बैद्यनाथ पायराइड एक आयुर्वेदिक हर्बल दवा है जो की श्री बैद्यनाथ आयुर्वेद भवन प्राइवेट लिमिटेड द्वारा निर्मित है। इस दवा को बवासीर या अर्श जिसे पाइल्स Piles भी कहा जाता है के उपचार में प्रयोग किया जाता है।
बैद्यनाथ पायराइड एक आयुर्वेदिक हर्बल दवा है जो की श्री बैद्यनाथ आयुर्वेद भवन प्राइवेट लिमिटेड द्वारा निर्मित है। इस दवा को बवासीर या अर्श जिसे पाइल्स Piles भी कहा जाता है के उपचार में प्रयोग किया जाता है।
पाइल्स में गुदा anus या मलाशय rectum के आसपास नसों nerves और मांसपेशियों muscles में सूजन हो जाती है। ऐसा संभवतः लम्बे समय तक, शौच के दौरान पड़ने वाले पर दबाव (कब्ज़ के कारण) से होता है। कब्ज़ में दबाव पड़ने से मलाशय में सूजन हो जाती जो की पाइल्स में विकसित हो सकती है। पायराइड एक पूरी तरह से हर्बल दवा हो जो की दर्द, खुजली और सूजन आदि में राहत देती है । Pirrhoid tablets खाने के लिए और Pirrhoid ointment बाहरी रूप से गुदा पर लगाने के लिए है।
Pirrhoid गोलियों के लाभ | Benefits of Pirrhoid tablets in Hindi
- यह बवासीर pile के उपचार के लिए अच्छी प्राकृतिक औषधि है।
- यह सूजन, खुजली तथा पाइल्स में होने वाली अन्य दिक्कतों में राहत देती है।
- यह कब्ज में राहत देती है।
- यह स्टूल को मुलायम करती है जिससे मल की निकासी बिना दबाव के हो जाती है।
Pirrhoid गोलियों के चिकित्सीय उपयोग | Therapeutic Uses of Pirrhoid tablets in Hindi
पायराइड बादी और खूनी दोनों प्रकार की बवासीर non-bleeding and bleeding में प्रभावी है। रक्तार्श में यह रक्त स्राव को नियंत्रित करती है और कब्ज, गुदा में खुजली और दर्द में राहत देती है।
- बवासीर piles
- बवासीर के कारण गुदा क्षेत्र में खुजली itching, दर्द pain, सूजन swelling
Pirrhoid गोलियों की खुराक | Dosage of Pirrhoid tablets in Hindi
- 2 गोलियां दिन में दो बार पानी के साथ। इसे नियमित 90 दिनों तक लेना चाहिए।
- बवासीर में काले चने, आलू, तेज़ मसाले, अचार, सफेद तिल, कब्ज़ और गैस बनाने वाले आहार न लें।
- दिन में न सोये। बहुत ज्यादा मात्रा में चाय/कॉफी, लहसुन, प्याज, काली मिर्च न लें लंबे समय तक के लिए बैठे।
बवासीर में पुराने चावल, मक्का, मूंग, लौकी, शलजम, पत्तेदार सब्जियों, पपीता, सेब, ककड़ी, काले अंगूर, आम, आंवला, घी, मक्खन दूध, पिस्ता, बादाम, नाशपाती, कच्ची मूली आदि खाने चाहिए। मूली का रस तो पाइल्स में विशेतः उपयोगी है। पपीता रोज़ खाने से कब्ज़ नहीं होती। पानी पर्याप्त मात्रा में पुरे दिन भर पियें। पेट साफ़ रखें।
बवासीर में सब से पहले आहार पर नियंत्रण और लाइफ-स्टाइल में परिवर्तन ज़रूरी है। उन चीज़ों में बदलाव की ज़रुरत है जो अर्श या बवासीर होने का कारण हैं या समस्या को गंभीर बना रहे हैं।
महीलाओं को मासिक धर्म के दो या तीन के बाद ख़ून जाया आता है उसे ठीक करने के लिए दवा बताने की कृपा प्रदान करें।
Very good comment