गर्भावस्था या गर्भ का ठहर जाना तब कहा जाता है, जब महिला के गर्भाशय में भ्रूण का विकास शुरू हो जाता है। अधिकांश महिलायों में हर मासिक चक्र में ओवरी / अंडाशय Ovary से एक अंडाणु Ovum चक्र के बीच में ओवरी से बाहर निकलता है। इस प्रक्रिया को ओवूलेशन Ovulation कहते है। यह अंडाणु फैलोपियन ट्यूब fallopian tube में कुछ घंटों तक निषेचन के लिए रहता है। अगर इस बीच इसे पुरुष स्पर्म / शुक्राणु sperm मिल जाता है तो यह निषेचित fertilization हो जाता है। निषेचित अंडाणु में अब कोशिकायों का विभाजन cell division शुरू होता है और अब यह एम्ब्रियो या भ्रूण Embryo कहलाता है। भ्रूण ट्यूब से निकल कर गर्भाशय में अपने आप को स्थापित करता है जिसे इम्प्लांटेशन Implantation कहते है। कुछ महिलाओं में अब योनि से हल्का खून भी जा सकता है जिसे इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग Implantation bleeding कहते हैं।
गर्भाधान conception के समय स्त्री के डिंब (अंडे) आदमी के शुक्राणु से निषेचित हैं और उसी समय बच्चे का लिंग sex of child boy or girl और गुण निश्चित हो जाते हैं। महिलाओं में केवल XX तथा पुरुष स्पर्म में XY क्रोमोजोम होते हैं। यदि X क्रोमोजोम वाले स्पर्म से अंडाणु निषेचित होता है और लड़की Girl होती है और यदि यही Y क्रोमोजोम से हो तो लड़का Boy होता है।
अजन्मा बच्चा गर्भ में करीब 38 सप्ताह रहता है, लेकिन गर्भावस्था (गर्भ) का औसत समय 40 सप्ताह गिना जाता है। इसका कारण यह है गर्भावस्था को मासिक न आने वाले महीने के पहले दिन से गिना जाता हैं जबकि गर्भाधान conception पीरियड के बीच में (दो हफ्ते बाद) होता है। पहली तिमाही सप्ताह 9-12 तक रहती है और उसके बाद दूसरी तिहाही शुरू हो जाती है। गर्भावस्था के नौ सप्ताह या गर्भाधान से सात सप्ताह में बच्चे का विकास तेज़ी से होता है और उसके चेहरे पर नाक, होंठ,
गर्भावस्था को तीन ट्राइमेस्टर में बांटा जा सकता है: Pregnancy is divided into three trimesters
- पहली तिमाही First trimester: गर्भाधान से 12 सप्ताह (conception to 12 weeks / 1-3 months)
- दूसरी तिमाही Second trimester: 12 से 24 सप्ताह 24 (12 to 24 weeks / 3-6 months)
- तीसरी तिमाही Third trimester: 24 से 40 सप्ताह (24 to 40 weeks / 6-9 months or till delivery)
Third month of pregnancy (9-12 weeks)
तीसरे महीने के दौरान बच्चे के दिल में बहुत विकास होता है। पलकें, उंगलियों, पैर की उंगलियों और त्वचा बन जाती हैं और बच्चा हिलना-डुलना, पेट में पैर चलाना शुरू करता है।
बच्चे का विकास
सप्ताह 9:
- इस सप्ताह के दौरान कान, दांत और तालू का विकास चल रहा है।
- उंगलियों और पैर की उंगलियों में अच्छी तरह से दिखने लगी है और उनमें कार्टिलेज व हड्डियों का विकास होने लगा है।
- ऊपरी होंठ के साथ ही नाक टिप का विकास हो रहा है।
- जीभ-गला विकसित हो रहा है।
- पलकें विकसित बन रही हैं लेकिन ये बंद रहेंगी।
- दिल की मुख्य निर्माण पूरा हो गया है।
- भ्रूण की लंबाई लगभग 30 मिमी (1.2 इंच) है।
- भ्रूण गर्भ में बन रहे तरल पदार्थ में पूरी तरह से तैर रहा है।
- बच्चा के हाथ-पैर की लम्बाई बढ़ गई है और वह कोहनी और कलाई को घुमा सकता है।
- गुदा का विकास भी हो रहा है।
- भ्रूण एमनियोटिक थैली में पूरी तरह से सुरक्षित है।
- सिर शरीर से बड़ा है क्योंकि मस्तिष्क बहुत तेजी से बढ़ रहा है।
- इस समय लड़का या लड़की दोनों के ही प्रजनन अंग एक जैसे लगते हैं।
सप्ताह 10:
- गर्भाधान के आठ सप्ताह हो चुके हैं।
- आप 10 सप्ताह की गर्भवती हैं।
- शिशु 1.2 इंच लंबा CRL और 2gm का है।
- इस सप्ताह से जन्म तक, विकासशील जीव एक फ़ीटस (गर्भस्थ शिशु) कहा जाता है।
- भ्रूण अब एक छोटे से स्ट्रॉबेरी के आकार है।
- पैर 2mm लंबे हैं ।
- गर्दन आकार लेने लगी है।
- शरीर की मांसपेशियों लगभग बन चुकी हैं।
- बच्चा अब हलचल करने लगा है। हालांकि आप अभी इसे महसूस नहीं कर पा रही होंगी।
- जबड़े बन गए हैं। मुंह और नाक जुड़ गए हैं।
- कान और नाक अब स्पष्ट रूप से देखे जा सकते है।
- उँगलियों के निशान Fingerprints त्वचा पर स्पष्ट हैं।
- निपल्स और बालों के रोम आकार लेने लगते हैं।
- बच्चे में अंडकोष testicles या अंडाशय ovaries बनने लगे हैं।
- गर्भाशय अब ग्रेपफ्रूट से थोडा बढ़ा है।
- अब माँ का पेट बाहर निकलने लगा है।
सप्ताह 11:
- शिशु 1.5 इंच लंबा CRL क्राउन-रम्प लेंथ और 2gm का है।
- हाथ-पैर की उंगलियाँ पोरी तरह से विकसित हो गयी हैं।
- मुंह में स्वाद के लिए टेस्ट बड्स विकसित हो रही हैं।
- बच्चे में दूध के बीस दांतों का विकास शुरू हो चूका है।
- बने हुए कार्टिलेज अब कुछ समय में हड्डियों में बदल जायेंगे।
- यदि शिशु एक लड़का है, तो अंडकोष से टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का उत्पादन शुरूहो जाएगा।
- मस्तिष्क की तंत्रिका कोशिकाओं में तेजी से बढोतरी हो रही है और 250,000 से अधिक तंत्रिका कोशिकाओं का एक मिनट में निर्माण हो रहा है।
- हृदय पूरी तरह से विकसित है और बच्चा प्लेसेंटा के माध्यम से ऑक्सीजन ले रहा है।
- पलकें जुडी हैं और 27 सप्ताह तक ऐसे ही रहेंगी।
- उंगलियाँ, कलाई, एड़ियाँ स्पष्ट रूप से दिखाई देती हैं।
- प्रजनन अंग बन रहे हैं लेकिन अभी बच्चे का लिंग पता नहीं लग सकता।
- शिशु का आकार छोटे बेर जितना है।
सप्ताह 12:
- डॉक्टर अब पेट पर डॉपलर मॉनिटर लगाकर बच्चे के दिल की धड़कन सुन सकते हैं। यह करीब 160 पैर मिनट होती है।
- मस्तिष्क इतना बन चुका है की उसे दर्द का एहसास हो और वह अब रो भी सकता है।
- चेहरा एक बच्चे के चेहरे की तरह दिखने लगा है।
- इस सप्ताह किये गए अल्ट्रासाउंड से एक शिशु की आकृति को देख सकते है।
- बच्चा अंगूठे चूस सकता है।
- भ्रूण में मूवमेंट्स बढ़ गयी है।
- उसे हिचकी भी आती हैं।
- पैर लगभग आधा इंच (1 सेमी) के हैं।
- नाखून और पैर की उगलियों पर नाखून दिखाई देते हैं।
- शिशु 2.5 इंच लंबा CRL क्राउन-रम्प लेंथ और 20 ग्राम का है।
- पंक्रियास से इंसुलिन का उत्पादन शुरू हो चूका है।
- किडनी अब बन चुकी और शिशु मूत्र भी करने लगा है।
- सिर पर बाल आने लगे हैं।
सप्ताह 10 – 14 के बीच डॉक्टर न्यूकल ट्रांसुलेंसी स्कैन nuchal translucency (NT) scan कराते हैं। यह टेस्ट करीब आधे घंटे का होता है।
न्यूकल ट्रांसुलेंसी स्कैन What is a Nuchal Translucency Scan in Hindi?
- न्यूकल ट्रांसुलेंसी स्कैन, एक अल्ट्रासाउंड स्कैन है जो की 12-14 सप्ताह के बीच में किया जाता है। इसके बाद डॉक्टर कुछ ब्लड टेस्ट भी कराते हैं।
- सभी गर्भस्थ बच्चों की गर्दन के पीछे की त्वचा के नीचे तरल पदार्थ इकठ्ठा होता है। इस तरल पदार्थ की मोटाई को न्यूकल ट्रांसुलेंसी कहते हैं और इसी को अल्ट्रासाउंड द्वारा मापा जाता है। डाउन सिंड्रोम, या जेनिटिकल प्रॉब्लम वाले बच्चे में इसकी मोटाई ज्यादा होती है।
- तरल की थिकनेस आमतौर पर 2.5mm से कम होनी चाहिए।
- इस स्कैन में बच्चे की नाक की हड्डी nasal bone को भी देखा जाता है। क्योंकि ऐसा देखा गया है की चार में से करीब तीन डाउन सिंड्रोम पीड़ित बच्चों में यह नहीं होती।
- क्योंकि अल्ट्रासाउंड में साउंड वेव्स का प्रयोग किया जाता है, यह किसी प्रकार का नुक्सान नहीं करतीं।
Why Nuchal Translucency Scan is performed?
- यह स्कैन इसलिए किया जाता है की बच्चे में क्रोमोसोमल (गुणसूत्र की) असमान्यताओं जैसे की डाउन सिंड्रोम common chromosomal abnormalities such as Downs Syndrome का समय रहते पता लगाया जा सके। शोधों में ऐसा देखा गया है की नापे तरल की मोटाई इस तरह के डिफेक्ट को बता सकतेहैं ।
- मां की उम्र, वजन, रक्त परीक्षण आदि भी रिजल्ट्स के साथ जोड़ कर देखे जाते है और उन्ही के आधार पर आगे के परीक्षण की जरूरत है या नहीं इसका निर्णय किया जाता है।
- यह अल्ट्रासाउंड परिक्षण है और इसमें किसी भी तरह का दर्द नहीं होता। स्कैन के लिए पेट पर जेल लगाया जाता है और स्क्रीन पर देखा जाता है।
- कई मामलों में ट्रांसवजैनल (योनि से प्रोब को अन्दर डाल) स्कैन भी किया जाता है। स्कैन के रिजल्ट लेकर डॉक्टर को दिखाए जाते हैं।
- यह स्कैन 12-14 सप्ताह तक ही किया जाता है उसके बाद इसे करने का विशेष लाभ नहीं होता क्योंकि की जिन चीजों को इस स्कैन में नापा जाता है, वह इस समय सीमा के बाद नहीं पायी जाती। इसको करने से बच्चे में अगर कोई जेनेटिकल समस्या है तो समय रहते पता लग सकती है। अगर बच्चे में गंभीर समस्याएं हो सकती हैं तो उसे जल्द ही अबोर्ट abort भी कर सकते हैं।