सर्पगन्धाघन वटी के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

सर्पगन्धाघन वटी बढ़ी हुई नाड़ी की गति, नींद न आना, हिस्टीरिया, पागलपन आदि में लाभप्रद है। परन्तु इसका प्रयोग सभी के लिए सुरक्षित या लाभप्रद नहीं है। जिन लोगों को नींद नहीं आती पर रक्तचाप कम है उन्हें इसका सेवन नहीं करना चाहिए। यह ब्लड प्रेशर को और कम देगी जिसके गंभीर परिणाम हो सकते है।

सर्पगन्धा घन वटी, एक क्लासिकल classical herbal ayurvedic medicine आयुर्वेदिक हर्बल दवाई है है जोकि बहुत सी आयुर्वेदिक फार्मेसी बनाती है। इसे मुख्य रूप से उच्च रक्तचाप, मानसिक रोग और नींद न आने की समस्या में प्रयोग किया जाता है।

सर्पगन्धाघन वटी में सर्पगंधा के साथ-साथ भांग, खुरासानी अजवाइन, जटामांसी, और पिप्पलामूल है। इसका सेवन शरीर में गर्मी लाता है। यह पित्त को बढ़ाती है लेकिन वात और कफ को कम करती है। यह बढ़ी हुई नाड़ी की गति, नींद न आना, हिस्टीरिया, पागलपन आदि में लाभप्रद है।

परन्तु इसका प्रयोग सभी के लिए सुरक्षित या लाभप्रद नहीं है। जिन लोगों को नींद नहीं आती पर रक्तचाप कम है उन्हें इसका सेवन नहीं करना चाहिए। यह ब्लड प्रेशर को और कम देगी जिसके गंभीर परिणाम हो सकते है।

इसीप्रकार गर्भावस्था और दूध पिलाने वाली माताओं को इसका सेवन नहीं करना चाहिए।

जिनके शरीर में पित्त बढ़ा हुआ है और शरीर में अधिक गर्मी के कारण जलन burning sensation, रुधिर बहने के विकार है Bleeding disorder उन्हें इसका सेवन नहीं करना चाहिए। इस दवा का प्रयोग लम्बे समय तक नहीं करना चाहिए क्योंकि यह अवसाद depression करती है।

Sarpagandhaghan Vati is a classical herbal Ayurvedic medicine used in treatment of hypertension, insomnia, anxiety, increased pulse and psychotic disorders. It reduces Kapha/phlegm and Vata/wind in the body but increases bile or pitta. It has thermogenic action and increases heat inside body.

Sarpagandha ghan vati contains Sarpagandha and Bhang due to which it is a Central nervous system depressant or CNS depressant action medicine and hence it gives relief in increased pulse, insomnia, hysteria, nervousness, emotional instability, irritability etc.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

सर्पगन्धा घन वटी के घटक | Ingredients of Sarpagandhaghan Vati in Hindi

  1. सर्पगंधा Sarpagandha (Rt.) 10 Parts
  2. खुरासानी अजवाइन Khurasani Yavani (Sd.) 2 Parts
  3. जटामांसी Jatamansi (Rt.) 1 Parts
  4. भांग Bhanga (Vijaya) (Lf.) 1 Parts
  5. पानी Jala 8 Parts Reduced to 1 Part
  6. पिप्पलामूल चूर्ण Pippali mula churna (Rt.) 1 Part

सर्पगन्धा घन वटी के फायदे | Benefits of Sarpagandhaghan Vati in Hindi

  1. यह नर्वस सिस्टम पर काम करती है।
  2. यह उच्च रक्तचाप को कम करती है।
  3. यह हृदय की असामान्य बढ़ी गति को कम करती है।
  4. यह निद्राजनक है।
  5. यह सेंट्रल नर्वस सिस्टम को डिप्रेस करती है।
  6. यह एंग्जायटी, स्ट्रेस को कम करने में सहायक है।

आयुर्वेदिक गुण और कर्म

सर्पगन्धा घन वटी स्वाद में कड़वी, गुण में रूखा करने वाली और लघु है। स्वभाव से यह गर्म है और कटु विपाक है।

यह कटु रस औषधि है। कटु रस तीखा होता है और इसमें गर्मी के गुण होते हैं। गर्म गुण के कारण यह शरीर में पित्त बढ़ाता है, कफ को पतला करता है। यह पाचन और अवशोषण को सही करता है। इसमें खून साफ़ करने और त्वचा रोगों में लाभ करने के भी गुण हैं।

कटु रस गर्म, हल्का, पसीना लाना वाला, कमजोरी लाने वाला, और प्यास बढ़ाने वाला होता है। यह रस कफ रोगों में बहुत लाभप्रद होता है। पित्त के असंतुलन होने पर कटु रस पदार्थों को सेवन नहीं करना चाहिए।

  • रस (taste on tongue): तिक्त
  • गुण (Pharmacological Action): लघु, रुक्ष
  • वीर्य (Potency): उष्ण
  • विपाक (transformed state after digestion): कटु

कर्म:

  • वातहर, कफ हर
  • पित्तवर्धक
  • दीपन

मुख्य प्रभाव: रक्तचाप कम करना, निद्राजनन

धातु: मेद, रक्त और रस धातु

सर्पगन्धा घन वटी के चिकित्सीय उपयोग | Uses of Sarpagandhaghan Vati in Hindi

सर्पगन्धा घन वटी को मुख्य रूप से ब्लड प्रेशर को कम करने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसके सेवन से मस्तिष्क को आराम मिलता है और नींद अच्छी आती है।

  1. उच्च रक्तचाप Hypertension
  2. अनिद्रा, नींद न आना Insomnia
  3. बढ़ी हुई नाड़ी गति tachycardia
  4. एंग्जायटी, चिड़चिड़ापन
  5. क्योंकि यह एंटीसाइकोटिक anti-psychotic और ट्रैंक्विलाइज़र tranquilizer है इसलिए हिस्टीरिया, पागलपन, उन्माद, भ्रम, भूतबाधा आदि मानसिक विकारों में लाभप्रद है।
  6. यह पित्त वर्धक है और पाचन में सहयोगी है।

सर्पगन्धा घन वटी की सेवन विधि और मात्रा | Dosage of Sarpagandhaghan Vati in Hindi

  1. 1 गोली (375mg), दिन में एक या दो बार लें।
  2. अनिद्रा में इसे एक बार रात में सोने से पहले लें।
  3. उच्च रक्तचाप में इसे दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
  4. इसे दूध या पानी के साथ लें।
  5. इसे भोजन करने के बाद लें।
  6. या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side-effects/Contraindications in Hindi

  1. यह पित्त को बढ़ाती है। इसलिए पित्त प्रकृति के लोग इसका सेवन सावधानी से करें।
  2. अधिक मात्रा में सेवन पेट में जलन, एसिडिटी, आदि समस्या कर सकता है।
  3. जिन्हें पेट में सूजन हो gastritis, अल्सर, कोलाइटिस हो, वे इसका सेवन न करें।
  4. शरीर में यदि पहले से पित्त बढ़ा है, रक्त बहने का विकार है bleeding disorder, हाथ-पैर में जलन है, अल्सर है, छाले हैं तो भी इसका सेवन न करें।
  5. आयुर्वेद में उष्ण चीजों का सेवन गर्भावस्था में निषेध है। इसका सेवन गर्भावस्था में न करें।
  6. इसे स्तनपान के दौरान न खाएं।
  7. इसे डिप्रेशन /अवसाद depression में न खाएं।
  8. यदि अनिद्रा की समस्या के साथ कम रक्तचाप hypotension की शिकायत भी है तो इसका सेवन न करें।
  9. अधिक मात्रा में सेवन न करें। इसमें सर्पगंधा और भांग है जिसका अधिक सेवन स्वास्थ्य पर गंभीर दुष्प्रभाव डालता है।
  10. इसे बच्चों को न दें। बच्चों की पहुँच से दूर रखें।

इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।

  • Baidyanath (Sarpagandhaghan Vati / tablet)
  • Planet Ayurveda (Sarpgandhaghan Vati)
  • Dabur (Sarpagandhaghan Vati)
  • Unjha (Sarpagandha Ghanvati)
  • Zandu (Sarpagandhaghan Tablets, Blister pack) and many other Ayurvedic pharmacies.

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