आई वी एफ़ IVF in Hindi

आई वी एफ़ तकनीक आजकल निःसंतान दम्पतियों को संतानोत्पत्ति का एक अवसर प्रदान करती है। इस तकनीक के द्वारा स्त्री के अंडाशय से अंडे को अलग कर उसका संपर्क, लैब में द्रव माध्यम में शुक्राणुओं से कराया जाता है। इसके बाद निषेचित अंडे को महिला के गर्भाशय में रख दिया जाता है जहाँ वह एक शिशु के रूप में विकसित होता है। आईवीएफ़ (IVF) प्रक्रिया की मदद से जन्म लेने वाले बच्चों को टेस्ट ट्यूब बेबी के नाम से भी पुकारा जाता है।

लैटिन भाषा में इन विट्रो, का अर्थ होता है कांच के भीतर’, और निषेचन को फर्टिलाइजेशन कहते हैं। क्योंकि इस तकनीक में लैब के भीतर डिश laboratory dish में कृत्रिम रूप से अंडाणु और शुक्राणु को मिलाया जाता है इसलिए यह टेक्नीक आईवीएफ या इन विट्रो फर्टिलाइजेशन कहलाती है।

पर्याय : कृत्रिम गर्भाधान, टेस्ट ट्यूब बेबी, IVF, Assisted reproductive technology, ART, Test-tube baby procedure, Infertility – in vitro

इन विट्रो फर्टिलाइजेशन क्या है?

इन विट्रो निषेचन में (आईवीएफ) एक फर्टिलिटी ट्रीटमेंट / प्रजनन उपचार assisted reproductive technology (ART) है जिसमें शुक्राणु और अंडाणु को प्रयोगशाला में मिलाते हैं। निषेचित अंडाणु जो की भ्रूण है, की गुणवत्ता आंक कर एक या अधिक भ्रूण को गर्भाशय ग्रीवा के माध्यम से गर्भाशय में रखा जाता है।

इन विट्रो फर्टिलाइजेशन कब किया जाता है?

  • ब्लाक फलोपियन ट्यूब / डिम्बवाही नलिका,
  • फलोपियन ट्यूब खराब हो गयी हों/सूजन हो/नसबंदी की गई हो
  • गर्भाशय में फिब्रोइड हो
  • इनफर्टिलिटी अज्ञात कारणों से हो
  • जब दूसरी तकनीके जैसे की इंट्रायूट्रीन इनसेमिनेशन intrauterine insemination (IUI) सफल न हो
  • दवाओं से उपचार न हो पाए
  • पुरुष में शुक्राणु कम हो, किसी कारण से ब्लाक हों, स्पर्म की गतिशीलता कम हो
  • महिला की उम्र अधिक हो
  • परिवार में जेनेटिक रोग हों

इन विट्रो फर्टिलाइजेशन प्रक्रिया कैसे की जाती है?

महिलायों में आईवीऍफ़ के लिए निम्न चरणों को किया जाता है:

1. हार्मोन के प्राकृतिक मासिक चक्र को दबाना Suppressing Natural Hormone Cycle

महिला को दैनिक इंजेक्शन या एक नाक के स्प्रे के रूप दवाई दी जाती है जिससे प्राकृतिक रूप से हर महीने चलने वाला होरमोन का साईकल कम हो जाए।

यह ट्रीटमेंट दो सप्ताह तक दिया जाता है।

2. अंडाणुओं की संख्या बढ़ाना Fertility Medications

जब प्राकृतिक हॉर्मोन चक्र दबा दिया जाता है, तब फर्टिलिटी हॉर्मोन gonadotrophin दिया जाता है। यह इंजेक्शन 12 दिनों तक लगातार दैनिक इंजेक्शन के रूप में लगाया जाता है। यह हॉर्मोन बच्चेदानी में अंडाणुओं की संख्या में वृद्धि करने में सहायक है।

3. प्रगति की जाँच Test for progress

क्लिनिक योनि अल्ट्रासाउंड स्कैन vaginal ultrasound और रक्त परीक्षण blood test के माध्यम से उपचार की प्रगति की देखते हैं।

जब अंडाणु को कलेक्ट करना हो तो उसके 34 – 38 घंटे पहले अंडे को परिपक्व करने के लिए एक हार्मोन इंजेक्शन दिया जाता है। यह मानव कोरियोनिक गोनेडोट्रोपिन Human Chorionic gonadotrophin (एचसीजी) हॉर्मोन होता है।

4. अंडाणुओं को निकालना Egg retrieving

अंडाणु को महिला के शरीर से योनि के माध्यम से निकाला जाता है। यह एनेस्थीसिया देकर किया जाता है इसलिए प्रक्रिया के दौरान दर्द नहीं होता। इस प्रक्रिया को करने के लिए महिला को तीन –चार घंटे के लिए अस्पताल में भर्ती करते हैं.

  • अल्ट्रासाउंड की प्रोब पर एक खाली नीडल को लगाकर, तथा अल्ट्रासाउंड की स्क्रीन पर देखते हुए हर ओवरी के फोलिकल से अंडाणु निकाले जाते हैं।
  • इस प्रक्रिया के बाद महिला को क्रंप महसूस हो सकते हैं। हो सकता है योनि से खून भी जाए।
  • इसके बाद कुछ दवाएं दी जाती हैं जो की गर्भाशय को भ्रूण हस्तांतरण / एम्ब्रॉय ट्रान्सफर की लिए तैयार करती हैं।

5. अंडे को निषेचित कराना Fertilizing Egg

चिकित्सक एक पेट्री डिश में अंडाणु और शुक्राणु को मिलाते हैं और लैब में 16-20 घंटे कल्चर करते हैं। इसके बाद वे निषेचन को चेक करते हैं।

जो अंडाणु निषेचित होकर भ्रूण बन जाते हैं, उन्हें छह दिनों के लिए प्रयोगशाला इनक्यूबेटर में विकसित किया जाता है। भ्रूणवैज्ञानिक embryologist भ्रूण के विकास की निगरानी रखते हैं। जो भ्रूण सबसे अच्छी तरह विकसित हो रहा हो उसे गर्भाशय में हस्तांतरण के लिए चुना जाएगा। उपयुक्त गुणवत्ता के शेष भ्रूण भविष्य में उपयोग के लिए सुरक्षित भी किये जा सकते हैं।

6. भ्रूण स्थानांतरण Embryos Transfer

अगर महिला की उम्र 40 साल से कम है तो एक या दो भ्रूण स्थानांतरित किये जाते है लेकिन यदि उम्र 40 या उससे अधिक है तो तीन भ्रूणों को गर्भाशय में डाला जाता है।

  • 34 वर्ष से कम उम्र = 1-2 भ्रूण
  • उम्र के 35-37 साल = 2-3 भ्रूण
  • उम्र के 38-40 साल = 3 भ्रूण

प्रक्रिया के दौरान, महिला को पेशाब का प्रेशर (फुल ब्लैडर) होना चाहिए। योनि में एक स्पेकुलम डाल कर उसे फैलाते हैं। फिर एक अल्ट्रासाउंड स्क्रीन पर देखते हुए, एक ट्यूब (कैथेटर) को सर्विक्स / गर्भाशय ग्रीवा में डाला जाता है और भ्रूण को गर्भाशय में डालते हैं।

प्रक्रिया के बाद महिला को आराम करने की सलाह दी जाती है। महिला को 8-10 सप्ताह तक प्रोजेस्टेरोन Progesterone हॉर्मोन भी दिए जाते हैं।

भ्रूण स्थानांतरण के 12 से 14 दिन बाद प्रेगनेंसी टेस्ट और अल्ट्रासाउंड करके प्रेगनेंसी कन्फर्म करते हैं।

पुरुषों के लिए

पुरुषों की स्पर्म जांच होती है और उनके वीर्य से स्वास्थ्य शुक्र कीट से अंडाणु को निषेचित किया जाता है।

पुरुष के शरीर में शुक्र कीटों का निर्माण तीन महीने में होता है। इसलिए अच्छे स्पेर्म्स के लिए तीन महीने पहले से ही तैयारी करें:

  1. यदि 101 से ज्यादा का बुखार पिछले तीन महीने में कभी भी आया हो तो डॉक्टर को बताएं।
  2. शराब, सिगरेट, मादक पदार्थों का सेवन न करें।
  3. यदि किसी भी प्रकार की दवा का सेवन करते हो तो डॉक्टर को अवश्य बताएं।
  4. गर्म पानी, स्पा, जकूज़ी, सौना आदि में न बैठें।
  5. कोई भी यौन संचारित रोग है तो डॉक्टर को बताएं।
  6. ध्यान रखें स्पर्म देने के 2-3 दिन पहले स्खलनन करें व स्पेर्म्स पांच दिन से अधिक पुराने न हों।

यदि स्वस्थ्य अंडाणु या स्वस्थ्य शुक्राणु न हों तो?

ऐसे में डोनर एग्स, डोनर स्पेर्म्स या डोनर एम्ब्रॉय का चयन किया जा सकता है।

IVF के एक साइकिल में लगने वाला समय

IVF का एक साइकिल चार से छह सप्ताह में पूरा होता है।

IVF की सफलता

इस तकनीक की सफलता बहुत से कारकों पर निर्भर करती है और महिला की उम्र सबसे महत्वपूर्ण कारक है।

पहली बार में ही गर्भधारण होने के आसार 45-55 प्रतिशत होते हैं।

उम्र और प्रतिशत के मामले में तकनीक की सफलता (स्वस्थ्य बच्चे के जन्म) डाटा के अनुसार इस प्रकार है:

  • 35 साल से कम उम्र की महिलाओं के लिए 41% to 43%
  • 35-37 के बीच आयु वर्ग के महिलाओं के लिए 33% to 36%
  • 38-40 के बीच आयु वर्ग के महिलाओं के लिए 23% to 27%
  • 41- और इससे अधिक आयु वर्ग और महिलाओं के लिए 13% to 18%

असफल साइकिल के 1-2 महीने बाद ही इस प्रक्रिया को दुहराया जाता है।

IVF के रिस्क

  1. आईवीऍफ़ कराने के कई रिस्क भी हैं।
  2. दवाओं का रिएक्शन (सिर दर्द, चिड़चिड़ापन, बीमार लगना, भारीपन)
  3. दवाओं का साइड इफेक्ट (उलटी आना, पेट दर्द, जी मिचलाना)
  4. ओवरी का ज्यादा सक्रिय हो जाना ovarian hyperstimulation syndrome (OHSS), पेट और छाती में पानी इकठ्ठा होना, तेजी से वज़न बढ़ना
  5. गर्भपात हो जाना
  6. एक्टोपिक / अस्थानिक प्रेगनेंसी होना
  7. एक साथ कई बच्चे होना
  8. गर्भ में एक साथ कई शिशु होने से असमय जन्म का रिस्क बढ़ जाना
  9. बच्चों का वज़न कम होना, कमज़ोर होना

IVF ट्रीटमेंट की भारत में कीमत

भारत में इस ट्रीटमेंट के एक साइकिल की कॉस्ट 80,000 रुपये से लेकर 2-3 लाख हो सकती है। कीमत क्लिनिक, शहर, डॉक्टर समेत बहुत से फैक्टर पर निर्भर है। बहुत बार एक ही साइकिल में सफलता नहीं मिल पाती तो फिर से ट्रीटमेंट को दुहराना पड़ता है और तब कीमत बढ़ जाती है। प्रक्रिया में लगने वाली दवाएं और इंजेक्शन भी महंगे आते हैं।

IVF के दौरान क्या न करें?

  1. शराब, सिगरेट, मादक पदार्थों का सेवन न करें।
  2. दवाओं का सेवन फर्टिलिटी ट्रीटमेंट को प्रभावित करता है। बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा न लें।
  3. कोई भारी व्यायाम न करे।

3 thoughts on “आई वी एफ़ IVF in Hindi

  1. Ma’am humne sex kiya aur uske Dusre din hi uska period Ho Gaya even we used condom properly is there any chance for pregnancy

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