिलैक्स होना, प्रजनन क्षमता में कमी, पुरुष हार्मोन को कम करने, असामान्य हृदय धड़कन, आदि सहित कई अन्य दुष्प्रभाव हैं।
सर्पगंधा को अल्सर, अल्सरेटिव कोलाइटिस और अवसाद में नहीं लिया जाना चाहिए। सर्पगंधा से अवसादग्रस्तता का प्रभाव होता है जो इसके प्रयोग के लंबे समय तक जारी रह सकता है। इसलिए किसी भी व्यक्ति को अवसाद से पीड़ित होने पर सर्पगंधा को नहीं लेना चाहिए।
सर्पगंधा का स्वास्थ्य पर सबसे आम साइड इफेक्ट या नकारात्मक प्रभावों में चक्कर आना, सिरदर्द, बेहोशी, उनींदापन, आंखों की लाली, शुष्क मुंह, दस्त, नपुंसकता (इरेक्शन की समस्या) और कम सेक्स करने ड्राइव आदि शामिल हैं।
अन्य कम सामान्य दुष्प्रभाव अनियमित / धीमी गति से हराया, छाती में दर्द, सांस की तकलीफ, कठोरता, हाथों का कांपना, और पैरों में सूजन आदि हैं. कुछ दुर्लभ दुष्प्रभावों में दाने, त्वचा की खुजली, गले में खराश, बुखार, दर्द, मतली, उल्टी, ब्लीडिंग, डरावने सपने आना और मूत्र संबंधी समस्याएं आदि शामिल हैं.
मिर्गी से पीड़ित लोग, और जिन्होंने सामान्य या रीढ़ की हड्डी में संज्ञाहरण दिया है, उन्हें चिकित्सक से सलाह लेने के बाद ही इसे लेना चाहिए, 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को इसे लेने से बचना चाहिए।
अर्जुन
अर्जुन की छाल में करीब 20-24% टैनिन पाया जाता है। छाल में बीटा-सिटोस्टिरोल, इलेजिक एसिड, ट्राईहाइड्रोक्सी – ट्राईटरपीन मोनो कार्बोक्सिलिक एसिड, अर्जुनिक एसिड, आदि भी पाए जाते हैं। इसमें ग्लूकोसाइड अर्जुनीन, और अर्जुनोलीन भी इसमें पाया जाता है। पेड़ की छाल में पोटैशियम, कैल्शियम, मैगनिशियम के साल्ट भी पाए जाते हैं। अर्जुन की छाल, ज्वरनाशक, मूत्रल, और अतिसार नष्ट करने वाली होती है। यह उच्च रक्त्र्चाप को कम करती है।
त्रिकटु
त्रिकटु सौंठ, काली मिर्च और पिप्पली का संयोजन है। यह आम दोष (चयापचय अपशिष्ट और विषाक्त पदार्थों), जो सभी रोग का मुख्य कारण है उसको दूर करता है। यह बेहतर पाचन में सहायता करता है और यकृत को उत्तेजित करता है। यह तासीर में गर्म है और कफ दोष के संतुलन में मदद करता है।
नवहृदय कल्प के लाभ / फायदे | Benefits of Navahridaya Kalpa in Hindi
- यह हर्बल है।
- यह नर्वस सिस्टम पर काम करती है।
- यह उच्च रक्तचाप को कम करती है।
- यह हृदय की असामान्य बढ़ी गति को कम करती है।
- यह निद्राजनक है।
- यह सेंट्रल नर्वस सिस्टम को डिप्रेस करती है।
- इसे लेने से हृदय को बल मिलता है।
- यह स्ट्रेस को कम करती है।
- यह कोलेस्ट्रोल को कम करने में एशायक है।
- यह एंग्जायटी, स्ट्रेस को कम करने में सहायक है।
- इसमें हृदय के लिए आयुर्वेद में इस्तेमाल किए जाने वाले जाने माने द्रव्य हैं।
- इसमें एंटीहाइपरटेंसिव, कार्डियोप्रोटेक्टीव और न्यूरोप्रोटेक्टिव गुण हैं।
नवहृदय कल्प के चिकित्सीय उपयोग | Uses of Navahridaya Kalpa in Hindi
नवहृदय कल्प को मुख्य रूप से ब्लड प्रेशर को कम करने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसके सेवन से मस्तिष्क को आराम मिलता है और नींद अच्छी आती है।
उच्च रक्तचाप और उच्च कोलेस्ट्रोल का स्तर कम करना
- यह बड़े हुए रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहायक है, इसमें अश्वगंधा, अर्जुन, सर्पगंधा, आदि है जो उच्च रक्तचाप में इस्तेमाल की जाती है। यह स्ट्रेस को कम करती है और अच्छी नीद लाने में सहायक है।
- क्योंकि यह रक्त्चाओ को कम करने वाली दवा है, इसे लो ब्लड प्रेशर में नहीं लेना चाहिए।
अनिद्रा
नींद नहीं आने की समस्या अनिद्रा कहलाती है। इसमें अश्वगंधा और सर्पगंधा है जिनका सेडेटिव असर होता है।
नवहृदय कल्प की सेवन विधि और मात्रा | Dosage of Navahridaya Kalpa in Hindi
- 2 गोली, दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
- इसे दूध, पानी के साथ लें।
- इसे भोजन करने के बाद लें।
- या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।
सावधनियाँ / साइड-इफेक्ट्स / कब प्रयोग न करें Cautions/Side effects/Contraindications in Hindi
- इस दवा को डॉक्टर की देख-रेख में ही लें।
- यह दवा हृदय पर काम करती है, इसलिए इसके सेवन में बहुत सावधानी की आवश्यकता है।
- दवा के द्रव्यों के बारे में जानें और साइड इफेक्ट्स को ध्यान में रखते हुए ही प्रयोग का निर्णय करें।
- यह पित्त वर्धक है।
- इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
- इसे ज्यादा मात्रा में न लें।
- इसे गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान न लें।
- इसे बताई मात्रा से अधिकता में न लें।
- यदि आपको इसके सेवन के दौरान किसी भी प्रकार का साइड-इफेक्ट लगे या यह आपको सूट न करे तो कृपया इसे न लें।
अश्वगंधा Ashwagandha किसे नहीं लेनी चाहिए?
- यदि शरीर में आम दोष है, स्रोतों में रूकावट है तो इसका सेवन सावधानी से करें।
- बहुत अधिक मात्रा में इसका सेवन गर्भावस्था में नहीं किया जाना चाहिए। यद्यपि असगंध का प्रयोग गर्भावस्था में किया जाता है लेकिन इसकी मात्रा, गर्भावस्था का महिना, खतरा आदि सभी को देख कर ही इसकी मात्रा दी जाती है। यदि अधिक मात्रा में इसका सेवन किया जाता है तो यह पित्तवर्धक है। इसलिए बिना डॉक्टर की सलाह के गर्भावस्था में इसका सेवन न करे।
- इसे अन्य सेडेटिव दवा के साथ न लें।
- अश्वगंधा का सेवन रक्त में शुगर के लेवल को कम करता है। लेकिन यह असर बहुत अधिक नहीं होता।
- दवा के सेवन का असर कुछ सप्ताह के प्रयोग के बाद आता है।
सर्पगन्धा Sarpgandha किसे नहीं लेनी चाहिए?
- यह पित्त को बढ़ाती है। इसलिए पित्त प्रकृति के लोग इसका सेवन सावधानी से करें।
- अधिक मात्रा में सेवन पेट में जलन, एसिडिटी, आदि समस्या कर सकता है।
- जिन्हें पेट में सूजन हो gastritis, अल्सर, कोलाइटिस हो, वे इसका सेवन न करें।
- शरीर में यदि पहले से पित्त बढ़ा है, रक्त बहने का विकार है bleeding disorder, हाथ-पैर में जलन है, अल्सर है, छाले हैं तो भी इसका सेवन न करें।
- आयुर्वेद में उष्ण चीजों का सेवन गर्भावस्था में निषेध है। इसका सेवन गर्भावस्था में न करें।
- इसे स्तनपान के दौरान न खाएं।
- इसे डिप्रेशन /अवसाद में न खाएं।
- यदि अनिद्रा की समस्या के साथ कम रक्तचाप की शिकायत भी है तो इसका सेवन न करें।
- अधिक मात्रा में सेवन न करें। इसमें सर्पगंधा और भांग है जिसका अधिक सेवन स्वास्थ्य पर गंभीर दुष्प्रभाव डालता है।
- इसे बच्चों को न दें। बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
मुलेठी licorice किसे नहीं लेनी चाहिए?
- ज्यादा मात्रा में लम्बे समय तक लेने से उच्च रक्तचाप और शरीर में पोटैशियम की अधिक मात्रा हो जाती है।
- यह बाहों और पैरों में मांसपेशियों में दर्द या सुन्नता कर सकती है।
- 4 से 6 सप्ताह से अधिक समय तक किसी भी मुलेठी या इसके दवा वाले उत्पाद का सेवन नहीं किया जाना चाहिए।
- उच्च रक्तचाप के लिए एसीई इनहिबिटर और मूत्रवर्धक लेते समय, मुलेठी उत्पादों का उपयोग न करें।
- छोटी मात्रा में, यह उल्टी रोकती है लेकिन उच्च खुराक में, यह उल्टी लाती है।
- यह कैल्शियम और पोटेशियम अवशोषण को रोकती है और इसलिए ऑस्टियोपोरोसिस में सावधानी से लिया जाना चाहिए।
- 4-6 सप्ताह का उपयोग जारी रहता है तो हाइपोकैलेइमिया हो सकता है।
- जब थियाज़ाइड मूत्रवर्धक के साथ संयोजन में लिया जाता है, जुलाब, यह पोटेशियम हानि बढ़ा सकती है।
- डाइरेक्टिक्स, कार्डियक ग्लाइकोसाइड, कॉर्टिकॉस्टिरॉइड्स, उत्तेजक जुलाब या अन्य दवाओं के साथ इसका उपयोग इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन को बढ़ा सकते हैं।
- यह उच्च नमक आहार के प्रभाव को बढ़ा सकती है।
- यह गर्भनिरोधक गोली के प्रभाव को कम कर सकती है।
- पर्याप्त डेटा की कमी के कारण 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों और किशोरों में उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
- शराब की दवा लेने वाले मरीजों को अन्य लिकोरिस वाले उत्पादों को नहीं लेना चाहिए क्योंकि गंभीर प्रतिकूल घटनाएं हो सकती हैं जैसे कि जल प्रतिधारण, हाइपोकलिमिया, उच्च रक्तचाप, हृदय विकार।
- उच्च रक्तचाप, किडनी रोग, यकृत या हृदय संबंधी विकार या हाइपोक्लैमिया से प्रभावित मरीजों में शराब की दवा का इस्तेमाल करने की सलाह नहीं दी जाती है, क्योंकि वे लिकोरिस के प्रतिकूल प्रभावों के प्रति अधिक संवेदनशील हैं।
- लिकोरिस में एंटी-एस्ट्रोजेनिक और एस्ट्रोजेनिक गतिविधि होती है, जहां घटक ग्लोब्रिडिन में उच्च सांद्रता पर कम सांद्रता और एस्ट्रोजेनिक गतिविधि पर एस्ट्रोजेनिक गतिविधि होती है।
- लीकोरिस युवा स्वस्थ पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन उत्पादन कम कर सकता है।
- पोटेशियम की कमी से ग्रस्त व्यक्ति को लिकोरिस का उपयोग नहीं करना चाहिए।
त्रिकटु के सेवन में सावधानियाँ, साइड-इफेक्ट्स क्या हैं?
- यह पित्त को बढ़ाता है। इसलिए पित्त प्रकृति के लोग इसका सेवन सावधानी से करें।
- अधिक मात्रा में सेवन पेट में जलन, एसिडिटी, आदि समस्या कर सकता है।
- जिन्हें पेट में सूजन हो gastritis, वे इसका सेवन न करें।
- शरीर में यदि पहले से पित्त बढ़ा है, रक्त बहने का विकार है, हाथ-पैर में जलन है, अल्सर है, छाले हैं तो भी इसका सेवन न करें।
- आयुर्वेद में उष्ण चीजों का सेवन गर्भावस्था में निषेध है। त्रिकटु का सेवन गर्भावस्था में न करें।