संजीवनी वटी Sanjivani Vati in Hindi आयुर्वेद की एक क्लासिकल आयुर्वेदिक दवा है जिसका वर्णन शारंगधर संहिता में दिया गया है। संजीवनी वटी में लाइफ सेविंग गुण है। संजीवनी का अर्थ है ही है जीवन देने वाली। यह शरीर में विष के प्रभाव को कम करती है और विभिन्न रोगों के लिए जिम्मेदार आम दोष को भी दूर करती है।
संजीवनी वटी में दीपन, पाचन, ज्वरघ्न, कफघ्न, अनुलोमन, विषघ्न और कृमिघ्न गुण हैं। यह वात और कफ को कम करती है और इसलिए दोनों के बढ़ जाने के कारण होने वाले विकारों में लाभप्रद है। इस दवा में स्वेदजनन गुण है और यह बुखार में उपयोगी है। इस दवा का मुख्य संकेत है, बुखार, टाइफाइड, विसुचिका (गैस्ट्रोएंटेरिटिस), गुल्म और सांप काटना। यह सामान्य सर्दी, अपचन, पेट में दर्द, कीड़ा उपद्रव और खांसी में भी फायदेमंद है।
संजीवनी वटी में दस औषधीय जड़ी-बूटियां हैं जैसे त्रिफला, विडंग, सोंठ, पिप्पली, वच, गुडुची, वत्सनाभ और भल्लाटक। इन जड़ी-बूटियों को गोमूत्र की मदद से मिश्रित किया जाता है और आद्रका स्वरस (अदरक का रस) के साथ टेबलेट (गोलियाँ) के रूप में बना लिया जाता है।
संजीवनी वटी Sanjiwani vati में प्रयुक्त जड़ी बूटी शरीर विषाक्त पदार्थों को हटाने में मदद करते हैं। इसके अलावा, वाचा, पिपाली, शुन्थी, भल्लाटकक शरीर में पसीने का कारण बनता है जो इस दवा को बुखार का इलाज करने में मदद करता है।
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यह पेज संजीवनी वटी के बारे में हिंदी में जानकारी देता है जैसे कि दवा का कम्पोज़िशन, उपयोग, लाभ/बेनेफिट्स/फायदे, कीमत, खुराक/ डोज/लेने का तरीका, दुष्प्रभाव/नुकसान/खतरे/साइड इफेक्ट्स/ और अन्य महत्वपूर्ण ज़रूरी जानकारी।
- संजीवनी वटी में मौजूद सामग्री क्या हैं?
- संजीवनी वटी के उपयोग upyog क्या हैं?
- संजीवनी वटी के फायदे faide क्या हैं?
- संजीवनी वटी के दुष्प्रभाव या नुकसान nuksan क्या हैं?
- संजीवनी वटी को कब नहीं लेते हैं?
- संजीवनी वटी के संभावित दवा interaction क्या हैं?
- संजीवनी वटी से जुड़ी चेतावनियां और सुझाव क्या हैं?
Sanjivani Vati is Herbal Ayurvedic medicine. It is indicated in treatment of Jwar (Fever), Visuchika (Gastroenteritis), Gulma, snake bite, common cold, indigestion, stomach ache, worm infestation and cough. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.
- दवा का नाम: संजीवनी वटी Sanjivani Vati, Sanjivani Guti, Sanjivani Vati, Sanjeevani Vati, Sanjiwani Vati
- निर्माता: Baidyanath, Patanjali Divya Pharmacy
- उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
- दवाई का प्रकार: हर्बल दवा जिसमें वत्सनाभ और भल्लाटक है
- मुख्य उपयोग: बुखार
- मुख्य गुण: विषघ्न, आमपाचन, कृमिघ्न, स्वेदन
- दोष इफ़ेक्ट: वात-कफ कम करना
- गर्भावस्था में प्रयोग: नहीं
संजीवनी वटी के घटक | Ingredients of Sanjivani Vati in Hindi
- विडंग Vidanga (Fr.) 1 Part
- सोंठ Nagara (Shunthi) (Rz.) 1 Part
- पिप्पली Krishna (Pippali) (Fr.) 1 Part
- हरीतकी Pathya (Haritaki) (P.) 1 Part
- आंवला Amala (Amalaki) (P.) 1 Part
- विभितकी Bibhitaka (P.) 1 Part
- बच Vacha (Rz.) 1 Part
- गिलोय Guduchi (St.) 1 Part
- भल्लाटक Bhallataka- Shuddha (Fr.) 1 Part
- वत्सनाभ Visha (Vatsanabha) – Shuddha (Rt.Tr.) 1 Part
- गौमूत्र Gomutra Q.S. for mardana
भल्लाटक सेमेकरपस एनाकार्डियम
- भल्लाटक, अनला, भल्ली, वीरा वृक्ष, अग्नि वक्रता, अरुस्करा, अरुस्का, तपना, अग्नि मुखी और धनु आदि सेमेकरपस अनाकार्डियम के संस्कृत नाम हैं। भल्लाटक में शरीर ऊतकों में गहराई से प्रवेश करने की क्षमता है। इससे भूख बढ़ जाती है और कमजोर पाचन के कारण परिस्थितियों का इलाज होता है। यह वात और कफ को कम करता है।
- भल्लाटक स्वाद और विपाक में तेज है। यह शक्ति में गर्म है और कृमि (परजीवी संक्रमण), उदर रोग (उत्तेजना सहित पेट की बीमारियों), अनाहा (कब्ज), सोफ (एडीमा) पाइल्स , वात-पित्त रोग, अग्निमंद्य (पाचन की शक्ति कम होना), आम दोष , बुखार और गुल्म (ट्यूमर) आदि में दवा की तरह बहुत ही कम मात्रा में शुद्ध करने के बाद प्रयोग किया जाता है।
- भल्लाटक गर्भावस्था के दौरान और अधिक पित्त होने के दौरान अत्यधिक गर्मी, छोटे बच्चों, बुजुर्गों में contraindicated है।
- भल्लाटक, एलर्जी का कारण बन सकता है। यह खुजली, जलन, अतिरिक्त प्यास और मूत्र में कमी का कारण बन सकता है।
- भल्लाटक लेते समय इसे सभी मसालों, गर्मी और पित्त बढाने वाले भोजन को नहीं खाने की सलाह दी जाती है।
वत्सनाभ
वत्सनाभ भा या अकोनाइट जीनस एकोनिटम के कई प्रजातियों को संदर्भित करता है। अकोनाइट पौधों की जड़ों बेहद जहरीले होती हैं। उनके डिटॉक्सिफिकेशन के बाद आयुर्वेद में बुखार, रूमेटोइड गठिया, कटिस्नायुशूल और उच्च रक्तचाप जैसी विभिन्न बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल करते हैं।
शोधन एल्कालोइड सामग्री को कम कर देता है।आयुर्वेद में उल्लिखित शोधित वत्तनभा की चिकित्सीय खुराक 8 मिलीग्राम से 16 मिलीग्राम / दिन है। वत्सनाभ प्रजातियां जहरीले प्रभाव डालती हैं और उच्च खुराक में कार्डियोटॉक्सिक और न्यूरोटॉक्सिक हो सकती है। वत्सनाभ के पारंपरिक आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशनकी अधिकता हाइपोटेंशन, ब्रैडकार्डिया या बिडरेक्शनल टैचिर्डिया कर सकता है।
सोंठ या शुंठी
अदरक का सूखा रूप सोंठ या शुंठी कहलाता है। सोंठ को भोजन में मसले की तरह और दवा, दोनों की ही तरह प्रयोग किया जाता है। सोंठ का प्रयोग आयुर्वेद में प्राचीन समय से पाचन और सांस के रोगों में किया जाता रहा है। इसमें एंटी-एलर्जी, वमनरोधी, सूजन दूर करने के, एंटीऑक्सिडेंट, एन्टीप्लेटलेट, ज्वरनाशक, एंटीसेप्टिक, कासरोधक, हृदय, पाचन, और ब्लड शुगर को कम करने गुण हैं।
पिप्पली
पिप्पली उत्तेजक, वातहर, विरेचक है तथा खांसी, स्वर बैठना, दमा, अपच, में पक्षाघात आदि में उपयोगी है। यह तासीर में गर्म है। पिप्पली पाउडर शहद के साथ खांसी, अस्थमा, स्वर बैठना, हिचकी और अनिद्रा के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है। यह एक टॉनिक है।
विडंग
विडंग (एम्बेलिका राइब्स) का औषधीय प्रयोग प्राचीन शास्त्रीय ग्रंथों में वर्णित है। इसका प्रयोग चरक, सुश्रुत, वाग्भट्ट ने इसे कई रोगों में चिकित्सीय रूप से प्रयोग किया। लेकिन मुख्य रूप से यह एक कृमिघ्न है। यह पाचन, कृमिघ्न, रेचक है।
Vidang / Embelia एस्केसीडल (राउंड वर्म को मारता है), कार्मिनेटिव, एंटीबायोटिक, हाइपोग्लाइसेमिक गुण भी हैं। यह आंत्र परजीवी के उपचार के लिए आयुर्वेद में प्रयुक्त मुख्य जड़ीबूटी है। यह पेट विकार, कब्ज, गैस, अपच, बवासीर आदि में उपयोगी है। विरेचन गुण होने से है यह कब्ज़, पाइल्स, भगंदर एन उपयोगी है।
वायविडंग Embelia Ribes कृमि रोग, मेदवृद्धि तथा कफ रोगों में विशेष रूप से उपयोगी है। यह अनुलोमन, एंटीबैक्टीरियल, कृमिनाशक, और एंटीबायोटिक है। यह आयुर्वेद में पेट के कीड़ों के लिए प्रयोग की जाने वाली प्रमुख वनस्पति है। यह पेट के सभी रोगों, कब्ज़, अफारा, अपच, पाइल्स आदि में उपयोगी है।
प्रधान कर्म
- अनुलोमन: द्रव्य जो मल व् दोषों को पाक करके, मल के बंधाव को ढीला कर दोष मल बाहर निकाल दे।
- कफहर: द्रव्य जो कफ को कम करे।
- वातहर: द्रव्य जो वातदोष निवारक हो।
- पित्तकर: द्रव्य जो पित्त को बढ़ाये।
- छेदन: द्रव्य जो श्वास नलिका, फुफ्फुस, कंठ से लगे मलको बलपूर्वक निकाल दे।
- दीपन: द्रव्य जो जठराग्नि तो बढ़ाये लेकिन आम को न पचाए।
- पाचन: द्रव्य जो आम को पचाता हो लेकिन जठराग्नि को न बढ़ाये।
- ढीला कर दोष मल बाहर निकाल दे।
- अमानाशक: टॉसिन या अमा को नष्ट करता है।
संजीवनी वटी के फायदे | Benefits of Sanjivani Vati in Hindi
- यह आमवात नाशक है।
- यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है।
- यह वात-कफ को कम करती है।
- कफ कम करने के गुण के कारण इसे खांसी, जुखाम, जकड़न आदि में प्रयोग किया जाता है।
- इसके सेवन से पित्त स्राव बढ़ता है और पाचन सही करता है।
- यह भूख न लगना, जी मिचलाना, पाचन की कमजोरी, अजीर्ण में लाभ देती है।
- इसके सेवन से गुल्म, वस्तिरोग, तिल्ली के रोग, अर्श, आनाह, मलबंध आदि में लाभ होता है।
संजीवनी वटी के चिकित्सीय उपयोग | Uses of Sanjivani Vati in Hindi
- गुल्म Abdominal lump (Gulma)
- अजीर्ण Ajirna (Dyspepsia)
- कफ रोग Cold, cough, flu
- गैस्ट्रोएंटेरिटिस Digestive gastroenteritis
- बुखार Fever associated with indigestion
- सन्निपात बुखार High fever due to vitiation of all doshas
- अपच Indigestion
- सांप काटना Sarpadansha (Snake bite)
- विषैले जीवों का काटना Snake bite and other poisons
- टाइफाइड Typhoid
- विशुचिका Vishuchi (Gastro-enteritis with piercing pain)
संजीवनी वटी की सेवन विधि और मात्रा | Dosage of Sanjivani Vati in Hindi
- 1-2 गोली, दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
- इसे अदरक के जूस या गर्म पानी के साथ लें।
- इसे भोजन करने के बाद लें।
- या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।
संजीवनी वटी के इस्तेमाल में सावधनियाँ | Cautions in Hindi
- उचित खुराक उपयोगकर्ता की उम्र, स्वास्थ्य और कई अन्य स्थितियों जैसे कई कारकों पर निर्भर करती है। उचित खुराक निर्धारित करने के लिए पर्याप्त वैज्ञानिक जानकारी नहीं है।
- ध्यान रखें कि प्राकृतिक उत्पाद हमेशा सुरक्षित हों ऐसा जरूरी नहीं हैं।
- इसका इस्तेमाल चिकित्सक की सलाह के आधार पर 1 से 2 महीने तक किया जा सकता है।
- उम्र और ताकत पर विचार करते हुए और किसी वैद्य की विशेषज्ञ सलाह के साथ, दवा का उचित अनुपात में उचित अनुपान के साथ इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
- इस औषधि को केवल विशिष्ट समय अवधि के लिए निर्धारित खुराक में लें।
- इसे ज्यादा मात्रा में न लें।
- यह हमेशा ध्यान रखें की जिन दवाओं में भल्लाटक, वत्सनाभ जैसी जड़ी बूटियाँ होती हैं, उन दवाओं का सेवन लम्बे समय तक नहीं किया जाता। इसके अतिरिक्त इन्हें डॉक्टर के देख-रेख में बताई गई मात्रा और उपचार की अवधि तक ही लेना चाहिए।
- यह पित्त को बढ़ाता है। इसलिए पित्त प्रकृति के लोग इसका सेवन सावधानी से करें।
संजीवनी वटी के साइड-इफेक्ट्स | Side effects in Hindi
- निर्धारित खुराक में लेने से दवा का कोई दुष्प्रभाव नहीं है।
- इससे कुछ लोगों में पेट में जलन हो सकती है।
संजीवनी वटी को कब प्रयोग न करें | Contraindications in Hindi
- इसे गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान न लें।
- आयुर्वेद में उष्ण चीजों का सेवन गर्भावस्था में निषेध है। इसका सेवन गर्भावस्था में न करें।
- जिन्हें पेट में सूजन हो gastritis, वे इसका सेवन न करें।
- शरीर में यदि पहले से पित्त बढ़ा है, रक्त बहने का विकार है bleeding disorder, हाथ-पैर में जलन है, अल्सर है, छाले हैं तो भी इसका सेवन न करें।
- यदि दवा से किसी भी तरह का एलर्जिक रिएक्शन हों तो इसका इस्तेमाल नहीं करें।
- अधिक मात्रा में सेवन पेट में जलन, एसिडिटी, आदि समस्या कर सकता है।
- समस्या अधिक है, तो डॉक्टर की राय प्राप्तकर सही उपचार कराएं जिससे रोग बिगड़े नहीं।
भंडारण निर्देश
- सूखी जगह में स्टोर करें।
- इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
उपलब्धता
- इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।
- बैद्यनाथ Baidyanath Sanjivani Vati
- झंडू Zandu Sanjivani Vati
- पतंजलि Patanjali Divya Pharmacy Sanjivani Vati
- तथा अन्य बहुत सी फर्मसियाँ।
दवा के बारे में पूछे जाने वाले कुछ सवाल
क्या इस दवा को एलोपैथिक दवाओं के साथ ले सकते हैं?
हाँ, ले सकते हैं। लेकिन दवाओं के सेवन में कुछ घंटों का गैप रखें।
क्या संजीवनी वटी को होम्योपैथिक दवा के साथ ले सकते हैं?
ले तो सकते हैं। लेकिन इस से हो सकता है कि दोनों ही दवाएं काम नहीं करें। इसलिए, दवा के असर को देखना ज़रूरी है।
संजीवनी वटी को कितनी बार लेना है?
- इसे दिन में 2 बार बार लेना चाहिए।
- इसे दिन के एक ही समय लेने की कोशिश करें।
क्या दवा की अधिकता नुकसान कर सकती है?
दवाओं को सही मात्रा में लिया जाना चाहिए। ज्यादा मात्रा में दवा का सेवन साइड इफेक्ट्स कर सकता है।
क्या संजीवनी वटी सुरक्षित है?
हां, सिफारिश की खुराक में लेने के लिए सुरक्षित है।
संजीवनी वटी का मुख्य संकेत क्या है?
बुखार।
संजीवनी वटी का वात-पित्त या कफ पर क्या प्रभाव है?
- वात कम करना।
- पित्त वृद्धि करना।
- कफ कम करना।
क्या इसमें गैर-हर्बल सामग्री शामिल है?
नहीं।
मैं यह दवा कब तक ले सकता हूँ?
आप इसे 1-2 महीने के लिए ले सकते हैं।
संजीवनी वटी लेने का सबसे अच्छा समय क्या है?
इसे भोजन के बाद लिया जाना चाहिए एक ही समय में दैनिक रूप में लेने की कोशिश करें।
क्या संजीवनी वटी एक आदत बनाने वाली दवा है?
नहीं।
क्या यह दिमाग की अलर्टनेस पर असर डालती है?
नहीं।
क्या संजीवनी वटी लेने के दौरान ड्राइव करने के लिए सुरक्षित है?
हाँ।
क्या मैं इसे पीरियड्स के दौरान ले सकती हूँ?
इसे लिया जा सकता है। पीरियड्स के दौरान नहीं लें, अगर आपको रक्तस्राव पैटर्न पर कोई प्रभाव महसूस होता है।
क्या मैं इसे गर्भावस्था के दौरान ले सकती हूँ?
नहीं।
क्या एक मधुमेह व्यक्ति इसे ले सकता है?
हाँ।
क्या इसे बच्चों को दे सकते हैं?
नहीं।