त्रिफला धृत को डाबर, पतंजली और बैद्यनाथ बनती हैं। जानिये त्रिफला घृत बनाने की विधि, त्रिफला घृत के फायदे और नुकसान। Triphala ghee for eyes, triphala ghrita side effects, reviews and triphala ghrita price.
त्रिफला घृत एक आयुर्वेदिक घी है जिसमें मुख्य घटक त्रिफला और गोघृत है। त्रिफला का काढ़ा और पेस्ट (कल्क) दोनों ही इस घृत कल्पना में प्रयुक्त हैं। इसके सेवन से बल और ओज की वृद्धि होती है।
त्रिफला घृत के सेवन से आंख की ज्योति बढ़ती है तथा नेत्र रोगों जैसे की रात को न दिखाई देना, आँखों की लाली, आँखों में सूखापन, आंखों से पानी बहना, खुजली होना, आदि विकार दूर होते हैं। इसमें घी होने से आंतरिक रूक्षता दूर होती है और स्निग्धता आती है। त्रिफला और घी दोनों के ही प्रभाव से पेट साफ रहता है। त्रिफला घृत का सेवन बालों को भी मजबूती देता है जिससे बालों के गिरने और खालित्य में लाभ होता है।
आंतरिक प्रयोग के अतिरिक्त त्रिफला घृत को पंचकर्म प्रक्रिया की तैयारी के लिए भी प्रयोग किया जाता है। इसे आँखों में लगाया भी जाता है।
इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें।
Triphala Ghrita is an herbal Ayurvedic medicated Ghee containing Triphala and Ghee as the main ingredients. It is mainly indicated in all diseases of eyes. It pacifies aggravated Vata and Pitta and cures internal dryness.
Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.
- पर्याय: Triphala Ghee, Triphala Ghritam
- उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
- दवाई का प्रकार: आयुर्वेदिक घी
- मुख्य उपयोग: नेत्र रोग
- मुख्य गुण: दृष्टि को ठीक करना, बलवर्धक, ओजवर्धक
त्रिफला घृत के घटक | Ingredients of Triphala Ghrita in Hindi
- हरीतकी Haritaki (P.) 12 g
- बिभितकी Bibhitaka (P.) 12 g
- आमलकी Amalaki (P.) 12 g
- सोंठ Shunthi (Rz.) 12 g
- काली मिर्च Maricha (Fr.) 12 g
- पिप्पली Pippali (Fr.) 12 g
- द्राक्षा Draksha (Dr.Fr.) 12 g
- मुलेठी Madhuka (Yashti) (Rt.) 12 g
- कटुका Katurohini (Katuka) (Rt./Rz.) 12 g
- प्रौपौंड्रिक Prapaundarika (Fl.) 12 g
- छोटी इलाइची Sukshmaila (Sd.) 12 g
- विडंग Vidanga (Fr.) 12 g
- नागकेशर Nagakeshara (Stmn.) 12 g
- नीलोत्पला Nilotpala (Utpala) (Fl.) 12 g
- श्वेत सरीवा Sveta Sariva (Rt.) 12 g
- कृष्ण सरीवा Krishna Sariva (Rt.) 12 g
- सफ़ेद चन्दन Chandana (Shveta Chandana) (Ht.Wd.) 12 g
- हल्दी Haridra (Rz.) 12 g
- दारुहल्दी Daruharidra (St.) 12 g
- घी Ghrita (Goghrita) 768 g
- पायस Payasa (Godugdha) 768 g
- त्रिफला काढ़ा Triphala rasa kvatha ( P.) 2.304 l
त्रिफला तीन प्राकृतिक जड़ी बूटियों (आवला, हरड और बहेड़ा) का एक कॉम्बिनेशन है। इसके सेवन से immunity बढती है तथा पाचन ठीक रहता है। यह रसायन होने के साथ-साथ एक बहुत अच्छा विरेचक, दस्तावर भी है। इसके सेवन से पेट सही से साफ़ होता है, शरीर से गंदगी दूर होती है और पाचन सही होता है। यह पित्त और कफ दोनों ही रोगों में लाभप्रद है। त्रिफला प्रमेह, कब्ज़, और अधिक पित्त नाशक है। यह पूरे शरीर को साफ़ करता है और फर्टिलिटी को बढाता है।
त्रिकटु सौंठ, काली मिर्च और पिप्पली का संयोजन है। यह आम दोष (चयापचय अपशिष्ट और विषाक्त पदार्थों), जो सभी रोग का मुख्य कारण है उसको दूर करता है। यह बेहतर पाचन में सहायता करता है और यकृत को उत्तेजित करता है। यह तासीर में गर्म है और कफ दोष के संतुलन में मदद करता है।
द्राक्षा सूखे हुए अंगूर को कहते है। यह बहुत पौष्टिक, मीठे, विरेचक, रक्तवर्धक , कूलिंग और कफ ढीला करने वाले होते हैं । आयुर्वेद में मुख्य रूप से इन्हें खांसी, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, गठिया, पीलिया, प्यास, शरीर, खांसी, स्वर बैठना और सामान्य दुर्बलता आदि को दूरकरने के लिए प्रयोग किया जाता है। द्राक्षा को आँखों और आवाज़ के लिए अच्छा माना गया है। यह शरीर में वायु और पित्त को कम करते हैं। यह तासीर में ठन्डे होते हैं और शरीर में पित्त की अधिकता से होने वाले रोगों जैसे की हाथ-पैर में जलन, नाक से खून गिरना, आदि में विशेष रूप से फायदेमंद हैं। द्राक्षा में कब्ज़, अग्निमांद्य, अधिक प्यास लगना, पेट में दर्द, खून की कमी, और वातरक्त को भी नष्ट करने के गुण हैं।
मुलेठी को आयुर्वेद में बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। इसे खांसी, गले में खराश, सांस की समस्याओं, पेट दर्द औरअम्लपित्त आदि में उपयोग किया जाता है। यह खांसी, अल्सर, के उपचार में और बाहरी रूप से भी त्वचा और बालों के लिए उपयोग किया जाता है।
मुलेठी का सेवन उच्च रक्तचाप, द्रव प्रतिधारण, मधुमेह और कुछ अन्य स्थितियों में नहीं किया जाना चाहिए।
कटुकी एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल, और एंटीडायबिटिक है। यह स्वाद में कड़वी किन्तु सूजन को दूर करने वाली औषध है। कटुकी रस में कटु-तिक्त है। गुण में लघु है। तासीर में यह शीतल और कटु विपाक है। कर्म में यह ज्वरघ्न, पित्तहर, भेदी, दीपन और रक्तदोषहर है।
कटुकी का सेवन गर्भावस्था में नहीं करना चाहिए।
इला / इलायची, के बीज त्रिदोषहर, पाचक, वातहर, पोषक, विरेचक और कफ को ढीला करने वाला है। यह मूत्रवर्धक है और मूत्र विकारों में राहत देता है। इलाइची के बीज अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, गले के विकार, बवासीर, गैस, उल्टी, पाचन विकार और खाँसी में उपयोगी होते हैं।
गो घृत, देसी गाय के दूध से तैयार घी है। आयुर्वेद में इसे एक उत्तम औषध माना गया है। गो घृत मधुर, शीतल, स्निग्ध, गुरु (पचने में भारी) है। यह वात-पित्त शामक, सूक्ष्म स्रोतगामी, योगवाही, रासयान है। यह एक स्नेह द्रव्य है जो की रूक्षता को दूर करता है। यह जिन औषधीय द्रव्यों के साथ मिला कर लिया जाता है उनकी स्रोतों में पहुँचने में मदद करता है। घृत के सेवन से आंतरिक रूक्षता दूर होती है और बल वृद्धि होती है।
त्रिफला घृत के फायदे | Benefits of Triphala Ghrita in Hindi
- यह एक आयुर्वेदिक घृत या घी है। इसके सेवन से शरीर में ताकत आती है।
- यह पौष्टिक होने के साथ-साथ शरीर के भीतर की रूक्षता को दूर करता है और कब्ज़ से राहत देता है।
- यह पाचक है और बस्ती को शुद्ध करता है।
- यह धातुक्षीणता को दूर करता है और शरीर को सबल बनता है।
- यह वज़न, कान्ति, और पाचन को बढ़ाता है।
- यह दिमाग, नसों, मांस, आँखों, मलाशय आदि को शक्ति प्रदान करता है।
- यह धातुओं को पुष्ट करता है।
- यह पित्त विकार को दूर करता है।
- यह बालों को मजबूती देता है और उनका असमय सफ़ेद होना और गिरना रोकता है।
त्रिफला घृत के चिकित्सीय उपयोग | Uses of Triphala Ghrita in Hindi
त्रिफला घृत को सम्पूर्ण नेत्ररोगों को मष्ट करने वाला कहा गया हा। काश्यप आदि ऋषियों ने इस घृत से बढ़कर अन्य कोई दृष्टिप्रसाधन योग नहीं देखा अर्थात यह नेत्र के लिए अत्यंत उत्कृष्ट योग है।
- तिमिर
- नेत्रस्राव
- कामला
- अर्बुद
- विसर्प
- प्रदर
- कंडू
- रक्तस्राव
- खालित्य (गंजापन)
- पलित (असमय सफ़ेद होना)
- बालों का गिरना
- विषमज्वर
- शुक्र प्रभृति रोग
- नेत्र सम्बंधित सभी रोग
त्रिफला घृत की सेवन विधि और मात्रा | Dosage of Triphala Ghrita in Hindi
- 3-6 ग्राम, दिन में एक अथवा दो बार लें।
- इसे दूध, गर्म पानी के साथ लें।
- इसे भोजन करने के 10 मिनट पहले लें।
- या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।
सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side effects/Contraindications in Hindi
- गर्भावस्था में इसका सेवन न करें।
- इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
- इसे ज्यादा मात्रा में न लें।
- कृपया ध्यान दें, आयुर्वेदिक दवाओं की सटीक खुराक आयु, ताकत, पाचन शक्ति का रोगी, बीमारी और व्यक्तिगत दवाओं के गुणों की प्रकृति पर निर्भर करता है।
- मोटापा, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, उच्च कोलेस्ट्रॉल में एहतियात के साथ इस दवा का उपयोग करना चाहिए।
इस घी को 5 से 8साल तक के बच्चों को दें सकते हैं ,?
haan