त्रिवंग भस्म को मधुमेह diabetes, प्रमेह, मूत्रपिंड, मूत्रवाहिनी के रोग, वीर्य का स्वतः ही स्राव हो जाना, गर्भ की कमजोरी, शारीरिक कमजोरी आदि के इलाज़ के लिए प्रयोग किया जाता है।
त्रिवंग भस्म आयुर्वेद की तीन धातुओं से बनी एक औषधि है। इसे तीन धातुओं सीसा, टिन और जिंक की भस्म से बनाया जाता है। त्रिवंग भस्म को मधुमेह diabetes, प्रमेह, मूत्रपिंड, मूत्रवाहिनी के रोग, वीर्य का स्वतः ही स्राव हो जाना, गर्भ की कमजोरी, शारीरिक कमजोरी आदि के इलाज़ के लिए प्रयोग किया जाता है।
इसका सेवन शरीर की कोशिकाओं का पोषण करता है और आवश्यक खनिज और पोषक तत्व प्रदान करता है। इसे बहुत कम मात्रा में उपयोग किया जाता है। सामान्य थकान और कमजोरी को दूर करने के लिए यह एक अच्छी औषधि है। यह एक बहुत अच्छा टॉनिक tonic/Rasayana है।
त्रिवंग भस्म के घटक | Ingredients of Trivang Bhasma in Hindi
Trivang Bhasma contains three bhasma of following metals:
- वंग (Tin) टिन
- नाग (Lead) लेड या सीसा
- यशद (Zinc) जस्ता या जिंक
त्रिवंग भस्म बनाने की विधि | Method of preparation in Hindi
बराबर अनुपात में शुद्ध नाग, शुद्ध वंग और शुद्ध जस्ते को धीमी आंच पर एक लोहे के बर्तन में पकाया जाता है। भांग Cannabis और अफीम Opium पोस्ते का पाउडर कम मात्रा में लगातार मिश्रण में डाल कर एक लोहे की कलछी से चलाया जाता है। ऐसा तब तक किया जाता है जब तक की सभी धातुओं एक पाउडर (राख) फॉर्म बन जाए। बर्तन को अब एक ढक्कन के साथ कवर किया जाता है और 12 से 14 घंटे के लिए उच्च ताप पर पकाया जाता है। जब मिश्रण गहरे लाल रंग में बदल जाता है, जब बर्तन लौ से हटा दिया है और ठंडा किया जाता है। मिश्रण ठंडा होने पर एक मलमल के कपड़े के माध्यम से इसे छान लिया जाता है और एलो वेरा के जूस में इसका मर्दन किया जाता है। इसे सूखने पर 7 लघुपूट देने से पीले रंग की भस्म तैयार हो जाती है।
त्रिवंग भस्म के लाभ | Benefits of Trivang Bhasma in Hindi
- संक्रामक रोगों के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता immunity को बढ़ावा देता है।
- शरीर के लिए एक सामान्य टॉनिक general tonic है।
- हड्डियों और मांसपेशियों को शक्ति प्रदान करता है।
- इसके सेवन से शरीर की ताकत और शक्ति बढ़ जाती है।
- यह मधुमेह और बीस तरह के प्रमेह में, प्रमेह सम्बन्धी दिक्कतों में लाभदायक है।
- यह पुरुष में शुक्राणु और नसों से सम्बंधित रोगों में अच्छे परिणाम देता है।
- महिलाओं में गर्भ और अंडाणु की समस्याओं में इसका सेवन लाभदायक है।
- यह मूत्र संबंधी समस्याओं में लाभदायक है।
त्रिवंग भस्म के चिकित्सीय उपयोग | Therapeutic uses of Trivang Bhasma in Hindi
- त्रिवंग भस्म का सेवन मुख्यतः मूत्राशय, मूत्रनली, जननेंद्रिय, गर्भाशय, और नसों पर होता है।
- प्रमेह, मधुमेह होने पर त्रिवंग भस्म का सेवन अच्छे प्रभाव डालता है।
- मधुमेह में होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं में त्रिवंग भस्म देने से लाभ होता है।
- यह भस्म वीर्य को बढाती है और शुक्र को गाढ़ा करती है। शिथिल हुई नसों की वज़ह से वीर्यस्राव होने को भी इसका सेवन ठीक करता है।
- स्त्रियों में होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं में भी त्रिवंग भस्म का प्रयोग किया जाता है। सफ़ेद पानी या श्वेत प्रदर leucorrhoea की समस्या और गर्भाशय की कमजोरी में इस औषध का सेवन अच्छे परिणाम देता है।
त्रिवंग भस्म की सेवन विधि और मात्रा | Dosage in Hindi
- 125mg-250 mg, दिन में दो बार या आवश्यकता अनुसार शहद, मक्खन, मलाई आदि के साथ।
- प्रमेह में त्रिवंग भस्म को शिलाजीत + शहद के साथ मिला कर दिया जाता है।
- नपुंसकता impotence में त्रिवंग भस्म, मक्खन/ मलाई के साथ दी जाती है।
- असमय वीर्यस्राव premature ejaculation में त्रिवंग भस्म + प्रवाल पिष्टी + शहद + आंवले के रस के साथ दिया जाता है।
- गर्भाशय की कमजोरी weakness of uterus, गर्भस्राव होने पर त्रिवंग भस्म को मुक्तापिष्टी + च्यवनप्राश + गाय के दूध के साथ दिया जाता है।
Trivang Bhasma is manufactured by Baidyanath and Patanjali Divya pharmacy.
This medicine is also known as Trivanga bhasma, Triwanga Bhasma, Tribang Bhasma.