शतावरी घृत (भैषज्य रत्नावली) के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

शतावरी घृत के सेवन से शरीर में अधिक पित्त और वात (पित्त और वात विकार) के कारण होने वाले विकार दूर होते है। इसके सेवन से शरीर में ताकत आती है। यह पौष्टिक होने के साथ-साथ शरीर के भीतर की रूक्षता को दूर करता है और कब्ज़ से राहत देता है।

शतावरी घृत एक आयुर्वेदिक घृत या घी है। भैषज्य रत्नावली में वर्णित विधि के अनुसार शतावरी घृत बनाने के लिए शतावरी के पेस्ट को दूध और गाय के घी में पकाया जाता है। शतावर आयुर्वेद की जानी मानी रसायन औषधि है। इसके सेवन से शरीर में बल और धातुओं की वृद्धि होती है। यह पौष्टिक है और पुरुषों द्वारा इसका सेवन वीर्य, शुक्र, और यौन शक्ति को बढाता है। महिलाओं द्वारा इसका सेवन प्रजनन अंगों सहित पूरे स्वास्थ्य को अच्छा करता है।

शतावरी घृत के सेवन से शरीर में अधिक पित्त और वात (पित्त और वात विकार) के कारण होने वाले विकार दूर होते है। इसके सेवन से शरीर में ताकत आती है। यह पौष्टिक होने के साथ-साथ शरीर के भीतर की रूक्षता को दूर करता है और कब्ज़ से राहत देता है। यह पाचक और बस्ती को शुद्ध करता है। यह धातुक्षीणता को दूर करता है और शरीर को सबल बनता है।

Shatavari Ghrita is a medicated Ghee containing Shatavari. It gives strength and cures internal dryness. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

शतावरी घृत के घटक | Ingredients of Shatavari Ghrita in Hindi

  • शतावर का कल्क 768 gram
  • दूध 30720 gram
  • गाय का घी 7680 gram

शतावर

शतावर (एस्पेरेगस रेसिमोसस) एक महत्वपूर्ण वनस्पति है। औषधि की तरह प्रयोग करने के लिए इसकी जड़ों का प्रयोग होता है। शतावर की जड़ें लम्बी और गोल होती हैं जिनकी मोटाई ऊँगली जितनी या ज्यादा होती है।

शतावर पचने में भारी, स्निग्ध, रस में मधुर, कड़वी, पचने के बाद मधुर, और तासीर में ठंडी होती है। यह वात और पित्त को शांत करती है। यह यौन शक्ति को बढ़ाती है। यह उत्तम वाजीकारक, पुष्टिकारक, धातुवर्धक, और रसायन है। यह बल की वृद्धि करती है और कमजोरी को दूर करती है। यह कोमोत्तेजना को भी बढ़ाती है। यह यौवन की रक्षा करती है।

पुरुषों में यह धातु, शुक्र और वीर्य को बढाती है और महिलाओं में गर्भाशय को उचित पोषण और ताकत देती है। इसके सेवन से महिलाओं में दूध की वृद्धि होती है।

  • स्त्रियों द्वारा शतावरी का सेवन स्तनों के विकास में मदद और गर्भ सम्बन्धी समस्याओं को दूर करता है।
  • यह गर्भ का पोषण कर गर्भपात abortion की संभावना को कम करता है।

शतावरी घृत के लाभ | Benefits of Shatavari Ghrita in Hindi

  • यह वीर्य (sperm) और शुक्र (semen) वर्धक है।
  • यह अधिक पित्त के कारण होने वाले विकारों जैस की जलन, दर्द, नाक से खून जाना, योनि से असामान्य खून गिरना आदि को दूर करता है।
  • यह बिर्य को गाढ़ा करता है और स्तम्भन को बढ़ाता है।
  • यह अत्यंत पौष्टिक है।
  • यह स्निग्ध है और आन्तरिक रूक्षता दूर करता है।
  • यह वज़न, कान्ति, और पाचन को बढ़ाता है।
  • यह कब्ज़ से राहत देता है।
  • यह दिमाग, नसों, मांस, आँखों, मलाशय आदि को शक्ति प्रदान करता है।
  • यह धातुओं को पुष्ट करता है।
  • यह पित्त विकार को दूर करता है।
  • यह गर्भाशय को ताकत देता है और गर्भधारण की संभावना को बढ़ाता है।
  • यह उत्तम वाजीकारक, शीतवीर्य और धातुवर्धक है।
  • यह शुक्रक्षय, धातुविकार, गर्भाशय रोग, रक्तपित्त, योनि में दर्द, कमजोरी, कान्ति एवं वज़न की कमी को दूर करने वाला है।

शतावरी घृत के चिकित्सीय उपयोग | Uses of Shatavari Ghrita in Hindi

  • अम्लपित्त hyperacidity
  • वात-पित्त के कारण रोग pitta-vikar, vata-vikar
  • रक्त-पित्त bleeding disorders
  • पुराना कोलाईटिस chronic colitis
  • ज्यादा प्यास लगना excessive thirst
  • बेहोशी dizziness
  • श्वास asthma
  • स्ट्रेस stress
  • यौन समस्याएं sexual disorders

शतावरी घृत की सेवन विधि और मात्रा | Dosage of Shatavari Ghrita in Hindi

  • 5-10 ग्राम दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
  • इसे दूध अथवा गर्म पानी के साथ लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।
  • कृपया ध्यान दें, आयुर्वेदिक दवाओं की सटीक खुराक आयु, ताकत, पाचन शक्ति का रोगी, बीमारी और व्यक्तिगत दवाओं के गुणों की प्रकृति पर निर्भर करता है।
  • मोटापा, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, उच्च कोलेस्ट्रॉल में एहतियात के साथ इस दवा का उपयोग करना चाहिए।

इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।

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