स्फटिक भस्म, फिटकरी की भस्म को कहते हैं। इसे शुभ्रा भस्म के नाम से भी जानते हैं। आयुर्वेद में इसे आंतरिक और बाह्य दोनों ही तरीकों से प्रयोग करते हैं। स्फटिक भस्म, को बहुत ही कम मात्रा में, डॉक्टर के निर्देशानुसार कफ रोगों, फेफड़ों के रोगों, रक्त प्रदर, आदि में प्रयोग करते हैं। इसे लयूकोडर्मा, विसर्प, हर्पिज़ आदि में भी प्रयोग किया जाता है। स्फटिका भस्म के सेवन से आंतरिक रक्त स्राव रुकता है और यह कफ को सुखाती है। इससे वात और पित्त संतुलित होते हैं।
फिटकरी का संस्कृत में नाम स्फटिका, कांक्षी, तुवरी, स्फटिका सौराष्ट्री, शुभ्रा, स्फुटिका आदि है। इसे इंग्लिश में पोटाश एलम कहते हैं। फिटकरी एक रंगहीन क्रिस्टलीय पदार्थ है। इसका रासयनिक नाम पोटेशियम एल्युमिनियम सल्फेट है तथा इसका केमिकल फार्मूला KAl(SO4)2.12H2O है।
आयुर्वेद में चिकित्सा के लिए फिटकरी का प्रयोग प्राचीन समय से किया जाता रहा है। चरक संहिता में भी इसके प्रयोग का वर्णन पाया जाता है। रत्न समुच्चय ग्रन्थ में इसे तुवरी कहा गया है। रसतरंगिणी में इसे पित्त-कफ नाशक, ज्वरनाशक, आँखों के रोगों में लाभप्रद, खून के बहने को रोकने वाली, मुख के रोगों, कान रोगों और नाक से खून बहने से रोकने वाली माना गया है।
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- अन्य नाम: Subhra Bhasma, Sphatika Bhasma
- उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
- मुख्य उपयोग: खून बहने के विकार, श्वसन रोग, और त्वचा रोग
- मुख्य गुण: संकोचक astringent और खून के बहने को रोकने वाला
Alum Sulphate of Alumina, Sphatikari, Surashtraja, Phitikhari, Phitkari, or Alum is colorless, transparent crystals, with sweetish astringent taste. It has Astringent, caustic, hemostatic and antiseptic action.
Alum is used for lung, skin and eye diseases. It clears the discharges from eyes. It constricts the vessels and used in chronic and purulent opthalmia, chronic conjunctivitis, sore eyes, and purulent discharge from eyes. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.
स्फटिका भस्म के घटक | Ingredients Of Sphatika Bhasma in Hindi
शुद्ध फिटकरी Alum (Sphatika)
फिटकरी क्या है?
- फिटकरी एल्युमीनियम और पोटेशियम सल्फेट का संयोग है।
- फिटकरी को एक प्रकार की खनिज मिट्टी जिसे रोल (हिंदी) या एलम शोल (इंग्लिश) से बनाया जाता है। जहाँ भूमि में एल्युमीनियम और सल्फर ज्यादा मात्रा में पाया जाता है वहां की ऊपरी मिट्टी में फिटकरी की थोड़ी मात्रा में प्राकृतिक रूप से मिलती है।
- इसका निर्माण कृत्रिम रूप से सौराष्ट्र की मिट्टी को सत्वपातित करके किया जाता था।
- अब इसे रासयनिक तरीके से काफी मात्रा में बनाया जाता है।
स्फटिक भस्म बनाने की विधि
- फिटकरी के टुकड़े साफ़ कर लेते हैं। इसके छोटे – छोटे टुकड़े कर मिट्टी के बड़े पेट वाले बर्तन में रख देते हैं। इसे गजपुट में डाल देते हैं। ठंडा होने पर इसे निकाल कर भस्म बना लेते हैं।
- कुछ वैद्य फिटकरी को तवा पर रखकर फुलालेते हैं और इसकी खील बनाकर पीस लेते हैं और इसे फिरकारी की भस्म की तरह इस्तेमाल करते हैं।
स्फटिका भस्म के लाभ / फायदे | Benefits of Sphatika Bhasma in Hindi
स्फटिका भस्म सूजाक, रक्तप्रदर, खांसी, छाती में दर्द, पुरानी खांसी, निमोनिया आदि में लाभप्रद है।
- स्फटिका भस्म शरीर से कफ सुखाती है।
- स्फटिका भस्म से खून का बहना रुकता है।
- यदि ज्यादा कफ से फेफड़े कठोर हो गए हों तो इसके सेवन से लाभ होता है।
- स्फटिका भस्म विष नाशक है। यह सभी प्रकार के विष के लिए लाभदायक है।
- बिच्छू के जहर पर इसे काटे वाले जगह पर स्फटिका भस्म लगाना चाहिए।
स्फटिका भस्म के चिकित्सीय उपयोग | Uses of Sphatika Bhasma in Hindi
स्फटिका भस्म का आंतरिक प्रयोग
- उल्टी में रक्त
- कुक्कुर खांसी
- गुदा रक्तस्राव
- तपेदिक
- दस्त
- निमोनिया के कारण छाती में दर्द
- ब्रोंकाइटिस
- मलेरिया / पारी वाला बुखार
- योनि से असामान्य रक्त गिरना
स्फटिका भस्म का बाह्य प्रयोग
- आँखों में कीचड़ बनना
- आँखों का लाल होना
- कान बहना
- खाज-खुजली
- खून बहना
- खून बहने वाला घाव
- घाव, चाक़ू, कुल्हाड़ी आदि के कारण घाव
- मुंह में छाले
स्फटिका भस्म की सेवन विधि और मात्रा | Dosage of Sphatika Bhasma in Hindi
- 1-2 रत्ती / 125mg-250mg दिन में एक या दो बार लें।
- इसे शहद, घी, शर्बत वनप्सा शरबत या रोगानुसार अनुपान के साथ लें।
- इसे भोजन करने के बाद लें।
- या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।
सावधनियाँ / साइड-इफेक्ट्स / कब प्रयोग न करें Cautions/Side effects/Contraindications in Hindi
- इस दवा को केवल डॉक्टर की देख-रेख में आंतरिक प्रयोग के लिए इस्तेमाल करें।
- इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
- इसे डॉक्टर द्वारा बताई मात्रा से ज्यादा मात्रा में न लें।
- इसे गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान न लें।
- यह लम्बे समय तक नहीं ली जानी चाहिए।
- इसके प्रयोग से पेट में सूजन, अल्सर या मतली-उलटी हो सकता है।
उपलब्धता
- इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।
- बैद्यनाथ Baidyanath Sphatika Bhasma
- पतंजलि दिव्य Patanjali Divya Pharmacy Sphatik Bhasma R.T. स्फटिक भस्म के 5 ग्राम के पैकेट की क्मिमत 10 रुपए है।
- Well cure remedies pvt. ltd. Sphatika Bhasma
- तथा अन्य बहुत सी फर्मसियाँ।
mujhe herpes simplex virus h 3 yrs thik ni ho rha h abi 3 months se ilaj chl rha h homeopathic kya me thik ho jaungi plz Mem rply bhut pblm h