पीसीओडी का आयुर्वेदिक दवाओं से इलाज

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पीसीओडी, पोलीसिस्टिक ओवरी डिजीज PCOD है। इसे पीसीओएस यानिकी पोलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम PCOS भी कहा जाता है। यह केवल लड़कियों और महिलायों को होता है और ओवरी से सम्बंधित रोग है। आजकल यह आजकल तेजी से बढ़ गया है और बहुत संख्या में प्रजजन उम्र की लड़कियों और महिलायों में देखा जा रहा है। 30 प्रतिशत या उससे अधिक महिलाएं इस बीमारी से ग्रस्त हैं। क्योंकि यह ओवेरी को प्रभावित करता है इससे फर्टिलिटी की समस्याएं हो सकती हैं। इसमें ओवरी के अन्दर बहुत से सिस्ट बन जाते हैं और स्त्री होर्मोन प्रभावित हो जाते हैं जिससे मासिक कई-कई महीने नहीं होता।

आयुर्वेद में पोलीसिस्टिक ओवरी डिजीज को कफ विकार माना गया है। कफ के अधिक बढ़ जाने से प्रजनन अंगों में वात और पित्त भी सही प्रकार से अपने काम को नहीं कर पाते। बढ़ा हुआ कफ, वात की गति को बाधित करता है। वात-पित्त और कफ के असंतुलन से आमदोष का संचय होने लगता है जोकि स्रोतों को जाम कर देता है। कफ के जमने से ओवरी में गांठे बन जाती है और मासिक धर्म जो हर महीने आना चाहिए, अब केवल कभी-कभी होता है।

Polycystic ovary syndrome (PCOS) or Polycystic ovary disease (PCOD) is a female disorder affecting one in 10 women of childbearing age. PCOD causes hormonal imbalance and metabolism problems and it is a common and treatable cause of infertility. There is no cure for PCOS, but you can manage the symptoms of PCOS.

पीसीओडी के लक्षण

  1. मासिक धर्म संबंधी विकार
  2. अनियमित पीरियड्स
  3. मुँहासे
  4. चेहरे पर असामान्य बाल होना हरस्यूटिज्म
  5. पेट और जांघों पर बाल उगना
  6. सिर के बाल गिरना
  7. वज़न बढ़ना, मोटापा
  8. इंसुलिन प्रतिरोध
  9. लिपिड लेवल बढ़ना
  10. डिप्रेशन

पीसीओडी के कारण

पीसीओडी होता क्यों है, यह मॉडर्न साइंस में नहीं पता लगया जा सका है। लाइफस्टाइल में बदलाव, आनुवंशिकी व जैनेटिक फैक्टर इसके संभावित कारण हो सकते हैं।

पीसीओडी में जीवनशैली और आहार

  1. दिन में एक बार में ज्यादा खाना न खाएं। थोड़ी-थोड़ी मात्रा में कई बार खाना खाएं।
  2. कफ और फैट बढ़ाने वाले भोजन का सेवन न करें। मिठाई, चीनी, जंक फ़ूड न खाएं।
  3. पचने में हल्के फल जैसे सेब, नारंगी, अंगूर के फल, अनानास और पपीता और नाशपाती खाएं।
  4. बीन्स का सेवन करें।
  5. ड्राई फ्रूट्स अधिक न खाएं।
  6. जौ, चना और बाजरा का सेवन करें।
  7. मोटापे को बढ़ाने वाला आहार न करें।
  8. सक्रिय जीवन शैली अपनाएँ।
  9. फिर भी व्यायाम क्षमता वाले लोगों के अनुसार होनी चाहिए।
  10. अत्यधिक उपवास न करें।
  11. धूम्रपान, शराब आदि मासिक की विकृति को बढ़ा देते हैं।
  12. प्राणायाम करें। कपालभाती नियमित करें।

पीसीओडी के लिए दवाएं

यह दवाएं डॉक्टर की देख रेख में लें तो अधिक सही है।

  1. आरोग्यवर्धिनी वटी Arogyavardhini Bati
  2. कांचनार गुग्गुल Kanchanar Guggulu
  3. कंकायन वटी Kankayan Bati (Gulm)
  4. पूर्णचंद्र रस Poornchandra Ras (Sw.Yu.)
  5. रजः परिवर्तिनी वटी Rajah parivartni Vati
  6. शतावरी चूर्ण Shatavaryadi Churna
  7. वृद्धिवाधिका वटी Vriddhivadhika Bati

पीसीओडी के लिए घरेलू उपचार

  1. अश्वगंधा या शतावरी की जड़ें 150 ग्राम और अर्जुन छाल 70 ग्राम को लेकर 30 बराबर भागों में विभाजित करें।
  2. हर सुबह 1 भाग को 3 कप पानी में उबालकर 1 कप कर लें।
  3. अब इस मिश्रण को फिल्टर करें और इसमें 1 कप गाय का दूध और 2 इलायची डालें।
  4. इसे फिर उबालें जब तक यह केवल एक कप बचे।
  5. इसे सुबह खाली पेट पियें।
  6. स्वाद के लिए थोड़ी चीनी डाली जा सकती है।
  7. गर्मियों के महीनों के दौरान, अश्वगंधा के स्थान शतावरी का प्रयोग अधिक हितकर है।

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