ताम्र भस्म को तांबे जिसे इंग्लिश में कॉपर कहते हैं, से तैयार एक आयुर्वेदिक दवा है जिसे जलोदर, लिवर रोग, अस्थमा, खून की कमी, पुराने श्वशन के रोग, लिवर स्प्लीन बढ़ जाना, पीलिया, खून की कमी, कोलेस्ट्रॉल का ज्यादा स्तर, संग्रहणी, ट्यूमर, गुल्म आदि में दिया जाता है। पुराने कफज रोगों में यह बहुत अच्छा असर दिखाती है। तासीर में गर्म होने से यह कफ को कम करती है और पाचन को ठीक करती है।
ताम्र धातु को भस्म में परिवर्तित करने के लिए प्रक्रियाओं की एक श्रृंखला है। इन विधियों का उद्देश्य न केवल घातु के अवांछित विषाक्त गुणों को हटाना है, बल्कि वांछनीय गुणों को भी शामिल करना है। तदनुसार, धातु को जड़ी बूटियों और अन्य सामग्री के साथ की गई प्रक्रिया धातु को जैव संगत और शरीर में आसानी से अवशोषित होने वाला बनाती है।
ताम्र भस्म के संकेत | Tamra Bhasma Uses in Hindi
ताम्र भस्म को नियमित रूप से आयुर्वेदिक इलाज़ में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है। ताम्र भस्म में हेपेटोप्रोटेक्टिव, एंटी-हाइपरलिपिडेमिक, कार्डियो-सुरक्षात्मक और मजबूत एंटीऑक्सीडेंट गतिविधि होती है। इसके साथ उपचार से सीरम ट्राइग्लिसराइड के स्तर में उल्लेखनीय कमी आती है।
- अधिक कोलेस्ट्रॉल
- अधिक लिपिड
- अपच
- अस्थमा
- एनीमिया
- कफ
- कृमि संक्रमण
- ग्रहणी रोग
- जलोदर
- ट्यूमर, कैंसर
- तिल्ली का बढ़ जाना
- पीलिया
- मोटापा
- यकृत रोग
- लीवर का बढ़ जाना
- हिचकी
ताम्र भस्म के फायदे | Tamra Bhasm Benefits in Hindi
ताम्र भस्म गुल्म, कृमि रोग, हैजा, कुष्ठ, कफोदर, प्लीहोदर, विषमज्वर, सन्निपात, यकृत् विकार, परिणामशूल, आदि में दी जाती है । यह शक्तिवर्द्धक, रूचिकर व कफहर है। ताम्र भस्म के सेवन से लिवर व पित्ताशय पर अधिक असर देखा जाता है।
ताम्र भस्म कम करे कफ
ताम्र भस्म, तासीर में गर्म और लेखनीय होने से कफ को कम करती है।
ताम्र भस्म से लिवर और स्प्लीन रोगों में फायदा
ताम्र भस्म को लेने से लिवर और तिल्ली के बढ़ जाने की समस्या में फायदा होता है। इसमें लिवर की रक्षा करने के गुण है।
ताम्र भस्म कम करे लिपिड
ताम्र भस्म को लेने से लिपिड और कोलेस्ट्रोल में कमी आती है।
ताम्र भस्म की खुराक | Tamra Bhasma Dosage in Hindi
ताम्र भस्म की उपचारात्मक खुराक 30 मिलीग्राम दिन में दो बार है। सही खुराक के लिए डॉक्टर से राय लें।
ताम्र भस्म के नुकसान Tamra Bhasma Side Effects in Hindi
- ताम्र भस्म केवल चिकित्सक की देखरेख में बताई हुई खुराक और दिनों तक ही लिया जाना चाहिए।
- अधिक खुराक, अधिक दिनों तक लगातार सेवन, के गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं ।
- इससे पेशाब में जलन हो सकती है।
- पित्त प्रकृति के लोगों में इससे पेट में जलन और एसिडिटी की समस्या हो सकती है।
- इससे उल्टियां, गुदा में दरार, नाक से खून गिरना, पीरियड्स में अधिक रक्त स्राव या ब्लीडिंग डिसऑर्डर हो सकता है।
- चक्कर आना, निम्न रक्तचाप या सिरदर्द भी हो सकता है।
- सही प्रकार से बनी भस्म का ही सेवन करे। खराब तरीके से बनी ताम्र भस्म विष के समान है। अनुचित रूप से शुद्ध या भस्म किए गए ताम्र से अष्ट महादोष (आठ दोष) होते हैं।
- यदि ताम्र भस्म का सेवन करने से साइड इफ़ेक्ट हो रहे हैं, तो दवा का सेवन बंद कर दें।
गर्भावस्था में प्रयोग
ताम्र भस्म अत्यन्त गर्म, तीक्ष्ण, भेदी और पित्तस्त्रावी है। इसे प्रेगनेंसी में लेना असुरक्षित है। इससे गर्भाशय से ब्लीडिंग हो सकती है।
टॉक्सिक स्टडी
ताम्र भस्म, चिकित्सीय खुराक स्तर (5।5 मिलीग्राम / किग्रा) और उपचारात्मक समकक्ष खुराक × 5 (27।5 मिलीग्राम / किग्रा) में विषाक्तता के किसी भी संकेत और लक्षण नहीं पैदा किए जबकि उपचारात्मक समकक्ष खुराक × 10 की उच्च खुराक पर (55 मिलीग्राम / किग्रा) चूहे में 28 दिनों के लिए बार-बार प्रशासन पर यकृत, गुर्दे, दिल और थाइमस में टीबी की हल्की विषाक्तता देखि गई।
कब नहीं लें
- गुदा में दरार
- नाक से खून गिरना
- पीरियड्स में ज्यादा ब्लीडिंग
- किडनी का ठीक से नहीं काम करना
- अधिक पित्त
- मुंह में छाले आदि।
Hepatomegaly liver