रेड लेबल नेचुरल केयर चाय (ब्रूक बांड, हिंदुस्तान यूनीलीवर लिमिटेड) द्वारा निर्मित चाय है जिसमें चाय पत्ती के अतिरिक्त पांच आयुर्वेदिक हर्ब्स डाली गई हैं, तुलसी, अश्वगंधा, मुलेठी, सोंठ और इलाइची। यह एक चाय की पत्ती है और चाय की ही तरह दूध और चीनी डाल कर उबाल कर बनाई जाती है।
- ब्रांड: रेड लेबल
- उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है.
- मूल्य MRP: Rs. 233.00 per 500 grams; Rs 460.00 per 1 kg
ब्रूक बांड रेड लेबल नेचुरल केयर के घटक Ingredients of Brooke Bond Red Label Natural Care Tea 500 grams
आधा किलो चाय में है :
- इलाइची 1.5 % w/w – 7.5 grams
- सोंठ 1.5 % w/w – 7.5 grams
- मुलेठी 0.5 % w/w – 2.5 grams
- अश्वगंधा 0.5 % w/w – 2.5 grams
- तुलसी 0.5 % w/w – 2.5 grams
- तथा डाले गए फ्लेवर्स
ब्रूक बांड रेड लेबल नेचुरल केयर का आधा किलो का पैकेट 233.00 रुपये और एक किलो का पैकेट 460.00 रुपए में उपलब्ध है। इसे बनाने की कोई अलग विधि नहीं है। इसे किसी भी अन्य चाय की ही तरह बनाया जाता है।
आप घर पर भी हर्बल चाय बना सकते है और बहुत से लोग बनाते भी हैं। हर्बल चाय बनाने के लिए, पानी को जब उबालते हैं तो उसी में ताज़ा अदरक ग्रेट करके या सूखा अदरक पाउडर जिसे सोंठ कहते हैं डाल दें। इसमें तुलसी के दस पत्ते, तेज पत्ता, काली मिर्च के कुछ दाने, दालचीनी, छोटी इलाइची आदि सभी कूट कर डाल दें और दस मिनट पका लें। इसमें फिर चाय की पत्तियां डाल दें और उबालें। अब दूध और चीनी डाल लें और छान कर पियें। इस प्रकार आप घर पर ही कई मसाले मिला कर हर्बल चाय का मसाला बना कर प्रयोग कर सकते हैं। कुछ चीजों को आप ताज़ा और कुछ को पाउडर के रूप में चाय बनाते समय उबलते पानी में डाल सकते हैं।
घर पर चाय का मसाला बनाते समय निम्न हर्ब्स के सूखे पाउडर को मिला कर रख लें और चाय बनाते समय प्रयोग करें।
तुलसी, के प्रयोग से इम्युनिटी बढती है। यह एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर है और टोक्सिंस को दूर करती हैं।
अदरक एंटी-एलर्जी, वमनरोधी, सूजन दूर करने के, एंटीऑक्सिडेंट, एन्टीप्लेटलेट, ज्वरनाशक, एंटीसेप्टिक, कासरोधक, हृदय, पाचन, और ब्लड शुगर को कम करने गुण हैं। यह खुशबूदार, उत्तेजक, भूख बढ़ाने वाला और टॉनिक है। इसका प्रयोग उलटी, मिचली को दूर करता है। अदरक पाचन और श्वास अंगों पर विशेष प्रभाव दिखाता है। इसमें दर्द निवारक गुण हैं। यह स्वाद में कटु और विपाक में मधुर है। यह स्वभाव से गर्म है।
काली मिर्च (ब्लैक पेपर, गोल मिर्च) पाचक, श्वास और परिसंचरण अंगों पर काम करती है। यह गैस को दूर करती है, मेटाबोलिज्म बढ़ाती है, ज्वरनाशक, कृमिहर, और एंटी-पिरियोडिक है। यह बुखार आने के क्रम को रोकता है। इसलिए इसे निश्चित अंतराल पर आने वाले बुखार के लिए भी प्रयोग किया जाता है।
मुलेठी को आयुर्वेद में बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। इसे खांसी, गले में खराश, सांस की समस्याओं, पेट दर्द औरअम्लपित्त आदि में उपयोग किया जाता है। यह खांसी, अल्सर, के उपचार में और बाहरी रूप से भी त्वचा और बालों के लिए उपयोग किया जाता है।
मुलेठी का सेवन उच्च रक्तचाप, द्रव प्रतिधारण, मधुमेह और कुछ अन्य स्थितियों में नहीं किया जाना चाहिए।
दालचीनी या दारुचिनी एक पेड़ की छाल है। यह वात और कफ को कम करती है, लेकिन पित्त को बढ़ाती है। यह मुख्य रूप से पाचन, श्वसन और मूत्र प्रणाली पर काम करती है। इसमें दर्द-निवारक / एनाल्जेसिक, जीवाणुरोधी, ऐंटिफंगल, एंटीसेप्टिक, खुशबूदार, कसैले, वातहर, स्वेदजनक, पाचन, मूत्रवर्धक, उत्तेजक और भूख बढ़ानेवाले गुण है। दालचीनी पाचन को बढ़ावा देती है और सांस की बीमारियों के इलाज में भी प्रभावी है।
छोटी इलायची त्रिदोषहर, पाचक, वातहर, पोषक, विरेचक और कफ को ढीला करने के गुणों से युक्त हैं। यह मूत्रवर्धक है और मूत्र विकारों में राहत देती है। इलाइची के बीज अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, गले के विकार, बवासीर, गैस, उल्टी, पाचन विकार और खाँसी में उपयोगी होते हैं।
तेजपत्ता, एक पेड़ से प्राप्त सूखे पत्ते है। यह तासीर में गर्म होता है। यह कफ और वातहर है। तेजपत्ते का सेवन पित्तवर्धक है। यह बवासीर के इलाज और स्वाद में सुधार करता है। तेजपत्ता कड़वा, मीठा, सुगंधित, कृमिनाशक, मूत्रवर्धक, वातहर और सूजन दूर करने वाला है। यह रक्त को साफ़ करता है और, भूख एवं पाचन को सुधारता है। यह भूख न लगना, मुँह का सूखापन, खांसी, सर्दी, मतली, उल्टी, गैस और अपच के उपचार के लिए आयुर्वेद में उपयोग किया जाता है।