रुमार्थो गोल्ड प्लस के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

रुमार्थो गोल्ड प्लस, बैद्यनाथ फार्मेसी द्वारा निर्मित दवाई है। इसमें सलाई गुग्गुल, महारस्नादी क्वाथ का घन सत्व, सुरंजन, अश्वगंधा, शोधित कुचला, चोपचीनी, रस सिंदूर, वंग भस्म, लोह भस्म, स्वर्णमाक्षिक भस्म,अभ्रक भस्म, और स्वर्ण भस्म जैसे आयुर्वेद के जाने माने घटक है।

रुमार्थो गोल्ड प्लस जोड़ों के दर्द,  सूजन, चलने-फिरने में दिक्कत, गाउट, आर्थराइटिस, लूम्बागो, साइटिका आदि में दिया जाता है। इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें।

Baidyanath Rheumartho Gold Plus is a herbo-mineral proprietary Ayurvedic medicine in form of Capsules. It is indicated in Vata Roga such as arthritis, rheumatism, osteoarthritis, joint pain, joint swelling, pain in muscles etc.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • निर्माता: श्री बैद्यनाथ आयुर्वेद भवन प्राइवेट लिमिटेड
  • दवाई का प्रकार: कुचला-भस्म-रस सिंदूर युक्त आयुर्वेदिक, प्रोप्राइटरी
  • मुख्य उपयोग: वात व्याधि
  • मुख्य गुण: जोड़ों के दर्द, सूजन आदि में राहत देना
  • मूल्य MRP: RHEUMARTHO GOLD – 30 capsules @ Rs 345.00

चेतावनी: यह दवा केवल डॉक्टर की निगरानी में ही लें

रुमार्थो गोल्ड प्लस के घटक | Ingredients of Rheumartho Gold Plus in Hindi

  1. सलाई गुग्गुल Salai Guggulu (Boswellia Serrata) 100mg
  2. महारस्नादी क्वाथ Dried Ghan Satva of Maharasanadi Quath 100mg
  3. सुरंजन Suranjan Kadvi (Colchicum Luteum) 77mg
  4. अश्वगंधा Ashwagandha (Withania Somifera) 77mg
  5. शोधित कुचला Shodhit Kuchala (Strychnos Nux- Vomica) 50mg
  6. चोपचीनी Chopchini (Smilax China) 24mg
  7. रस सिन्दूर Ras Sindoor 20mg
  8. वंग भस्म Vang Bhasma 10mg
  9. लोह भस्म Loha Bhasma 10mg
  10. स्वर्ण माक्षिक भस्म Swarnmakshik Bhasma 10mg
  11. अभ्रक भस्म Abhrak Bhasma 10mg
  12. स्वर्ण भस्म Swarna Bhasma 2mg

1- सलाई गुग्गुल, एक पेड़ से प्राप्त गुग्गुल है। इसके सेवन से शरीर में वात, पित्त और कफ संतुलित होता है। यह दर्द निवारक, ऐंठन रोकने वाला और सूजन को दूर करने वाला है। सलाई गुग्गुल का प्रयोग आर्थराइटिस, रुमेटिज्म, गाउट, नसों व मांसपेशियों के दर्द में लाभप्रद है। इस गुग्गुल में बोसविलिक एसिड पाया जाता है जो की शरीर में सूजन करने वाले पदाथों को कम करता है। यह कोलाइटिस में भी सूजन को कम करने में प्रयोग किआ जाता है। शुद्ध सलाई गुग्गुल को लेने की मात्रा 250 mg से लेकर 1 ग्राम है। इसे दिन में तीन बार लिया जा सकता है।

2- महारास्नादि क्वाथ एक आयुर्वेदिक काढ़ा है जिसे वात व्याधियों जैसे की ग्रध्रसी, आमवात, सन्धिवात, मेदागत वात, कम्प वात, एकांग वात, में प्रमुखता से प्रयोग किया जाता है।

3- रस सिंदूर, केमिकली मरक्यूरिक सल्फाइड है। यह रस अर्थात पारे से बना होता है और रंग में लाल होता है इसलिए रस सिन्दूर कहलाता है। रस सिंदूर को बनाने की कई विधियाँ आयुर्वेद में वर्णित हैं।

इसमें गंधक करीब 14 और मर्करी 86 प्रतिशत पाया जाता है। यह एक कूपीपक्व रसायन है जो की कज्जली को कांच की शीशी में सैंड बाथ या बालुका यंत्र में पका कर बनाया जाता है। तैयार होने पर जब शीशी सैंडबाथ में स्वांग शीतल हो जाती है तो उसे तोड़ कर गलप्रदेश पर चिपके रक्तवर्ण के रस सिन्दूर को एकत्र कर लिया जाता है।

रस सिंदूर को ज्वर, प्रमेह, प्रदर, अर्श, अपस्मार, उन्माद, श्वास, यकृत रोग, पाचन रोग, विस्फोट, स्वप्न दोष, समेत पुराने आमवात, शिरः कम्प, कम्पवात आदि अभी में दिया जाता है।

यह उष्णवीर्य रसायन है जिसकी मात्रा बहुत से कारकों पर निर्भर है। यह उत्तेजक है, रक्त की गति को तेज करता है, कफ नष्ट करता है, स्नायु को बल देता है और फेफड़ों के रोगों को दूर करता है। यह मुख्य रूप से कफ को दूर करता है।

रस सिंदूर क्योंकि एक रस औषधि है इसलिए इसे लम्बे समय तक लेना सुरक्षित नहीं है। इसे एक महीने से ज्यादा की अवधि तक लेने से कई दुष्परिणाम होते है।

आयुर्वेद में स्वर्ण भस्म का विशेष स्थान है। यह शारीरिक और मानसिक शक्ति में सुधार करने वाली औषध है। यह हृदय और मस्तिष्क को विशेष रूप से बल देने वाली है। आयुर्वेद में हृदय रोगों और मस्तिष्क की निर्बलता में स्वर्ण भस्म को सर्वोत्तम माना गया है।

स्वर्ण भस्म आयुष्य है और बुढ़ापे को दूर करती है। यह भय, शोक, चिंता, मानसिक क्षोभ के कारण हुई वातिक दुर्बलता को दूर करती है। स्वर्ण भस्म को बल (शारीरिक, मानसिक, यौन) बढ़ाने के लिए एक टॉनिक की तरह दिया जाता रहा है। यह रसायन, बल्य, ओजवर्धक, और जीर्ण व्याधि को दूर करने में उपयोगी है। स्वर्ण भस्म का सेवन पुराने रोगों को दूर करता है। यह जीर्ण ज्वर, खांसी, दमा, मूत्र विकार, अनिद्रा, कमजोर पाचन, मांसपेशियों की कमजोरी, तपेदिक, प्रमेह, रक्ताल्पता, सूजन, अपस्मार, त्वचा रोग, सामान्य दुर्बलता, अस्थमा समेत अनेक रोगों में उपयोगी है।

4- वंग भस्म टिन अर्थात स्टेनम Stannum-Tin से बनती है। वंग भस्म का मुख्य प्रभाव मूत्र अंगों और जननांगों पर होता है। इसे पुरुषों और स्त्रियों के प्रजनन अंगों सम्बंधित रोगों में प्रयोग किया जाता है। यह पुरुष की इन्द्रिय को ताकत देती है, शुक्र धारण में सहयोग करती है, वीर्य को गाढ़ा करती है तथा नामर्दी, शीघ्रपतन, पेशाब के साथ शुक्र जाना, स्वप्न में स्खलन, हस्तमैथुन आदि में रोगों को नष्ट करती है। इसे आयुर्वेद में शुक्रक्षय, स्वप्नमेह, शुक्र स्खलन, नपुंसकता की सर्वोत्तम औषधि माना गया है।

5- अश्वगंधा (Withania somnifera) की जड़ें आयुर्वेद में टॉनिक, कामोद्दीपक, वजन बढ़ाने के लिए और शरीर की प्रतिरक्षा बढ़ाने के लिए increases weight and improves immunity प्रयोग की जाती है। अश्वगंधा तंत्रिका कमजोरी, बेहोशी, चक्कर और अनिद्रा nervous weakness, fainting, giddiness and insomnia तथा अन्य मानसिक विकारों की भी अच्छी दवा है। अश्वगंधा जड़ में कई एल्कलॉइड होते हैं जैसे की, विथानिन, विथानानाइन, सोमनाइन, सोम्निफ़ेरिन आदि। भारतीय अश्वगंधा के पत्तों में विथफेरिन A समेत 12 विथनॉलिडेस होते हैं। जड़ में फ्री अमीनो एसिड में जैसे की एस्पार्टिक अम्ल, ग्लाइसिन, टाइरोसीन शामिल एलनाइन, प्रोलाइन, ट्रीप्टोफन ,ग्लूटामिक एसिड और सीस्टीन aspartic acid, glycine, tyrosine, alanine, proline, tryptophan, glutamic acid and cysteine आदि भी पाए जाते हैं। विथानिन में शामक और नींद दिलाने वाला गुण है sedative and hypnotic। विथफेरिन एक अर्बुदरोधी antitumor, एंटीऑर्थरिटिक anti-arthritic और जीवाणुरोधी antibacterial है। अश्वगंधा स्वाद में कसैला-कड़वा और मीठा होता है। तासीर में यह गर्म hot in potency है। इसका सेवन वात और कफ को कम करता है लेकिन बहुत अधिक मात्रा में सेवन शरीर में पित्त और आम को बढ़ा सकता है। यह मुख्य रूप से मांसपेशियों muscles, वसा, अस्थि, मज्जा/नसों, प्रजनन अंगों reproductive organ, लेकिन पूरे शरीर पर काम करता है। यह मेधावर्धक, धातुवर्धक, स्मृतिवर्धक, और कामोद्दीपक है। यह बुढ़ापे को दूर करने वाली औषधि है।

रुमार्थो गोल्ड प्लस के फायदे | Benefits of Rheumartho Gold Plus in Hindi

  1. यह जोड़ों के दर्द – सूजन में राहत देती है।
  2. यह पीठ के दर्द, मांसपेशियों में दर्द, साइटिका, स्प्रेन, आर्थराइटिस, लम्बागो, गाउट, आदि में लाभप्रद है।
  3. यह एथलीट में होने वाली इंजुरी को कम करती है।
  4. यह मांसपेशियों को रिलेक्स करती है।

रुमार्थो गोल्ड प्लस के चिकित्सीय उपयोग | Uses of Rheumartho Gold Plus in Hindi

  1. जोड़ों में दर्द pain in joints
  2. जोड़ों में सूजन Joint swelling
  3. आर्थराइटिस Arthritis
  4. रुमेटिज्म Rheumatism
  5. गाउट Gout
  6. ओस्टियोआर्थराइटिस Osteoarthritis
  7. साइटिका Sciatica
  8. लम्बागो Lumbago
  9. मांसपेशियों में दर्द Muscular Pain

रुमार्थो गोल्ड प्लस की सेवन विधि और मात्रा | Dosage of Rheumartho Gold Plus in Hindi

  • 1-2 गोली, दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
  • इसे दूध, पानी के साथ लें।
  • इसे भोजन करने के बाद लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side effects/Contraindications in Hindi

  1. इस दवा को डॉक्टर की देख-रेख में ही लें।
  2. इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
  3. इसे ज्यादा मात्रा में न लें।
  4. यह हमेशा ध्यान रखें की जिन दवाओं में पारद, गंधक, खनिज आदि होते हैं, उन दवाओं का सेवन लम्बे समय तक नहीं किया जाता। इसके अतिरिक्त इन्हें डॉक्टर के देख-रेख में बताई गई मात्रा और उपचार की अवधि तक ही लेना चाहिए।
  5. इसे गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान न लें।
  6. इसे बताई मात्रा से अधिकता में न लें।

5 thoughts on “रुमार्थो गोल्ड प्लस के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

  1. Sr orthopedic gold medal doctor se bizaida koi acha docter ho sakta hai Chandigarh ke Ander Australia se award hai unke pass Mri bi krbai hai koi frk nahi

  2. Muge sr kanar right side huddi moti bahut dard hai kafi test krbaye hai kus nahi atta hai 2 3 Sall se.ab to thik usike opposite ageye Pain hai

  3. इसे खाने से दाहिने घुटनें में और बांऐ घुटनें के पिछे की नसें जो घुटने की हडी़यो में जकड़न की वजह से बैठ कर उठने और साथ ही पैर के तलवो के किनारे एंव बिच के नसों में सूजन रहती है । घुटनें के पास से निचे बहुत लचीला रहने के कारण ठीक से चल नही पाता हूँ साथ ही ” हीप ” में कुछ नसें अंगुली के बराबर मोटी हो गई है ।कृपया सही उपचार एंव दवा की विधी बतानें का कष्ट करें ।।
    धन्यवाद

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