वीर्य की जांच Semen Analysis in Hindi

पति की फर्टिलिटी की जांच, वीर्य की जांच / सीमन एनालिसिस से शुरू होती है। इसे आम आम भाषा में स्पर्म काउंट भी कहते हैं। इस जांच में सेमिनल फ्लूइड की जांच की जाती है और वीर्य की मात्रा, स्पर्म की संख्या, स्पर्म का शेप, गतिशीलता आदि को मापा जाता है।

इनफर्टिलिटी या बांझपन infertility तब कहते हैं जब एक साल बिना किसी गर्भनिरोधक के प्रयोग के, यौन रूप से सक्रिय दम्पति के असुरक्षित यौन सम्बन्ध बनाने पर भी बच्चा नही होता। करीब तीस प्रतिशत मामलों में यह इनफर्टिलिटी पति की तरफ से होती है। इसलिए जब कभी एक कपल की इनफर्टिलिटी के लिए जांच की जाती है तो पति-पत्नी दोनों की ही जांचे होती हैं। महिलाओं के लिए बहुत तरह की जांचे होती है पर पुरुषों के लिए वीर्य की जांच, जिसे सीमन एनालिसिस कहते हैं वह की जाती है।

शोध दिखाते हैं सभी लैब्स के पास इस जांच को करने के साधन, उपकरण और विशेषज्ञ उपलब्ध नहीं होते। इसलिए लैब टू लैब सीमन एनालिसिस के परिणाम भी भिन्न हो सकते हैं।

पति की फर्टिलिटी की जांच, वीर्य की जांच / सीमन एनालिसिस से शुरू होती है। इसे आम आम भाषा में स्पर्म काउंट भी कहते हैं। इस जांच में सेमिनल फ्लूइड की जांच की जाती है और वीर्य की मात्रा, स्पर्म की संख्या, स्पर्म का शेप, गतिशीलता आदि को मापा जाता है।

वीर्य Semen, पूरे सेमिनल फ्लूइड Seminal fluid को कहते हैं जबकि उसमें मौजूद अत्यंत सूक्ष्म शुक्र कीटों Shukra Keet को शुक्राणु कहते हैं। शुक्राणु जीवित होते है और लगातार गति करते हैं। वे करोड़ों की संख्या में होते हैं और सभी का एकमात्र लक्ष्य होता है, ओवा को निषेचित करना। इस काम में केवल एक ही स्पर्म सफल होता है।

शुक्राणु Spermatozoa

शुक्राणु, पुरुष की बीज कोशिकाएं Male Germ Cells हैं। जब तक शुक्राणु, पुरुष जनन पथ में रहते हैं इनमें गति नहीं होती। लेकिन स्खलन ejaculation के बाद यह आगे की ओर तेज़ी से बढ़ते हैं। अपनी गति के कारण ही यह शुक्राणु योनि से गर्भाशय की ग्रीवा और फिर नलिका में पहुँच जाते हैं। शुक्राणु महिला के जननमार्ग में केवल कुछ घंटे से लेकर १-२ दिन तक ही जीवित रह पाते हैं।

शुक्राणु एक काशाभिक कोशिका Flagellated Cell है जिसमें शिर, ग्रीवा, मध्य भाग और पूँछ होती है।

सिर Head: शुक्राणु का सिर वाला हिस्सा, एक सिरे पर अंडाकार और दूसरे सिरे चपटा होता है। अंडाकार सिरे की आगे की तरफ, ऐक्रोसोम हिस्सा होता है जो की एक प्रकार का एंजाइम छोड़ता है जिससे निषेचन हो सके। पिता की जेनेटिक जानकारी भी इसी हिस्से में होती है।

मध्य भाग Mid Piece: यह स्पर्म का पॉवर हाउस है। इसमें माइटोकोनड्रीया होता है जो स्पर्म को तैरने के लिए ताकत देता है।

पूँछ Tail: इसमें माइक्रोट्यूब्स होती है जो की स्पर्म को आगे की ओर धक्का देती हैं।

वीर्य जांच क्या है?

वीर्य जाँच या सीमन एनालिसिस, प्रयोगशाला परीक्षण के द्वारा ताज़ा निकले वीर्य की जांच को कहते है। माइक्रोस्कोप के द्वारा स्पर्म / शुक्राणुओं की संख्या, आकार और गतिशीलता को मापा जाता है। वीर्य विश्लेषण, पुरुष इनफर्टिलिटी की जांच के लिए होता है।

वीर्य जांच कब की जाती है ?

जब एक कपल बच्चे के लिए कोशिश कर रहा होता है और बच्चा नहीं ठहरता तो स्त्री-पुरुष दोनों की ही बहुत सी जांचे की जाती हैं। वीर्य विश्लेषण इसी का हिस्सा है।

यह सफल पुरुष नसबंदी की पुष्टि करने के लिए भी की जाती है।

वीर्य विश्लेषण कहां किया जाता है?

यह एक विशेष प्रयोगशाला में विशेष उपकरणों और विशेषज्ञों द्वारा किया जाता है।

वीर्य परीक्षण के लिए कैसे संग्रहीत किया जाता है?

वीर्य परीक्षण के लिए ताजे वीर्य का नमूना ( एक घंटे के अन्दर) प्रयोग किया जाता है।

अच्छा सैंपल हस्तमैथुन के द्वारा स्खलन से प्राप्त किया जा सकता है जिसे स्टर्लाइज्ड कंटेनर / जार में इकठ्ठा किया जाता है। आम तौर पर लैब के प्राइवेट कमरे में यह किया जाता है। जब वीर्य का नमूना घर पर निकला गया हो तो यह बहुत आवश्यक है की इसे गर्म रखा जाये और प्रयोगशाला बहुत जल्दी एक घंटे के भीतर, पहुंचा दिया जाए।

यह महत्वपूर्ण है कि जितना वीर्य निकला है, उस सारे को इकठ्ठा किया जाये। एजाकुलेशन के पहले पार्ट को लेना ज़रूरी है क्योंकि इसमें ज्यादा शुक्राणु होते हैं और इस हिस्से को न लेने पर फाल्स लो स्पर्म काउंट आ सकता है।

सही जांच के लिए यह महत्वपूर्ण है की पुरुष ने कम से कम दो दिन तक किसी भी प्रकार (सम्भोग द्वारा या हस्तमैथुन) द्वारा वीर्य न निकाला हो। लेकिन यह भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि यह वीर्य सात से ज्यादा न पुराना हो

यदि वीर्य दो दिन से नया है तो इसमें स्पर्म काउंट कम हो सकता है, तथा साथ दिन से पुराने वीर्य में निर्जीव और असामान्य शुक्राणुओं की संख्या ज्यादा हो सकती है।

एक पूरी तरह से फर्टाइल पुरुष में भी बीमारी, बुखार, इन्फेक्शन और शुक्राणु की संख्या को कम कर सकते हैं। शरीर में किसी भी प्रकार के इन्फेक्शन से शुक्राणुओं की संख्या कई महीनो तक प्रभावित हो सकती है।

इसलिए कम से कम दो वीर्य विश्लेषण, छह हफ्ते के अंतर पर लिए जा सकते हैं।

शुक्राणु का आकार और बनावट प्रजनन क्षमता को कैसे प्रभावित करते हैं?

शुक्राणु के आकार Shape में दोष उसकी गतिशीलता, और एग को निषेचित करने की क्षमता को प्रभावित करता है।

फर्टाइल पुरुषों में भी आदर्श शेप के स्पर्म कम मात्रा में हो सकते हैं। जब आदर्श आकार वाले शुक्राणुओं का अनुपात, कुल शुक्राणुओं का चार फीसदी से भी कम है तो पुरुष बाँझपन होने की संभावना बढ़ जाती है।

वीर्य विश्लेषण के आधार पर दी गई कुछ टर्म्स

Oligozoospermia – शुक्राणु की कम संख्या

Teratozoospermia – सामान्य आकार, शेप के शुक्राणु की कम संख्या

Asthenozoospermia– गतिशील शुक्राणु की कम संख्या

Azoospermia– निल शुक्राणु / शुक्राणु का उपस्थित न होना

क्या है वीर्य विश्लेषण के परिणाम का मतलब?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (Who, 2010) ने स्पर्म एनालिसिस की सामान्य फर्टिलिटी के पुरुषों की जाँच, के हिसाब से रेफरेंस वैल्यू दी हैं।

पदार्थ परिभाषा सामान्य रेंज
वीर्य की मात्रा Semen volume मैथुन के दौरान पेनिस से निकलने वाले फ्लूइड की मात्रा ≥1.5 mL
स्पर्म काउंट Sperm concentration / sperm count नापे गए वीर्य के एक मिलीलीटर में शुक्राणुओं की संख्या ≥15 million per mL
टोटल स्पर्म काउंट Total sperm number (also known as ‘total sperm count’) पूरे वीर्य में स्पर्म की संख्या;

वीर्य की मात्रा * स्पर्म काउंट

≥39 million
स्पर्म मोटिलटी Sperm motility (the ability of sperm to swim or move forward) गतिशील स्पर्म और बिना गति के स्पर्म को माप; प्रतिशत में परिणाम ≥40% motile within 60 minutes of ejaculation
स्पर्म वाईटिलटी Sperm vitality (‘live’ sperm) जीवित स्पर्म्स, टोटल स्पर्म्स में से प्रतिशत में ≥58%
स्पर्म मोर्फोलोजी Sperm morphology (the shape of the sperm) सामान्य शेप के शुक्राणु और असामान्य शुक्राणु की तुलना कर,पू रे वॉल्यूम के प्रतिशत में परिणाम ≥4%
वाइट ब्लड सेल्स White blood (inflammatory) cells वाइट ब्लड सेल्स अक्सर मिलती हैं. कुछ लोगों में यह बिना कारण होती हैं जबकि कुछ में यह प्रजनन अंगों का इन्फेक्शन दिखाती हैं <1 million per mL
वीर्य का पीएच Semen pH सीमन एसिडिक है या बेसिक. नार्मल सीमन को बेसिक / एल्कलाइन होना चाहिए

यदि सीमन कम मात्रा में है और एसिडिक है तो सीमन के फ्लो में ब्लोकेज हो सकता है

≥7.2
स्पर्म एंटीबॉडीज Sperm antibodies कुछ ही लैब में उपलब्ध <50% motile sperm

showing antibody

activity

यह जाँचे गए वीर्य विश्लेषण, के परिणाम की तुलना, सामान्य फर्टिलिटी के पुरुषो से करने के काम आती है। यह एक रेफरेंस guide की तरह से प्रयोग किया जाता है। कई पुरुष जिनकी यह रिपोर्ट्स ठीक नहीं भी थी वो भी नेचुरल तरीके से पिता बनने का सुख प्राप्त कर चुके हैं।

तो अगर यह रिपोर्ट किसी पुरुष के लिए पूरी तरह से ठीक नहीं भी है तो इसका मतलब यह कतई नहीं है की वह पिता नहीं बन सकता। रेफरेंस वैल्यूज आबादी के एक हिस्से को लेकर बनाई गई है, पूरी आबादी को लेकर नहीं।

उदाहरण के लिए, स्पर्म काउंट की सामान्य रेंज, 15 करोड़ शुक्राणु प्रति मिलीलीटर है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है की जिनका स्पर्म काउंट 2 करोड़ शुक्राणु प्रति मिलीलीटर है वे पिता नहीं बन सकते। ऐसे करीब 30 प्रतिशत कपल्स के यहाँ अगले २-३ सालों में नेचुरल तरीके से गर्भ ठहर गया।

एक बच्चा बनाने लिए केवल एक ही सफल शुक्राणु चाहिए

वीर्य की गुणवत्ता, के अलावा अन्य कारक जो की गर्भ ठहरने की सम्भावन को प्रभावित करते हैं, वे है सेक्स करने की फ्रीक्वेंसी, महीने के किन दिनों में सेक्स किया गया, ठहराव, सेक्स पोजीशन, महिला की फर्टिलिटी, आदि।

वीर्य को प्रभावित करने वाले कारक

मनुष्य में एक पूरी तरह से स्वस्थ्य स्पर्म को बनने में करीब दो महीने (64 दिन) का समय लगता है। इस समय ऐसे बहुत से कारक हो सकते हैं जो की इस प्रोसेस को प्रभावित कर सकते हैं, जैसे की

  1. धूम्रपान
  2. शराब का सेवन
  3. ड्रग्स की आदत
  4. कुछ सप्लीमेंट्स का सेवन
  5. केमिकल्स का एक्सपोज़र
  6. किसी भी तरह की बीमारी, इन्फेक्शन

उपचार Treatment

यदि वीर्य में कुछ दिक्कतें हैं भी तो कुछ उपाय हैं जो की अपना खुद का बच्चा कंसीव करने में मदद कर सकते हैं।

इंट्रायूट्रीन इनसेमिनेशन Intrauterine Insemination, तब किया जाता है जब सीमन एनालिसिस लगभग नार्मल हो। इसमें स्वस्थ्य गतिशील शुक्राणुओं को गर्भाशय में डाला जाता है।

आईवीएफ In Vitro Fertilisation (IVF), तब किया जाता है जब पुरुष इनफर्टिलिटी हल्की या मध्यम दर्जे की है। इसमें अंडाणुओं और शुक्राणुओं को लैब में मिलाकर निषेचन कराने की कोशिश की जाती है।

इंट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन Intracytoplasmic Sperm Injection (ICSI), तब किया जाता है पुरुष फर्टिलिटी बुरी तरह से प्रभावित हो। इसमें एक सिंगल स्पर्म को एग को निषेचित करने के लिए प्रयोग किया जाता है।

स्पर्म एस्पिरेशन Sperm Aspiration (Pesa, Tesa), में IVF और ICSI दोनों का प्रयोग करते हैं। यह निल शुक्राणु होने पर किया जाता है। इसमें अधिवृषण या वृषण ऊतक The Epididymis Or Testicular Tissue से स्पर्म सीधे प्राप्त करने की कोशिश होती है।

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