टैलेक्ट हिमालय ड्रग कंपनी द्वारा निर्मित एक प्रोप्राइटरी हर्बल आयुर्वेदिक दवाई है तथा इसे त्वचा रोगों में लिया जा सकता है। टैलेक्ट से खून साफ़ होता है। इसमें नीम, गुडूच, विडंग, भृंगराज और कालमेघ के एक्सट्रेक्ट और हल्दी, अमलतास के पाउडर हैं। इस दवा का सेवन कील, मुंहासे, अधिक फोड़े-फुंसी होना, तथा बार-बार होने वाले त्वचा के बैक्टीरियल इन्फेक्शन में किया जा सकता है। टेलेक्ट दवा में सूजन दूर करने और एंटीबैक्टीरियल गुण है।
यह दवा सिरप और कैप्सूल के रूप में उपलब्ध है। इसके सभी घटक हर्बल हैं और इसे लम्बे समय तक लेना सुरक्षित है। त्वचा रोग बहुत जिद्दी होते हैं और जल्दी ठीक नहीं होते और इसलिए त्वचा समस्याओं का इलाज़ बहुत धैर्य से किया जाता है।
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Himalaya Talekt from Himalaya, is an herbal remedy skin disease. Skin diseases are difficult to treat and require changes in diet, lifestyle and patience. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.
- उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
- दवाई का प्रकार: हर्बल आयुर्वेदिक दवाई
- मुख्य उपयोग: चमड़ी के रोग
- मुख्य गुण: खून साफ़ करना
- मूल्य MRP: Himalaya Herbal Talekt 60 Tablet for Healthy Skin @ 100 INR
टैलेक्ट कैप्सूल के घटक | Ingredients of Talekt Capsule in Hindi
पाउडर Powders
- हरिद्रा Haridra (Curcuma longa) 36mg
- अमलतास Aragvadha (Cassia fistula) 36mg
एक्सट्रेक्ट Extracts
- नीम Nimba (Azadirachta indica) 32mg
- गुडूची Guduchi (Tinospora cordifolia) 32mg
- विडंग Vidanga (Embelia ribes) 31mg
- भृंगराज Bhringaraja (Eclipta alba) 31mg
- कालमेघ Kalamegha (Andrographis paniculata) 31mg
जाने दवा में प्रयुक्त जड़ी-बूटियों को
भृंगराज
भृंगराज को हिंदी में भांगरा, भंगरिया, भंगरा, संस्कृत में केशराज, भृंगराज, भृंगरज, मार्कव, भृंग, अंगारक, केशरंजन आदि कहते है। इंग्लिश में ट्रेलिंग एक्लिप्टा और लैटिन में एक्लिप्टा अल्बा कहते हैं। यह वनस्पति नालियों के किनारे, खेतों के किनारे और पानी वाली जगहों पर पायी जाती है। यह एक खरपतवार है जो की बारिश के मौसम में स्वतः ही उग जाती है।
इसके पत्ते देखने में अनार के पत्ते जैसे पर उससे चौड़े और लम्बे होते हैं। इसके बीज बहुत छोटे और काले होते हैं।
औषधीय प्रयोग के लिए भृंगराज का पूरा पौधा ताज़ा या सूखा प्रयोग किया जाता है। यह केशों, त्वचा, नेत्रों और लीवर के लिए लाभप्रद है।
भृंगराज को लीवर सिरोसिस और हेपेटाइटिस में किया जाता है। यह रंजक पित्त को साफ़ करता है और लीवर की रक्षा करता है। यह बाइल का फ्लो बढ़ाता है और भूख को सही करता है। यह खून बढ़ाता है और लीवर फंक्शन को ठीक करता है। इसके सेवन से एनीमिया दूर होता है।
गिलोय (टिनोस्पोरा कोर्डिफोलिया)
गिलोय आयुर्वेद की बहुत ही मानी हुई औषध है। इसे गुडूची, गुर्च, मधु]पर्णी, टिनोस्पोरा, तंत्रिका, गुडिच आदि नामों से जाना जाता है। यह एक बेल है जो सहारे पर कुंडली मार कर आगे बढती जाती है। इसे इसके गुणों के कारण ही अमृता कहा गया है। यह जीवनीय है और शक्ति की वृद्धि करती है। इसे जीवन्तिका भी कहा जाता है।
दवा के रूप में गिलोय के अंगुली भर की मोटाई के तने का प्रयोग किया जाता है। जो गिलोय नीम के पेड़ पर चढ़ कर बढती है उसे और भी अधिक उत्तम माना जाता है। इसे सुखा कर या ताज़ा ही प्रयोग किया जा सकता है। ताज़ा गिलोय को चबा कर लिया जा सकता है, कूंच कर रात भर पानी में भिगो कर सुबह लिया जा सकता है अथवा इसका काढ़ा बना कर ले सकते है।
गिलोय वात-पित्त और कफ का संतुलन करने वाली दवाई है। यह रक्त से दूषित पदार्थो को नष्ट करती है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है। यह एक बहुत ही अच्छी ज्वरघ्न है और वायरस-बैक्टीरिया जनित बुखारों में अत्यंत लाभप्रद है। गिलोय के तने का काढ़ा दिन में तीन बार नियमित रूप से तीन से पांच दिन या आवश्कता हो तो उससे अधिक दिन पर लेने से ज्वर नष्ट होता है। किसी भी प्रकार के बुखार में लीवर पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। ऐसे में गिलोय का सवेन लीवर की रक्षा करता है। यदि रक्त विकार हो, पुराना बुखार हो, यकृत की कमजोरी हो, प्रमेह हो, तो इसका प्रयोग अवश्य करना चाहिए।
कालमेघ
कालमेघ को भूनिम्ब भी कहते हैं। यह बहुत कड़वी औषधि है। यह इन्फेक्शन, बुखार, और खून रोकने तथा खून साफ़ करने केलिए प्रयोग की जाने वाली दवा है।
कालमेघ का सेवन बाइल को बढ़ाता है। यह लीवर के इन्फेक्शन और सूजन में उपयोगी है। यह रंजक पित्त को कम करता है। कालमेघ लीवर की रक्षा करता है। यह एंटीवायरल है और हेपेटाइटिस में उपयोगी है। लीवर के धीमे काम करने और फैट के कम पाचन को ठीक करने में इसे प्रयोग करते हैं।
हल्दी
हल्दी के बहुत से नाम हैं। इसे हरिद्रा, कांचनी, पीता, निशा, वरवर्णिनी, कृमिघ्ना, हलदी, योषितप्रिया, हट्टविलासिनी आदि नामों से पुकारते हैं। संस्कृत में जितने पर्यायवाची रात्रि के हैं, वे सभी हल्दी के भी नाम है। हल्दी स्वाद में चरपरी, कडवी, रूखी, गर्म, कफ, वात त्वचा के रोगों, प्रमेह, रक्त विकार, सूजन, पांडू रोग, और घाव को दूर करने वाली है।
हल्दी (हरिद्रा) नई या पुरानी दोनों ही तरह की सूजन दूर करने वाली जड़ी बूटी के है। यह त्वचा एलर्जी में यह अत्यंत सहायक है। हल्दी प्राकृतिक रक्त शोधक है। इसमें एंटी माइक्रोबियल गुण है जो त्वचा रोगों को कम करने और रंग को निखारने का काम करते है।
नीम अजादिरीक्टा इंडिका
नीम को आयुर्वेद में निम्ब, पिचुमर्द, पिचुमंद, तिक्तक, अरिष्ट, पारिभद्र, हिंगू, तथा हिंगुनिर्यास कहा जाता है। इंग्लिश में इसे मार्गोसा और इंडियन लीलैक, बंगाली में निमगाछ निम्ब, गुजराती में लिंबडो, और हिंदी में नीम कहा जाता है। नीम को फ़ारसी में आज़ाद दरख्त कहा जाता है। नीम का लैटिन नाम मेलिया अजाडीरीक्टा या अजाडीरीक्टा इंडिका है।
नीम (निंबा) आयुर्वेद में सर्वरोगनिवारिण औषधि है। कड़वे स्वाद के कारण यह रक्त दोषों और मधुमेह में विशेष रूप से लाभप्रद है। नीम, रस में तिक्त है। गुण में लघु-रूक्ष है। तासीर में यह शीतल और कटु विपाक है। कर्म में यह ज्वरघ्न, पित्तहर, ग्राही और रक्तदोषहर है। नीम के सेवन से रक्त विकार, सूजन, पित्त रोग, बुखार आदि दूर होते हैं।
टैलेक्ट कैप्सूल के लाभ / फायदे | Benefits of Talekt Capsule in Hindi
- यह दवा खून को साफ़ करता है।
- यह यकृत को स्वस्थ करता है।
- यह रसायन, पाचन, शरीर से गन्दगी निकलने वाली, और मल को साफ़ करने वाली दवा है।
- यह लीवर फंक्शन को सही करता है।
- यह वात और पित्त दोष को संतुलित करता है।
- यह शरीर में फ्री रेडिकल का बनना कम करता है।
- यह शरीर से विषाक्तता बाहर करता है।
टैलेक्ट कैप्सूल के चिकित्सीय उपयोग | Uses of Talekt Capsule in Hindi
सेबेसिअस ग्रंथि विकार Sebaceous gland disorders:
- संक्रमित और गैर-संक्रमित मुँहासे वल्गारिस
- चेहरे की लाली, गाल, नाक, ठोड़ी और माथे की सूजन
बैक्टीरिया से त्वचा संक्रमण Bacterial skin infections:
- बाल की जड़ के संक्रमण
- जीवाणु द्वारा हाथ / पैर , नाखून संक्रमण
तीव्र और पुरानी डर्मेटाइटिस Acute and chronic dermatitis:
- संक्रामक
- एलर्जी
सिस्टमिक मायकोसेस Systemic mycoses:
- दाद
- कैंडिडिअसिस (कवक खमीर संक्रमण)
परजीवी त्वचा संक्रमण Parasitic skin infections:
- खुजली
- पेडीक्युलोसिस (बाल में जूँ) Pediculosis
पापुलोस्क्वैम विकार Papulosquamous disorders:
सोरायसिस
सेवन विधि और मात्रा | Dosage of Talekt Capsule in Hindi
- 1-2 गोली, दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
- इसे शहद, दूध, पानी के साथ लें।
- इसे भोजन करने के बाद लें।
- या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।
सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side effects/Contraindications in Hindi
- अधिक मात्रा में उन भोजन का सेवन न करें जो शरीर में गर्मी बढ़ाते हों। जैसे की मिर्च, गुड़, तिल, चाय-कॉफ़ी आदि।
- इससे वात बढ़ सकता है।
- इसे ज्यादा मात्रा में न लें।
- इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
- कब्ज़ न रहने दें।
- खाना खाने के तुरंत बाद न सोयें।
- गर्भावस्था में कोई दवा बिना डॉक्टर की सलाह के न लें।
- तला हुआ, मिर्च-मसालेदार भोजन न करें।
- धूप में बहुत अधिक देर न रहें।
- पानी अधिक पियें।
- बहुत अधिक मात्रा में खट्टे पदार्थों जैसे की दही, आचार, नींबू, इमली, टमाटर, संतरे आदि न खाएं।
- मीट, नॉन वेज न खाएं।
- यह दवा आपके लिए फायदेमंद हो भी सकती और नहीं भी। यह रोग के प्रकार, गंभीरता, कितने समय से रोग है, अन्य मेडिकल कंडीशन आदि पर निर्भर करता है।
- यह हर्बल है और लम्बे समय तक लेने के लिए सुरक्षित है।
- विरुद्ध आहार को जाने और उनका सेवन न करें। जैसे दूध के साथ नमक, दूध के साथ मछली, दूध के साथ दही, गर्म-ठंडी तासीर के भोज्य पदार्थ एक साथ न लें।
Mai 17 saal ka hu . Mujhe ling aur butt area par dad aur khujli hoti hai kiya mai ye tablet le sakta hun??