Nimbadi Churna is a classical medicine useful in treatment of skin diseases and Vata rakta or gout. It detoxifies blood, reduces heat and swelling in body. It also helps in intestinal parasites.
निम्बादी चूर्ण एक शास्त्रीय आयुर्वेदिक दवाई है जिसे की भैषज्य रत्नावली के वातरक्त रोगाधिकार से लिया गया है। यह दवाई मुख्य रूप से त्वचा रोगों और वातरक्त जिसे मॉडर्न साइंस में गाउट, कहते हैं, में लाभकारी है। इसके सेवन से शरीर में वात की अधिकता दूर होती है और रक्त साफ़ होता है। आयुर्वेद में त्वचा रोगों का मुख्य कारण खून में दूषित पदार्थों को माना जाता है। बिना रक्त को साफ़ किये, खून से अशुद्धियाँ दूर किये त्वचा रोगों का निवारण संभव नहीं है।
जैसा नाम से ही पता चलता है, इस दवा में मुख्य एक्टिव हर्ब नीम है। नीम, आयुर्वेद में सर्वरोगनिवारिण औषधि है। कड़वे स्वाद के कारण यह रक्त दोषों और मधुमेह में विशेष रूप से लाभप्रद है। नीम, रस में तिक्त है। गुण में लघु-रूक्ष है। तासीर में यह शीतल और कटु विपाक है। कर्म में यह ज्वरघ्न, पित्तहर, ग्राही और रक्तदोषहर है। नीम के सेवन से रक्त विकार, सूजन, पित्त रोग, बुखार आदि दूर होते हैं।
नीम के अतिरिक्त इसमें अन्य महत्वपूर्ण जड़ी बूटियाँ जैसे की आंवला, हरीतकी, बाबची, खदिर, विडंग आदि भी है।
इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें।
Nimbadi Churna is a classical medicine useful in treatment of skin diseases and Vata rakta or gout. It detoxifies blood, reduces heat and swelling in body. It also helps in intestinal parasites.
Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.
- उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
- दवाई का प्रकार: आयुर्वेदिक
- मुख्य उपयोग: त्वचा के रोग, गठिया
- मुख्य गुण: खून साफ़ करना
निम्बादी चूर्ण के घटक | Ingredients of Nimbadi Churna in Hindi
- नीम Nimba (St. Bk.) 48 g
- गुर्च Amrita (Guduchi) (St.) 48 g
- अभया Abhaya (Haritaki) (P.) 48 g
- धात्री Dhatri (Amalaki) (P.) 48 g
- बाकुची Somaraji (Bakuchi) (Sd.) 48 g
- सोंठ Shunthi (Rz.) 12 g
- विडंग Vidanga (Fr.) 12 g
- चक्रमर्द Edagaja (Chakramarda) (Sd.) 12 g
- पिप्पली Kana (Pippali) (Fr.) 12 g
- यवनी Yamani (Yavani) (Fr.) 12 g
- वच Ugragandha (Vacha) (Rz.) 12 g
- जीरा Jiraka (Shveta jiraka) (Fr.) 12 g
- कटुकी Katuka (Rt./Rz.) 12 g
- खदिर Khadira (Ht. Wd.) 12 g
- सेंधा नमक Saindhava lavana 12 g
- यवक्षार Kshara (Yava) (Pl.) 12 g
- हल्दी Haridra (Rz.) 12 g
- दारुहल्दी Daruharidra (St.) 12 g
- मोथा Mustaka (Musta) (Rz.) 12 g
- देवदारु Devadaru (Ht. Wd.) 12 g
- कूठ Kushtha (Rt.) 12 g
1- गिलोय आयुर्वेद की बहुत ही मानी हुई औषध है। इसे गुडूची, गुर्च, मधुपर्णी, टिनोस्पोरा, तंत्रिका, गुडिच आदि नामों से जाना जाता है। यह एक बेल है जो सहारे पर कुंडली मार कर आगे बढती जाती है। इसे इसके गुणों के कारण ही अमृता कहा गया है। यह जीवनीय है और शक्ति की वृद्धि करती है। इसे जीवन्तिका भी कहा जाता है।
दवा के रूप में गिलोय के अंगुली भर की मोटाई के तने का प्रयोग किया जाता है। जो गिलोय नीम के पेड़ पर चढ़ कर बढती है उसे और भी अधिक उत्तम माना जाता है। इसे सुखा कर या ताज़ा ही प्रयोग किया जा सकता है। ताज़ा गिलोय को चबा कर लिया जा सकता है, कूंच कर रात भर पानी में भिगो कर सुबह लिया जा सकता है अथवा इसका काढ़ा बना कर ले सकते है। गिलोय को सुखा कर, कूट कर, उबाल कर और फिर जो पदार्थ नीचे बैठ जाए उसे सुखा कर जो प्राप्त होता है उसे घन सत्व कहते हैं और इसे एक-दो ग्राम की मात्रा में ले सकते हैं।
गिलोय वात-पित्त और कफ का संतुलन करने वाली दवाई है। यह रक्त से दूषित पदार्थो को नष्ट करती है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है। यह एक बहुत ही अच्छी ज्वरघ्न है और वायरस-बैक्टीरिया जनित बुखारों में अत्यंत लाभप्रद है। गिलोय के तने का काढ़ा दिन में तीन बार नियमित रूप से तीन से पांच दिन या आवश्कता हो तो उससे अधिक दिन पर लेने से ज्वर नष्ट होता है। किसी भी प्रकार के बुखार में लीवर पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। ऐसे में गिलोय का सवेन लीवर की रक्षा करता है। मलेरिया के बुखार में इसके सेवन से बुखार आने का चक्र टूटता है।
यदि रक्त विकार हो, पुराना बुखार हो, यकृत की कमजोरी हो, प्रमेह हो, तो इसका प्रयोग अवश्य करना चाहिए।
इसके अतिरित गिलोय को टाइफाइड, कालाजार, कफ रोगों, तथा स्वाइन फ्लू में भी इसके प्रयोग से आशातीत लाभ होता है।
2- नीम अजादिरीक्टा इंडिका
नीम को आयुर्वेद में निम्ब, पिचुमर्द, पिचुमंद, तिक्तक, अरिष्ट, पारिभद्र, हिंगू, तथा हिंगुनिर्यास कहा जाता है। इंग्लिश में इसे मार्गोसा और इंडियन लीलैक, बंगाली में निमगाछ निम्ब, गुजराती में लिंबडो, और हिंदी में नीम कहा जाता है। नीम को फ़ारसी में आज़ाद दरख्त कहा जाता है। नीम का लैटिन नाम मेलिया अजाडीरीक्टा या अजाडीरीक्टा इंडिका है।
नीम शीत वीर्य/स्वभाव में ठंडा (बीज, तेल छोड़ कर), कड़वा, पित्त और कफशामक, और प्रमेह नाशक है। यह खांसी, अधिक कफ, अधिक पित्त, कृमि, त्वचा विकारों, अरुचि, व्रण आदि में लाभकारी है।
3- हरीतकी Terminalia chebula आयुर्वेद की रसायन औषधि है। यह पेट रोगों में प्रयोग की जाने वाली सबसे प्रभावी औषध है। इसमें लवण रस, को छोड़ बाकि सभी रस / स्वाद है। यह गुण में लघु, रूक्ष, और स्वभाव से गर्म है। यह एक कटु विपाक औषध है और शरीर के सभी धातुओं पर काम करती है। यह सूजन को दूर करती है। यह मूत्रल और दस्तावर है। यह अफारे को दूर करती है और पेट के कीड़ों को भी नष्ट करती है।
4- आयुर्वेद में आंवले को, ठंडक देने वाला, कसैला, पाचक, विरेचक, भूख बढ़ाने वाले और कामोद्दीपक माना गया है। इसमें ज्वरनाशक, सूजन दूर करने के और मूत्रवर्धक गुण है। आंवला एक रसायन है जो की शरीर में बल बढाता है और आयु की वृद्धि करता है। यह शरीर में इम्युनिटी boosts immunity को बढाता है। यह विटामिन सी vitamin C का उत्कृष्ट स्रोत है। इसके सेवन से बाल काले रहते है, वात, पित्त और कफ नष्ट होते है और शरीर में अधिक गर्मी का नाश होता है।
5- सोंठ का प्रयोग आयुर्वेद में प्राचीन समय से पाचन और सांस के रोगों में किया जाता रहा है। इसमें एंटी-एलर्जी, वमनरोधी, सूजन दूर करने के, एंटीऑक्सिडेंट, एन्टीप्लेटलेट, ज्वरनाशक, एंटीसेप्टिक, कासरोधक, हृदय, पाचन, और ब्लड शुगर को कम करने गुण हैं। यह खुशबूदार, उत्तेजक, भूख बढ़ाने वाला और टॉनिक है।
6- यवक्षार ( कार्बोनेट ऑफ़ पोटाश, पोटैशियम कार्बोनेट) स्वाद में कटु और नमकीन है, गुण में रूखा करने वाला, लघु और तेज है। स्वभाव से गर्म है और कटु विपाक है। आयुर्वेद में यवक्षार को मुख्य रूप से कफ रोगों, जलोदर ascites, पथरी, पेशाब में जलन, प्लीहा-यकृत रोगों, हृदय के लिए टॉनिक और रक्त पित्त में प्रयोग किया जाता है।
निम्बादी चूर्ण के फायदे | Benefits of Nimbadi Churna in Hindi
- यह दवा खून को साफ़ करती है।
- यह शरीर से विषाक्तता बाहर करता है।
- यह यकृत को स्वस्थ करता है।
- यह रसायन, पाचन, शरीर से गन्दगी निकलने वाली, और मल को साफ़ करने वाली दवा है।
- यह वात और पित्त दोष को संतुलित करता है।
- यह शरीर में फ्री रेडिकल का बनना कम करता है।
- यह लीवर फंक्शन को सही करता है।
निम्बादी चूर्ण के चिकित्सीय उपयोग | Uses of Nimbadi Churna in Hindi
- गठिया Amavata (Rheumatism)
- चर्मदल Carmadala (Exfoliative dermatosis)
- दाद Dadru (Taeniasis)
- गुल्म Gulma (Abdominal lump)
- पीलिया Kamala (Jaundice)
- खुजली Kandu (Itching)
- कितिभ Kitibha (Depigmentation)
- शीत पित्त Kotha (Urticaria)
- कोढ़ Kushtha (Diseases of skin)
- कुष्ठ Kushtha (Patchy leprosy / lepromatous leprosy)
- पामा Pama (Eczema)
- खून की कमी Pandu (Anaemia)
- तिल्ली के रोग Pliha (Splenic disease)
- सूजन Shotha (Inflammation)
- शिवित्र Shvitra (Leucoderma/Vitiligo)
- सिध्मा Sidhma (Pityriasis versicolor)
- पेट के रोग Udara (Diseases of abdomen / enlargement of abdomen)
- योनि आकर्ष Vagina (vaginismus)
- वातरक्त Vatarakta (Gout)
- एक्जिमा Vicharchika (Eczema)
- योनि रोग Vipluta Yoniroga (Disorder of vagina)
- घाव Vrana (Ulcer)
निम्बादी चूर्ण की सेवन विधि और मात्रा | Dosage of Nimbadi Churna in Hindi
- 1-3 ग्राम, दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
- इसे शहद, दूध, अथवा गिलोय के काढ़े के साथ लें।
- या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।
सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side effects/Contraindications in Hindi
- इसे ज्यादा मात्रा में न लें।
- वात-रक्त में इसे गिलोय के काढ़े के साथ लेने में अधिक लाभ होता है।
- इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
- विरुद्ध आहार को जाने और उनका सेवन न करें। जैसे दूध के साथ नमक, दूध के साथ मछली, दूध के साथ दही, गर्म-ठंडी तासीर के भोज्य पदार्थ एक साथ न लें।
- तला हुआ, मिर्च-मसालेदार भोजन न करें।
- अधिक मात्रा में उन भोजन का सेवन न करें जो शरीर में गर्मी बढ़ाते हों। जैसे की मिर्च, गुड़, तिल, चाय-कॉफ़ी आदि।
- बहुत अधिक मात्रा में खट्टे पदार्थों जैसे की दही, आचार, नींबू, इमली, टमाटर, संतरे आदि न खाएं।
- धूप में बहुत अधिक देर न रहें।
- खाना खाने के तुरंत बाद न सोयें।
- कब्ज़ न रहने दें।
- पानी अधिक पियें।
- मीट, नॉन वेज न खाएं।
उपलब्धता
- इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।
- Vyas Nimbadi Churna 100 grams @ INR 80.00
- Sevasadan Nimbadi Churna
- Nidco Nimbadi Churna
- Sanjeevika Nimbadi Churna
- AVP Nimbadi Choornam आदि।