आयुर्वेद में धातुओं की भस्म का अत्यधिक महत्व है और आयुर्वेदिक फोर्मुलों में इनका काफी प्रयोग किया जाता है। तांबे के पाउडर, छोटे टुकड़े, या बहुत पतली चादरों के रूप में कॉपर, ताम्र भस्म बनाने की प्रारंभिक सामग्री है। कई विशिष्ट पौधे के रस के साथ संयोजन की प्रक्रियाओं को करने के बाद जिसमें दोहराए गए कैल्सीनेशन शामिल हैं, ताम्बे से ताम्बे की भस्म तैयार होती है।
ताम्र भस्म का उपयोग विभिन्न रोगों के उपचार में किया जाता है। कॉपर से बनी यह भस्म विरेचक, लेखन, भेदी, और उलटी लाने के गुण से युक्त है। कॉपर में शरीर में हर प्रणाली को विशेष रूप से प्रजनन, तंत्रिका, और ग्रंथि संबंधी प्रणालियों को गहराई से प्रभावित करने की क्षमता होती है।
ताम्र भस्म लेने से शरीर में कॉपर की कमी दूर होती है। कॉपर एक आवश्यक खनिज है जिसमें शरीर में कई भूमिकाएं होती हैं। स्वस्थ चयापचय को बनाए रखने, मजबूत और स्वस्थ हड्डियों को बढ़ावा देने और तंत्रिका तंत्र के ठीक से काम करने के लिए कॉपर ज़रूरी है। वैसे तो शरीर में तांबे की कमी दुर्लभ है, लेकिन आजकल इसकी कमी देखीजा रही है। तांबे की कमी के अन्य कारण सेलियाक रोग, पाचन तंत्र को प्रभावित करने वाली सर्जरी और बहुत अधिक जस्ता खाने से हो सकती क्योंकि जिंक, तांबे के साथ अवशोषित होने के लिए प्रतिस्पर्धा करता है।
जब शरीर में तांबे का स्तर कम होता है, तो शरीर कम लोहे को अवशोषित करता है। इससे लौह की कमी वाला एनीमिया हो सकता है। ऑक्सीजन की कमी आपको कमजोर कर सकती है और आसानी से थकावट होती है।
ताम्र भस्म तासीर में गर्म होने से कफ को सुखाती है और सांस लेना सुगम करती है। इसे लेने से लिवर और स्प्लीन के फंक्शन में सुधार होता है। लेकिन जहाँ सही तरीके से बनी हुई ताम्र भस्म से रोग ठीक होते हैं, वही गलत तरीके से बनी भस्म या कच्चे कॉपर के सेवन के परिणाम भयंकर हो सकते हैं।
कच्चा तांबा या अनुचित तरीके से तैयार ताम्र भस्म, विभिन्न बीमारियों का कारण हो सकती है। इससे उल्टी, बेहोशी, भ्रम, अकड़नेवाला दर्द, जलन, प्रलाप, अरुचि, यहां तक कि जान भी जा सकती है । इसलिए सर्वोत्तम गुणवत्ता की ही ताम्र भस्म का सेवन किया जाना चाहिए।
ताम्र भस्म केवल चिकित्सक की देखरेख में बताई हुई खुराक और दिनों तक ही लिया जाना चाहिए। अधिक खुराक, अधिक दिनों तक लगातार सेवन, के गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं।
ताम्र भस्म का परीक्षण
ताम्र भस्म का रंग काला होता है तथा यह मुलायम, चिकनी, स्वादहीन पाउडर है। यह कॉपर के सल्फाइड और ऑक्साइड का संयोजन है। उँगलियों के बीच रख मलने पर इसे बहुत ही महीन होना चाहिए।
धीरे से शांत पानी की सतह पर रखने पर इसे पानी पर तैरना चाहिए।
खट्टी दही में डाल कर छोड़ दें। यदि दही नीली हो जाए तो ताम्र भस्म भस्म जहरीली है और इसका उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
ताम्र भस्म के संभावित दुष्प्रभाव हिंदी में
तांबे धातु से तैयार ताम्र भस्म एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक दवा है। यह एक बहुमुखी दवा है और विशेष रूप से यकृत और प्लीहा, ट्यूमर, जलोदर आदि से संबंधित शिकायतों के लिए अनुशंसित है। ताम्र भस्म को लेने की ज़रूरत, खुराक और अवधि, आयुर्वेदिक डॉक्टर से कंसल्ट करके जाननी चाहिए। अपने आप से दवा लेना शुरू करने से ज़रूरी नहीं की कोई फायदा हो लेकिन नुकसान ज़रुर हो सकता है।
सेल्फ मेडिकेशन को सकता है खतरनाक
ताम्र भस्म, धातु का स्रोत है। इसे लेने से शरीर में कॉपर जाता है। बहुत अधिक तांबा विषाक्त हो सकता है।
आपके शरीर में आहार से, दूषित पानी पीने से भी तांबा जाता है। आप तांबा सल्फेट वाले फंगसाइड के आसपास होने से बहुत अधिक तांबा भी प्राप्त कर सकते हैं। यदि आपके पास ऐसी स्थिति है जो शरीर को तांबा से छुटकारा पाने से रोकती है तो आपके पास बहुत अधिक तांबा भी हो सकता है। उदाहरण के लिए, विल्सन बीमारी यकृत को तांबा को सुरक्षित रूप से और अपने मल में शरीर से बाहर तांबा भेजने से रोकती है। यकृत में अतिरिक्त तांबा अतिप्रवाह होता है और गुर्दे, मस्तिष्क और आंखों में बनता है। यह अतिरिक्त तांबे यकृत कोशिकाओं को मार सकता है और तंत्रिका क्षति का कारण बन सकता है। इलाज न किए जाने पर विल्सन बीमारी घातक है। अतिरिक्त तांबा भी आपके शरीर को जस्ता और लौह को अवशोषित करने में हस्तक्षेप कर सकता है।
अधिक कॉपर कर सकता है जिंक की कमी
अधिक कॉपर तांबे / जिंक असंतुलन का कारण बन सकता है। कॉपर एक आवश्यक ट्रेस खनिज है, लेकिन इसकी आवश्यकता बहुत ही कम मात्रा में होती है। यह जिंक के साथ काम करता है, कभी-कभी पूरक की तरह और कभी-कभी विरोध में। कॉपर की अधिकता से शरीर में जिंक कम हो सकता है।
उच्च कॉपर और कम जिंक से बहुत से लक्षण होते हैं, जैसेकि
- अत्यधिक संवेदनशील, जुनूनी सोच
- अनिद्रा, बाधित नींद
- कब्ज
- क्रैम्पिंग और बॉडी दर्द
- खमीर संक्रमण (कैंडीडा और कवक)
- खराब ध्यान
- चिंता, तनाव
- थकान
- निराशा और अवसाद
- पीएमएस
- भोजन विकार (एनोरेक्सिया, बुलिमिया, अतिरक्षण)
- मूड स्विंग्स
- रक्त शर्करा को उतार चढ़ाव
- रेसिंग दिल
- विटामिन और खनिजों के प्रतिकूल प्रतिक्रिया (पूरक से तांबा डंपिंग के कारण)
- हाइपोथायराइड के लक्षण (ठंडे हाथ और पैर, मस्तिष्क कोहरे, शुष्क त्वचा)
कर सकती है मूत्र में जलन और दर्द
ताम्र भस्म काफी उशन होती है इसे लागतार लेने से या अधिक समय तक लेने से पेशाब में जलन हो सकती है।
करा सकती है उल्टियां
ताम्र भस्म को आयुर्वेद में पेट में जहर के मामले में उलटी कराने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसे लेने से उलटी हो सकती है।
पाचन की दिक्कतें हैं संभव
ताम्र भस्म से पित्त बढ़ता है। इससे पित्त प्रकृति के लोगों में पेट में जलन और एसिडिटी की समस्या हो सकती है।
हो सकता है ब्लीडिंग डिसऑर्डर
ताम्र भस्म से ब्लीडिंग डिसऑर्डर हो सकता है। नाक से खून गिरना, पीरियड्स में अधिक रक्त स्राव या ब्लीडिंग डिसऑर्डर हो सकता है।
हो सकती है गुदा में दरार
ताम्र भस्म से एनल फिशर हो जाते है।
हो सकते अन्य बहुत से लक्षण
चक्कर आना, निम्न रक्तचाप या सिरदर्द भी हो सकता है।
गर्भावस्था मे असुरक्षित
ताम्र भस्म को लेने से गर्भाशय से आसामान्य ब्लीडिंग हो सकती है।
ताम्र भस्म के संभावित साइड इफेक्ट्स को रोकने का सबसे अच्चा तरीका है, इस दवा को केवेअल और केवल डॉक्टर की सलाह पर लें। डॉक्टर ही मेडिकल कंडीशन को देख कर बता सकते हैं कि आपको कौन सी दवा लेनी चाहिए और किस तरह से लेनी चाहिए।
सही प्रकार से बनी भस्म का ही सेवन करे। खराब तरीके से बनी ताम्र भस्म विष के समान है। अनुचित रूप से शुद्ध या भस्म किए गए ताम्र से अष्ट महादोष (आठ दोष) होते हैं। यदि ताम्र भस्म का सेवन करने से साइड इफ़ेक्ट हो रहे हैं, तो दवा का सेवन बंद कर दें।
guda me dard aur guda ke paas ganth hai
aap kisi ayurvedic doctor se jaanch karakar ilaj karaiye.
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